जब मुकेश भारतीय ने कहा कि उसकी खबर का स्रोत क्या है। इस पर उसने चौंका देने वाली कही। उसका कहना था कि उसे सुपरविजन रिपोर्ट और पुलिस द्वारा उठाये जाने वाले कदम की जानकारी व्हाट्सएप के जरिये मिली है। विदित हो कि मुकेश भारतीय ने अपने पुत्र के अपहरण करने के प्रयास और जान मारने समेत तरह-तरह की धमकियां देने वाले आरोपियों विरुद्ध अतिशीघ्र जांच-कार्रवाई करने के संबंध में समय समय पर रांची सदर डीएसपी विकास चन्द्र श्रीवास्तव और बीआईटी ओपी के थाना प्रभारी पप्पु शर्मा के हमेशा संपर्क करते रहे हैं। दोनों घटना की करीब ढाई महीने बाद तक जांच जारी रहने की बात कहते रहे हैं। अभी तक कोर्ट में पुलिस डायरी या इससे संबंधित कोई भी जांच रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। और न ही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही की गई है।
सबाल उठता है कि न्यायालय के पहले पुलिस जांच के दौरान क्राईम रिपोर्टर को किसने सुपरविजन रिपोर्ट की प्रति व्हाट्सएप के जरिये उपलब्ध कराई गई। मामले की जांच-पड़ताल करने के नाम पर सूचना के 12 घंटे बाद नामजद एफआईआर दर्ज करने वाले थाना प्रभारी ने ? मामले का अनुसंधान कर्ता नारायण सिंह ने ? सुपरविजन करने वाले डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव ने ? या फिर रांची एसपी कार्यालय के किसी करींदे ने ?
सबसे बड़ी बात कि पीआरबी अधिनियम के तहत खबरों के चयन और प्रकाशन के लिये जिम्मेवार विजय पाठक के कहने पर जब संपर्क किया तो समाचार लेखक- क्रईम रिपोर्टर अमन तिवारी ने पुलिस और आरोपियों के समर्थन में खूब बातें क्यों की ? और अपने बड़े बैनर वाले अखबार का हवाला देकर कहा कि वह कुछ भी लिख-छाप सकता है। जबकि रांची एसएसपी प्रवीण द्वेदी को समाचार और मामले को लेकर मुकेश भारतीय द्वारा जो शिकायत पत्र सौंपी गई थी, उसकी एक प्रति अमन तिवारी को दी गई थी।
अमन तिवारी के बारे में पड़ताल करने पर ज्ञात हुआ कि कि इसका काम पुलिस अनुसंधान और न्यायालयों में लंबित मामलों को प्रभावित करने वाले समाचार-विचार प्रकाशित करना है और वह मामलों को आरोपियों एवं पुलिस को मैनेज करने में माहिर है।
मुकेश भारतीय की रिपोर्ट.
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