Jul 14, 2016

समाजसेविका की सूर्यास्त बाद गिरफ्तारी अखिलेश के महिला सम्मान रक्षा के दावों पर सवाल

लखनऊ : सीआरपीसी की धारा 151 में आरोपी बनाई गयी लखनऊ निवासी समाजसेविका उर्वशी
शर्मा को लखनऊ की पुलिस द्वारा बीते 10 जुलाई की रात 9 बजे के बाद घर से
एसएसपी से बात कराने की झूंठी बात बोलकर छलपूर्वक ले जाने और बाद में भी
बिना जुर्म बताये हजरतगंज महिला थाने में रातभर भूंखे-प्यासे बैठाए रखने
से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के महिला सम्मान रक्षा के दावों पर बड़ा सबाल
खड़ा हो रहा है.


गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार सूर्यास्त के बाद
किसी मजिस्ट्रेट के लिखित आदेश के बिना पुलिस द्वारा महिलाओं को गिरफ्तार
करना कानूनी रूप से प्रतिबंधित है और सूर्यास्त के बाद किसी महिला को
किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना गिरफ्तार करने पर ऐसी गिरफ्तारी में
लिप्त सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है किन्तु
लखनऊ के एसएसपी की कुर्सी पर एक महिला आईपीएस  अधिकारी मंजिल सैनी के
तैनात होने पर भी समाजसेविका उर्वशी की इस तरह कपटपूर्वक की गयी
गैर-कानूनी और अमानवीय गिरफ्तारी से मंजिल सैनी की कार्यप्रणाली पर भी
सबालिया निशान लग रहे है.

बकौल उर्वशी,बीते 10 जुलाई को रात 9 बजे उनके राजाजीपुरम स्थित घर आये
पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा कि वे अगले दिन होने वाले उपराष्ट्रपति के
‘आरटीआई भवन’ उद्घाटन  कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उनको पास जारी
करने  के सम्बन्ध में एसएसपी मंजिल सैनी से मिलवाने के लिए लेने आये थे.
उर्वशी ने बताया कि इस सम्बन्ध में जब उनके पति द्वारा एसएसपी के पीआरओ
से बात की गयी तो पीआरओ ने पहले तो इस सम्बन्ध में अनभिज्ञता जाहिर की पर
थाना विभूतिखंड की पुलिस कार्मिक निदा अर्शी से बात करने पर पीआरओ ने
उर्वशी को पुलिस के साथ भेज देने की बात कही. उर्वशी ने बताया कि घर से
ले जाने के बाद उनको हजरतगंज थाने ले जाकर बैठा दिया गया और निदा अर्शी
द्वारा उनके साथ गाली-गलौच और बदसलूकी भी की गयी.उर्वशी ने बताया कि जब
उन्होंने बिना कारण बताये देर रात की गयी उनकी गिरफ्तारी को गलत बताया तो
निदा ने मौखिक रूप से बताया कि उन्हें एसएसपी के निर्देशों पर गिरफ्तार
किया गया है. उर्वशी ने बताया कि मांगे जाने पर भी उनको न तो
अरेस्ट-वारंट दिखाया गया और न ही उनको वह जुर्म बताया गया जिसके तहत उनको
गिरफ्तार किया गया था. थाने में उनको रात भर भूँखा-प्यासा रखा गया और
सोने भी नहीं दिया गया.

उर्वशी ने बताया कि उनके संगठन के 2 सदस्यों द्वारा हाथ में काली पट्टी
बांधकर उपराष्ट्रपति को आरटीआई भवन पर गुलाब का फूल देकर अपना विरोध
व्यक्त करने  और अन्य 2 सदस्यों द्वारा हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा
गांधी पार्क में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने के सम्बन्ध में
अनुमति हेतु जिला प्रशासन को विधिवत रूप से आवेदन किया था और जिला
प्रशासन द्वारा इस पर कोई निर्णय न लिए जाने के कारण उनको उच्च न्यायालय
में याचिका दायर करनी पडी थी. याचिका का नोटिस मिलने के बाद एडीएम
ट्रांसगोमती ने बीते 10 जुलाई रात 8 बजे उनको अनुमति न देने संबंधी पत्र
प्राप्त कराया और 1 घंटे बाद ही उनको घर से गिरफ्तार कर लिया गया. उर्वशी
ने बताया कि चूंकि उनके गांधी प्रतिमा पर धरने के आवेदन पर जिला प्रशासन
द्वारा अंत तक कोई निर्णय नहीं लिया गया अतः उनके संगठन के 2 सदस्यों ने
हजरतगंज जीपीओ स्थित गाँधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया और निजी
मुचलके पर रिहा होने के बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति तथा यूपी के
राज्यपाल,मुख्यमंत्री और मुख्य सूचना आयुक्त को डाक के माध्यम से अपना
विरोध पत्र भी प्रेषित किया.

उर्वशी ने बताया कि वे इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मं
करेंगी और उनको सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार करने के दोषी सभी पुलिस
अधिकारियों व कर्मचारियों को दण्डित कराने के साथ-साथ मानवाधिकारों का
खुला उल्लंघन कर की गयी गिरफ्तारी लिए हर्जाने की भी मांग करेंगी.

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