खाद्य सुरक्षा अधिकारी पदों पर अयोग्यों की नियुक्ति का मामला
अवमानना प्रकरण मे प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एवं बाड़मेेर केे सीएमएचओ को नोटिस जारी, 4 सप्ताह मे एएजी से जवाब तलब
जोधपुर। प्रदेष मे मिलावटखोरी रोकने के लिए प्रभावी फूड सेफ्टी स्टेण्र्डड एक्ट के निर्धारित मापदण्डों को ताक मे रख कर नियुक्त अयोग्य एवं अपात्र खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को हटाने केे मामले मे दायर अवमानना याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायाधीष प्रकाष गुप्ता खण्डपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव मुकेष शर्मा एवं बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुनील कुमारसिंह बिष्ट.के विरूद्व कंटेम्प्ट नेटिस जारी किए हैं।
पूर्व मे महावीर जैन की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने प्रमुख सचिव को इस मामले मे स्पीकिंग आदेष जारी करने के निर्देष दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एस.पी.शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड़ ने पैरवी की। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने हाईकोेर्ट के आदेष की पालना मे इस प्रकरण मे आज दिन तक कोई स्पीकिंग आदेष पारित नही किया और न ही अयोग्य एवं अपात्र खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के मामले मे कोई कार्यवाही की।
अधिवक्ता दलपतसिंह राठौड़ ने बताया कि बुधवार को सुनवाई दौैरान हाईकोर्ट केे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायाधीष प्रकाष गुप्ता की खण्डपीठ ने न्यायालय मे मौजूद अतिरिक्त महाअधिवक्ता राजेष पंवार को अवमानना नोटिस थमा कर उनसे अवमानना प्रकरण मे 4 सप्ताह मे जवाब दाखिल करने के आदेष दिये हैं। उच्च न्यायालय मे इस प्रकरण की अगली सुनवाई 8 फरवरी को मुर्कर की गई हैं।
क्या है मामला
हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने 19 मार्च 2007 को स्वतः प्रसंज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को आदेष दिये थे कि प्रदेष मे मिलावटी दूध एवं खाद्य सामग्री की बिक्री की रोकथाम के लिए असरदार कार्यवाही हेतु पर्याप्त पदों पर खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति करें। सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था कि लोक सेवा आयोग से रिक्त पदांें पर योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया करवाई जा रही हैें। हाईकोर्ट ने वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देष स्वास्थ्य विभाग को दिये थे। याचिका के मुताबिक करीबन 90 लेब टेेक्निषियनों, कम्पाउण्डरों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि को पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध होने तक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर खाद्य निरीक्षकों के पदों पर तैैनात कर लिया। राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करतेे हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अक्टूबर 2011 को हाईकोर्ट के उक्त आदेष को अपास्त कर दिया लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था मे लगाये गये अपात्र एवं मापदण्ड पूरे नही करने वाले कार्मिकों को फूड इन्सपेक्टर पदों से हटाया ही नही। ठीक विपरित फूड सेेफ्टी स्टेण्र्डड एक्ट लागू होने क बाद इन्ही लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिकारी बना लिया। एक्ट मे इस पद हेतु निर्धारित योग्यता येे लोग पूरी ही नही करते। याचिका मे आरोप लगाया गया कि ऐसे अपात्र लोगों की नियुक्ति के कारण प्रदेष मे मिलावटी दूध, तेल घी एवं खाद्य सामग्री की बिक्री व्यापक स्तर पर हो रही हैं जिस पर अंकुष नही लग रहा हैं। यहां तक कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी लगे अयोग्य कामर््िाक सरकार द्वारा समय समय पर दियेे जा रहे सैम्पलिंग के लक्ष्य भी पूरे नही किए जा रहे हैं। याचिका मे सीमावर्ती बाड़मेर जिले मे खाद्य सुरक्षा अधिकारी पद पर नियुक्त एक कम्पाउण्डर भूराराम चैधरी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाड़मेर को भी पक्षकार बनाया गया था।
अवमानना प्रकरण मे प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एवं बाड़मेेर केे सीएमएचओ को नोटिस जारी, 4 सप्ताह मे एएजी से जवाब तलब
जोधपुर। प्रदेष मे मिलावटखोरी रोकने के लिए प्रभावी फूड सेफ्टी स्टेण्र्डड एक्ट के निर्धारित मापदण्डों को ताक मे रख कर नियुक्त अयोग्य एवं अपात्र खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को हटाने केे मामले मे दायर अवमानना याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायाधीष प्रकाष गुप्ता खण्डपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव मुकेष शर्मा एवं बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुनील कुमारसिंह बिष्ट.के विरूद्व कंटेम्प्ट नेटिस जारी किए हैं।
पूर्व मे महावीर जैन की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने प्रमुख सचिव को इस मामले मे स्पीकिंग आदेष जारी करने के निर्देष दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एस.पी.शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड़ ने पैरवी की। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने हाईकोेर्ट के आदेष की पालना मे इस प्रकरण मे आज दिन तक कोई स्पीकिंग आदेष पारित नही किया और न ही अयोग्य एवं अपात्र खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के मामले मे कोई कार्यवाही की।
अधिवक्ता दलपतसिंह राठौड़ ने बताया कि बुधवार को सुनवाई दौैरान हाईकोर्ट केे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायाधीष प्रकाष गुप्ता की खण्डपीठ ने न्यायालय मे मौजूद अतिरिक्त महाअधिवक्ता राजेष पंवार को अवमानना नोटिस थमा कर उनसे अवमानना प्रकरण मे 4 सप्ताह मे जवाब दाखिल करने के आदेष दिये हैं। उच्च न्यायालय मे इस प्रकरण की अगली सुनवाई 8 फरवरी को मुर्कर की गई हैं।
क्या है मामला
हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने 19 मार्च 2007 को स्वतः प्रसंज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को आदेष दिये थे कि प्रदेष मे मिलावटी दूध एवं खाद्य सामग्री की बिक्री की रोकथाम के लिए असरदार कार्यवाही हेतु पर्याप्त पदों पर खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति करें। सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था कि लोक सेवा आयोग से रिक्त पदांें पर योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया करवाई जा रही हैें। हाईकोर्ट ने वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देष स्वास्थ्य विभाग को दिये थे। याचिका के मुताबिक करीबन 90 लेब टेेक्निषियनों, कम्पाउण्डरों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि को पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध होने तक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर खाद्य निरीक्षकों के पदों पर तैैनात कर लिया। राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करतेे हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अक्टूबर 2011 को हाईकोर्ट के उक्त आदेष को अपास्त कर दिया लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था मे लगाये गये अपात्र एवं मापदण्ड पूरे नही करने वाले कार्मिकों को फूड इन्सपेक्टर पदों से हटाया ही नही। ठीक विपरित फूड सेेफ्टी स्टेण्र्डड एक्ट लागू होने क बाद इन्ही लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिकारी बना लिया। एक्ट मे इस पद हेतु निर्धारित योग्यता येे लोग पूरी ही नही करते। याचिका मे आरोप लगाया गया कि ऐसे अपात्र लोगों की नियुक्ति के कारण प्रदेष मे मिलावटी दूध, तेल घी एवं खाद्य सामग्री की बिक्री व्यापक स्तर पर हो रही हैं जिस पर अंकुष नही लग रहा हैं। यहां तक कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी लगे अयोग्य कामर््िाक सरकार द्वारा समय समय पर दियेे जा रहे सैम्पलिंग के लक्ष्य भी पूरे नही किए जा रहे हैं। याचिका मे सीमावर्ती बाड़मेर जिले मे खाद्य सुरक्षा अधिकारी पद पर नियुक्त एक कम्पाउण्डर भूराराम चैधरी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाड़मेर को भी पक्षकार बनाया गया था।
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