Dec 19, 2014

‘समागम’ 14 साल पूरे करने के ओर

 शोध पत्रिका ‘समागम’ जनवरी 2015 में अपने प्रकाशन का 14 वर्ष पूरे करने जा रही है। वर्ष 2014 का अंक एक गांधी के महात्मा हो जाने विषय पर केन्द्रित है। भोपाल से मासिक कालखंड में प्रकाशित हो रही द्विभाषी शोध पत्रिका ‘समागम’ का केन्द्रीय विषय मीडिया एवं सिनेमा है किन्तु मानव जीवन का हर पहलू मीडिया एवं सिनेमा से प्रभावित है अत: इससे जुड़े अन्य विषयों के शोधपत्रों का प्रकाशन भी किया जाता है। शोध पत्रिका ‘समागम’ का हर अंक विशेषांक होता है। 14 वर्षों के प्रकाशन की निरंतर श्रृंखला में प्रतिवर्ष जनवरी एवं अक्टूबर में महात्मा गांधी पर अंक प्रकाशन होता रहा है। अब तक के विशेष अंकों में लता मंगेशकर, दलित पत्रकारिता, रेडियो पत्रकारिता, न्यू मीडिया, पत्रकारिता के नये हस्ताक्षर के साथ ही पत्रकारिता के स्तंभ पराडक़र, माखनलाल चतुर्वेदी, माधवराव सप्रे, भवानीप्रसाद मिश्र पर प्रकाशित किया गया है। राज्य विधानसभा चुनाव एवं आमचुनाव पर भी विशेष अंकों का संयोजन किया गया है। इस आशय की जानकारी शोध पत्रिका ‘समागम’ के सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार ने दी।
शोध पत्रिका ‘समागम’ का 15वें वर्ष का पहला अंक का विषय ‘मीडिया की सामाजिक जवाबदारी’ पर है। समाज के विभिन्न प्रकल्प यथा शिक्षा, अर्थ, राजनीति, ग्राम्य जीवन, साहित्य, संस्कृति, परम्परा, महिला एवं बच्चे के साथ ही बदलते परिवेश में मीडिया की भूमिका को चिंहित करते हुये तैयार किया जा रहा है। इसी तरह अप्रेल 2014 का अंक पत्रकार मार्क टुली पर केन्द्रित होगा। शोध पत्रिका ‘समागम’ विगत तीन वर्षों से लगातार वार्षिंकांक के रूप में वर्ष भर में प्रकाशित श्रेष्ठ शोध आलेखों की एक पुस्तक का प्रकाशन भी करता है। अब तक मीडिया एवं समाज, भारतीय सिनेमा के सौ साल तथा समाज, संचार एवं सिनेमा शीर्षक से क्रमश: पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। इस वर्ष मीडिया समग्र शीर्षक से किताब का प्रकाशन किया जा रहा है। 
शोध पत्रिका ‘समागम’ व्यक्तिगत प्रयासों का मंच है।  इस पत्रिका को देश के श्रेष्ठ एवं प्रतिष्ठित विशेषज्ञों का निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है। मीडिया के विभिन्न मंचों से भी शोध पत्रिका को सहयोग मिलता रहा है। शोध पत्रिका ‘समागम’ श्रेष्ठ शोध आलेखों का प्रकाशन हेतु स्वागत करता है।

No comments:

Post a Comment