New Delhi: 02 July, Union Information & Broadcasting Minister Rajyavardhan Singh Rathore, in an hour long meeting yesterday with the representatives of the ‘Indian Federation of Working Journalists’ (IFWJ), assured that the Central Government would do all possible to secure an effective legislation for the safety, security and protection of journalists. He agreed to the suggestions of the IFWJ that a ‘Risk Insurance Scheme’ should be introduced particularly for such journalists who work in hazardous conditions and difficult areas. The IFWJ delegation comprised its two Vice Presidents namely; Hemant Tiwari and Umesh Kumar, Secretary General- Parmanand Pandey and Treasurer- Rinku Yadav.
The Information & Broadcasting Minister told the delegation that he would speak to the Chief Ministers for providing the adequate security to the journalists as the law and order was the state subject. IFWJ has demanded that the family of those journalists, who are unfortunately killed or badly injured by the anti-social elements should get adequate compensation, which should not be less than Rs. One crore, and a member of the family of such journalists should be given an appropriate job befitting to the qualification.
The IFWJ also demanded for the review of the proposed advertisement policy for small and medium newspapers by the Central Government. It has called upon the government to compel the big newspapers to implement the Majithia Wage Board recommendations failing which their advertisements should stopped. While the IFWJ welcomes the initiative of the Central Government for implementation of labour laws by the small and medium newspapers but it certainly opposes the condition of compulsory subscription of any one of the three news agencies- PTI, UNI or Hindustan Samachar- by the small and medium newspapers to get the government advertisements.
The IFWJ said in its memorandum that linking of the owning of the printing press with the release of advertisements was a harsh and unacceptable condition. It pointed out that if those conditions were imposed on small and medium newspapers they would have to wound-up their publications, which would amount to curtailing the freedom of the press. The Information and Broadcasting Minister Shri Rathore told the IFWJ delegation, in no uncertain terms, that before the execution of the proposed advertisement policy and also for deciding the legislation for the protection of journalists, he would elaborately discuss with the organisation.
Rinku Yadav
Treasurer: IFWJ
PRESS RELEASE
IFWJ प्रतिनिधिमंडल को केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर का आश्वासन
1. पत्रकारों की सुरक्षा पर क़ानून बनेगा
2. लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की नयी विज्ञापन नीति पर पुनर्विचार होगा
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा है कि उनकी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है। और वे शीघ्र ही राज्य सरकारों से विचार विमर्श करके कोई सार्थक कानून बनाने की पहल करेंगे। उन्होने यह भी कहा कि लघु और मध्यम समाचार पत्रों के लिये प्रस्तावित विज्ञापन नीति को लागू करने से पहले विभिन्न संगठनों से बात करके ही कोई निर्णय लेंगे। श्री राठौर ने यह आश्वासन आज 'इंडियन फैडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्टस' (आई.एफ.डब्ल्यू.जे.) के एक प्रतिनिधि मंडल को दिया। प्रतिनिधिमंडल में आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के उपाध्यक्ष श्री हेमंत तिवारी व श्री उमेश कुमार, प्रधान महासचिव परमानंद पाण्डेय एवं कोषाध्यक्ष रिंकू यादव शामिल थे।
आई.एफ.डब्ल्यू.जे. प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर सम्मेलन में पारित दो प्रस्तावों से संबंधित दो अलग अलग ज्ञापन कंद्रीय राज्यमंत्री श्री राठौर को दिये,पहला ज्ञापन पत्रकारों की सुरक्षा से संबंधित मजबूत कानून बनाने से संबंधित था। और दूसरा सरकार की नई विज्ञापन नीति से संबंधित था। पत्रकारों की सुरक्षा पर आई.एफ.डब्ल्यू.जे. ने मांग की है कि इस पर ऐसा कानून बनाया जाये जिससे गुण्डे, माफिया और असामाजिक तत्व उन पर हमला करने को सोच भी न सकें। और जो लोग उनपर हमला करें उन्हें कठोर दंड दिया जाये। इसके अलावा पत्रकारों को झूठे मुकदमों में फंसाने वाली एफआईआर दर्ज करने से पहले पूरी निष्पक्ष जांच सक्षम अधिकारी द्वारा करा ली जाये। देखा ये गया है कि जिन भ्रष्ट एवं असामाजिक तत्वों के कारण पत्रकार रिपोर्ट करता है, वे बौखला कर न केवल उनपर हमले करवाते हैं, बल्कि शासन प्रशासन से मिलकर उन्हें झूठे मुकदमें में भी फंसा देते हैं। आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की मांग है कि पत्रकारों के लिये जोखिम बीमा योजना हो जो कम कम से एक करोड रूपये की हो। पत्रकारों के दुखद निधन पर उनके परिवार को पर्याप्त अनुग्रह राशि और किसी सदस्य को नौकरी भी दी जाये।
विज्ञापन नीति
आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का मानना है कि सरकार की प्रस्तावित विज्ञापन नीति छोटे एवं मझले समाचार पत्रों के प्रति भेदभाव पूर्ण है, जबकि बडे समाचार पत्रों के लिये कोई शर्त नहीं रखी है. किन्हीं तीन समाचार एजेंसियों की अनिवार्यता पर भी आईएफडब्ल्यूजे ने अपनी आपत्ती जतायी है. संगठन से यह भी मांग की है कि सभी समाचार पत्र श्रम कानूनों का पूरी तरह पालन करें। और उन बडे समाचार पत्रों का विज्ञापन तुरंत बंद कर दिया जाये जिन्होने अभी तक मजेठिया वेज बोर्ड की सिफारशों को लागू नहीं किया है। कंद्रीय राज्य मंत्री ने करीब एक घंटे विस्तार से चली बातचीत के बाद प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि इन दोनों विषयों में कोई भी निर्णय लेने से पहले 'इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्टस' संगठन से विस्तृत विचार विमर्श किया जायेगा।
प्रेस रिलीज
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