Aug 7, 2016

RTI against PM Office


सेवा में, दिनाक: 1/8/2016
श्रीमान जन सूचना अधिकारी, प्रधान मंत्री कार्यालय, भारतसरकार, नई दिल्ली-110011
विषय:सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत

(1) श्रीमान प्रधानमंत्री महोदय, भारत सरकार,एवंम श्रीमान निदेशक महोदय सी.बी.आई,शिकायतकर्ता: श्री जगदीश सक्सेना विरुद्ध श्रीमान मुख्य न्यायधीश महोदय, एवम श्रीमान सिदार्थ मलिक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड, व श्री जगमिंदर सिंह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड, न्यायलय द्वारका शिकायत दिनाक: 29/7/2016, पर भारत सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय ने एवम निदेशक सीबीआई ने जाँच एवम क़ानूनी कार्यवाही के क्या आदेश किए हैं, व उस आदेश पर क्या जवाब दाखिल किया गया हैं, सलग्न प्रति नम्बर-1,


(2) शिकायतकर्ता श्री जगदीश सक्सेना विरुद्ध मनीराम गुप्ता तांत्रिक, शिकायत दिनाक: 15/9/2006, 100- नम्बर कंट्रोल रूम, पर थाना प्रभारी डाबड़ी ने मौके वारदात का मुआयना और फोटोग्राफ किस-स्वार्थ हेतु नही करवाए गए थे तथा शिकायतकर्ता व गवाहों के बयान मौक़े पर किस स्वार्थ हेतु दर्ज नही किए गए थे क्या कभी द्वारका कोर्ट के न्यायधीशो व दिल्ली पुलिस के आई.पी.एस अधिकारियो ने अपना ध्यान आकर्षित किया अगर नही किया तो उसके पीछे दिल्ली पुलिस के आई.पी.एस अधिकारियो और द्वारका कोर्ट के न्यायधीशो का क्या स्वार्थ छिपा हुआ था और आज भी हैं

(3) श्रीमान सिदार्थ मलिक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड कमरा नम्बर:-312,द्वारका कोर्ट,कम्पलेंट केस नम्बर:-1635/2006, दिनाक: 16/9/2006, शिकायतकर्ता जगदीश सक्सेना विरुद्ध मनीराम गुप्ता धारा:-200-सी.आर.पी.सी,के अंतर्गत दायर की गई याचिका में सभी गवाहियाँ होने के बाद अदालत के द्वारा स्वम आरोपी के खिलाफ धारा:506,आई.पी.सी लगाई गई थी, उक्त याचिका को एफ.आई.आर नम्बर 978/2006,धारा:-448/380/506,आईपीसी के साथ जोड़ दिया गया जिसपर भी अदालत का ध्यान कभी नही गया ? और जब इसी तरह धारा:323/354/506, आई.पी.सी, की याचिका लगाकर धारा:323/354/506, आई.पी.सी,के लिए निवेदन किया गया तो अदालत ने ये कहते हुए याचिका ख़ारिज कर दी कि पहले शिकायतकर्ता की पत्नी के बयान होंगे जिनका समय पुलिस और द्वारका कोर्ट के जजो को वर्ष 2006 से अब-तक किस-कारणवश नही मिल रहा हैं ? जिससे साफ साबित होता हैं:- कि कांग्रेस शासनकल के दलाल आरोपी मनीराम गुप्ता को बचाने के लिए पुलिस और द्वारका कोर्ट पूरी तरह से एक आरोपी गिरोह की मदद करने में सहयोग किस स्वार्थ हेतु कर रही हैं जिसके खिलाफ सी.बी.आई जाँच किसलिए नही होनी चाहिए

(4) शिकायतकर्ता श्री जगदीश सक्सेना विरुद्ध मनीराम गुप्ता तांत्रिक, श्रीनिवास मित्र मनीराम गुप्ता एवम दो पुलिस कांस्टेबल थाना डाबड़ी के खिलाफ दिल्ली पुलिश के विजिलेंस में डी.डी नम्बर-16,दिनाक:13/10/2006, पर शिकायत दर्ज कराने के बाद भी विजिलेंस विभाग ने किस स्वार्थ को रखते हुए जाँच और क़ानूनी कार्यवाही नही करते हुए, उल्टा कांग्रेस शासनकाल के दलाल एक क्रिमिनल व्यक्ति मनीराम गुप्ता की धारा: 448/380/506 आई.पी.सी, के अपराध में मदद की थी शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी के मौके पर बयान किस-कारणवश नही लिए गए थे

(5) शिकायतकर्ता श्री जगदीश सक्सेना विरुद्ध मनीराम गुप्ता तांत्रिक वगैरा एफ.आई.आर नम्बर 978/2006, धारा: 448/380/506, आई.पी.सी,थाना डाबड़ी दिनाक 23/10/2006,के मुकदमे में अब-तक एक गवाही भी पूरी किस-कारणवश नही हुई है, तथा उल्टा शिकायतकर्ता को ही झूठे आरोपो में फ़साने के लिए आरोपियों के सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी एवम साऊथ-वेस्ट पुलिस अधिकारियो की सिफारिशो पर लम्बी-लम्बी तारीखे देकर शिकायतकर्ता की मौत का इंतजार द्वारका कोर्ट की अदालते पुलिस और सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी कर रहे हैं जिनके खिलाफ भारत सरकार के प्रधानमंत्री जी के आदेश पर क्यों न सी.बी.आई जाँच कराकर एक स्वतन्त्रता सेनानी परिवार के सदस्य श्री जगदीश सक्सेना को न्याय और सम्मान दिलवाया जाए,

(6) शिकायतकर्ता की समय से पहले अगर मौत हो जाती हैं तो उसके जिम्मेवार दिल्ली पुलिस के आई.पी.एस अधिकारियो और द्वारका कोर्ट के जज-मजिस्ट्रेड किसलिए नही होने चाहिए समस्त सूचना उपलब्ध करे

(7) शिकायतकर्ता जगदीश सक्सेना की हत्या का प्लान वर्ष 1995 में साऊथ-वेस्ट पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियो की योजनानुसार थाना मायापुरी में बनाया गया था जिसमे एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड और कांग्रेस शासनकाल के नेता और गुंडे भी शामिल थे परन्तु उल्टा शिकायतकर्ता की हत्या करने के धौकें में सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी की सलाहनुसार कश्मीरी गेट बस अड्डे पर एक पुलिस अधिकारी महिला की रूट नम्बर 721, की बस के नजदीक खड़े शिकायतकर्ता जगदीश सक्सेना के बहनोई सुनील कुमार सक्सेना सुपुत्र जगदीश प्रशाद सक्सेना की गर्दन पर स्टील की रोड मारने वाले मनीराम गुप्ता को बचाने की योजनानुसार 721 के बस ड्राईवर ने ये दिखाने के लिए उनपर बस चढ़ा दी थी, ताकि मर्डर केस को एक्सीडेंट केस में तब्दील किया जा सके, और ऐसा पुलिस ने किया भी जबकि सुनील कुमार सक्सेना मर्डर केस के चश्मेंदीह गवाह उनके साले साहब श्री जगदीश सक्सेना थे परन्तु फिर भी थाना कश्मीरी गेट दिल्ली में एफ.आई.आर नम्बर 841/1995,पर एक्सीडेंट केस दर्ज कर पुलिस ने इतिश्री कर आरोपी को साफ बचा लिया जिसके सदमें से बस ड्राईवर की मौत भी हो गई थी तथा आज वर्तमान में आरोपियों के सलाहकार मैहर चन्द वकील अदालत में सरेआम झूठ बोलकर ये साबित करना चाहते हैं कि सुनील कुमार सक्सेना को जगदीश सक्सेना ने ही मारा हैं जबकि सुनील कुमार सक्सेना की मौत के मुख्य अभियुक्त मनीराम गुप्ता और उनके सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी हैं जिनपर साऊथ-वेस्ट पुलिस और द्वारका कोर्ट के जज-मजिस्ट्रेड की पूरी मेहरबानी बनी हुई हैं जो एक नेक-ईमानदार-स्वतन्त्रता सेनानी परिवार के सदस्य को आत्महत्या करने पर भी बाध्य करते रहे हैं के राज को खोलने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी के आदेश क्यों नही पारित होने चाहिए कृपा करके समस्त सूचना उपलब्ध करे

(8) एफ.आई.आर नम्बर 978/2006,में गलत और झूठे दस्तावेजों पर आरोपियों को जमानत देना भी एक अपराध हैं, जब शिकायतकर्ता ने अदालत में साबित करना भी चाहा और अदालत को बताया तो भी अदालत ने शिकायतकर्ता की नही सुनी, बल्कि आरोपियों की ही मदद किस स्वार्थ हेतु की हैं और कर रही हैं

(9) शिकायतकर्ता के द्वारा अप्रेल 2007 में मनीराम गुप्ता के खिलाफ बिजली विभाग में बिजली की चोरी की शिकायत करने पर मनीराम गुप्ता बिजली चोरी करते सरेआम पकड़ा गया था जो मनीराम गुप्ता,सत्यनरायण गुप्ता के खिलाफ बिजली चोरी के आरोप अदालत में साबित भी हो चुके हैं जो आरोपी सरकार की बिजली चोरी कर सकता हैं वह अपने सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी की सलाहनुसार अपराधों का दोषी क्यों नही होना चाहिए जिसका सलाहकार भी अदालत में झूठ बोलकर बराबर अदालत को धोख़ा दे रहा हैं और पुलिस अदालत सब-कुछ जानकर भी उल्टा शिकायतकर्ता को झूठा साबित कर झूठे आरोपो में फ़साने का प्लान बना अपनी योग्यता का गलत उपयोग कर रही हैं इसलिए क्यों न भारत सरकार के प्रधानमंत्री जी के आदेश सीबीआई जाँच के लिए पारित किए जाए कृपा करके समस्त सूचना उपलब्ध करे

(10) श्रीमान सिदार्थ मलिक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड कमरा नम्बर-312,द्वारका कोर्ट नई दिल्ली-कम्पलेंट केस नम्बर-1630/2007,धारा:-200-सी.आर.पी.सी, शिकायतकर्ता मनीराम गुप्ता बनाम जगदीश सक्सेना का गलत और झूठा मुकदमा न्यायालय में सुनील कुमार सक्सेना हत्याकांड के अभियुक्त सलाहकार मैहर चन्द प्रेमी की प्लनिगनुसार उल्टा शिकायतकर्ता को नाजायज परेसान करने के लिए एफआईआर नम्बर के 978/2006 धारा:448/380/506,आईपीसी के आरोपी की तरफ से न्यायालय में इसलिए डलवाया गया कि एक सच्चे-ईमानदार स्वतन्त्रत सेनानी के परिवार के सदस्य को झूठा साबित करके झूठे आरोपो में फसाया जा सके और आरोपी मनीराम गुप्ता को बचाया जा सके पर क्यों न प्रधानमंत्री जी के आदेशानुसार सीबीआई जाच पब्लिक नोटिस में लाकर करवाई जाए की समस्त सूचना भारतीय हिंदी भाषा में उपलब्ध करे

(11) श्रीमान सिदार्थ मलिक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड कमरा नम्बर-312,द्वारका कोर्ट नई दिल्ली-कम्पलेंट केस नम्बर-1630/2007,धारा:-200-सी.आर.पी.सी, शिकायतकर्ता मनीराम गुप्ता बनाम जगदीश सक्सेना के गलत और झूठे मुकदमे को पटियाला हाऊस कोर्ट के जज-मजिस्ट्रेड महोदय जी के आदेश पर दो बार डिसमिस भी किया जा चुका हैं तब भी साऊथ-वेस्ट पुलिस और द्वारका कोर्ट में आरोपी की पूरी तरह से मदद की जा रही हैं जिसमे द्वारका कोर्ट के जज- मजिस्ट्रेड और साऊथ-वेस्ट क्या स्वार्थ छिपा हैं

(12) श्रीमान सिदार्थ मलिक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेड कमरा नम्बर-312,द्वारका कोर्ट नई दिल्ली-कम्पलेंट केस नम्बर-1630/2007,धारा:-200-सी.आर.पी.सी, शिकायतकर्ता मनीराम गुप्ता बनाम जगदीश सक्सेना के गलत और झूठे मुकदमे में अदालत आरोपी की मदद करने में पूरी तरह से जल्दबाजी दिखा नजदीक की तारीखे देती आई हैं व जगदीश सक्सेना को नोटिस न प्राप्त करने पर भी अदालत में जगदीश सक्सेना की गलत तरीके से गैरहाजरी लगाती रही हैं जबकि ऐसा नही होना चाहिए इससे साफ मालूम होता हैं कि द्वारका कोर्ट में एक आरोपी को बचाने के लिए उल्टा स्वतन्त्रता सेनानी परिवार के सदस्य शिकायतकर्ता जगदीश सक्सेना को आरोपी बनांने में अदालत और पुलिस कांग्रेस शासनकाल के अपराधी मनीराम गुप्ता की पूरी मदद कर रहे हैं व क्रोस-एग्जामिनेशन के समय अदालत में डिफेन्स-एविडेंस को भी ऑन-रिकॉर्ड लेने से अदालत में मना करना इस बात को साबित करता हैं कि द्वारका कोर्ट में एक स्वतन्त्रता सेनानी परिवार के सदस्य को साऊथ-वेस्ट पुलिस की सिफारिशो से जबरदस्ती फ़साने में द्वारका कोर्ट पूरी मदद कर रही हैं और ये गलत कार्य कांग्रेस शासनकाल से चला आ रहा जिसमे सलाहकार पूरी मदद कर रहा हैं

(13 मैहर चन्द प्रेमी वकील ने एयर फ़ोर्स से नोकरी किस कारणवश छोड़ी थी या उसे एयर फ़ोर्स से निकाला गया था या मैहर चन्द प्रेमी कोई अपराध करके भागा था उसने वकालत की डिग्री कहाँ से प्राप्त की थी उसने वाकई में वकालत की थी या मैहर चन्द के पास फर्जी डिग्री हैं के खिलाफ क्यों नही प्रधानमंत्री जी के आदेश पर सी बी आई जाँच होनी चाहिए की समस्त सूचना उपलब्ध करे

सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत मांगी गई समस्त सूचना भारतीय हिंदी भाषा में उपलब्ध करने की अनुकंम्पा करे तथा जमा की गई एक्स्ट्रा धनराशि 40/रूपए का पोस्टल ऑडर नम्बर संलग्न हैं

उमेश मोर्या प्रभारी भ्रष्टाचार निर्मूलन समिति, एंटीक्रेप्शन कमेटी
एस-27, दूसरा-तल, मेंनमार्किट, राजौरी गार्डन, नई दिल्ली-110027

Jagdish Saxena
nacp.js@gmail.com

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