Apr 11, 2016

सहारा की सच्चाई ... फिल्ड रिपोर्टर का दर्द

आदरणीय श्रधेय उपेन्द्र राय जी
माननीय सी इ ओ
सहारा प्रकासन समूह नॉएडा

आदरणीय उपेन्द्र जी सदर नमस्कार ,पत्र का मजमून काफी शिकायतों से भरा है पर सत्य की कसौटी पर लिखा गया है जो सबके दिलों की बात है हकीकत है इसमें कोई फ़साना नहीं है ,मीटिंग में सभी बातें नहीं कही जा सकती है लिहाज़ा इस हकीकत को पत्र के जरिये आपसब  तक संप्रेषित कर रहा हूँ ,हो सकता है पत्र के कुछ मजमून आपको गुस्सा दिलाये या फिर चैनल के लिहाज़ से आपके पद के लिहाज़ से अच्छी ना हो पर है सभी तथ्य पर खरे है, हर मीटिंग में यह बात उठती है की फिल्ड रेपोटरो को आई कार्ड दिया जा रहा है पर यह कभी हकीकत नहीं बन सका कई बार फोटो भी मंगाए गए लेकिन कभी कार्ड के दर्शन नहीं हो पाए  ठीक उसी तर्ज़ पर जैसे फ़ोनों के लिए दर्ज़नो बार फोटो मंगाए गए पर कभी फ़ोनों में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया स्टाफ़रो को छोड़कर



सहारा समूह में कहा तो जाता है की आपलोग  लोगो लेकर घूमते हो आप हमारा बिल्ला लेकर घूमते हो यानी अप्रत्यछ रूप से कहा जाता है की आप तहसीलदार हो पर हकीकत है की कुछ अपवादों को छोड़कर सहारा समूह में फ्राड पत्रकारों की संख्या बहुत कम है ,सहारा में कभी भी फिल्ड के पत्रकार को आगे आने का मौका नहीं दिया जाता ,उसे मज़बूत करने की कवायद कभी भी नहीं की जाती है ,जो अपने वजूद पर खरा उतरकर चैनल या पत्र  का नाम रोशन करने में सफल होता दिखाई देता है लोग उसे हासिये पर भेजने का पुख्ता इंतज़ाम कर डालते है ,अन्य दो टकिये  चैनल इसीलिए  आगे बढ़ रहे  है समाज में सरकार में प्रशासन में राजनीती  में उनका दबदबा बढ़  रहा है ,दुसरे यहाँ इमानदार की कभी इज्जत नहीं की जाती है ,दलालों चाटुकारों ,हरामखोरो को आगे बढाया जाता है ,और उन्ही को सभी महत्वपूर्ण जगहों पर काबिज़ किया जाता है ,क्युकी फिल्ड से लेकर ऑफिस तक उनकी अभी भी तूती बोल रही है ,इमानदार कभी अपने हेड को अपने छेत्र में महँगी शराब की बोतलें नहीं दे सकता है ,महंगे उपहार और मनुहार नहीं दे सकता है ,लेकिन वह ज़हां है वह आपको सलाम करनेवालों की संख्या में दस गुना अधिक बल मिलेगा आपके समूह का नाम होगा पर अपलोगो को नाम तो चाहिए नहीं ,पैसे चाहिए माल चाहिए इसीमे चैनल अखबार की लुटिया डूबी है ,पहले कहा जाता था की खबर चली है ,सहारा में है तब ठीक नहीं है  नही तो खबर फाल्स हो सकती है ,ऐसी विस्वसनीयता वाले समूह का वजूद है की आज आधे से ज्यादा जगहों पर इनकी उपस्थिती नहीं है ,क्यों ? यह सब भी दलाली के कारन हुवा है ,डेस्क पर बैठे लोगो को यह पता नहीं FIR और सन्हा में क्या अंतर है ,क्या वह आदमी डेस्क पर बैठने के काबील है ,लेकिन पैरवी पुत्रो के कारन पूरा डेस्क ही सडा  हुवा है ,एक बार कोई स्टोरी भेजता है तो कहा जाता है की इसमें विसेसग्य की बाईट नहीं है इसलिए यह स्टोरी नहीं चलेगी कल आप विसेसग्य के साथ भेजो बेचारा फिल्ड रेपोटर आदेश का पालन कर स्टोरी भेजता है स्टोरी चलती है पर उसमे विसेसग्य की बाईट नहीं होती ,कैसा लगेगा जब वह ४० किलोमीटर चलकर वह बाईक से उस बाईट को आदेश के अनुसार लाता है और नहीं चलता ? उनके हालत से डेस्क पर बैठे लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ता है ,दस स्टोरी चलेगी तो पैसा 5 का आयेगा ,मानवीयता के दृष्टीकोण से वैसे  लोगो को दोजख में भी जगह नहीं मिलेगी ,उनके बाल बच्चो को लकवा मार जायेगा ,पत्नी की किडनी फेल हो जाएगी जो इन फिल्ड  रेपोटरो का पैसा अपने मन मुताबिक अवैध ढंग से काट डालते है ,क्युकी उन्हें सिर्फ दूसरो की जेब काटने की सलाहियत है बाकी काम में डब्बा है ,
सारे चैनल कहाँ से कहाँ चले गए पर हमारे सहारा में व्हाट्स अप पर न्यूज़ नहीं लिया जा सकता है ,मेल कीजिये FTP कीजिये अरे भाई कम्पितिसन का जमाना है फिर फिल्ड से न्यूज़ कैसे जायेगा ? और फिर आजतक ETV से अपनी तुलना करने लगते  है ,अभीतक हमारे यहाँ बिल बनते है जबकि यह बात आउट डेटेड हो चुकी है ,बिल भेजो तब पैसा आयेगा क्या माज़रा है ज़बकी अपने मन से पैसा भेजते हो ? फिर चेक  आयेगा, 20  दिन चेक ब्यूरो में पड़ा रहेगा, कोई बोलेवाला नहीं ,जबकि सभी चैनलों में पैसा सीधे एकौंट में आता है ,बिल बनने का लफडा क्यों ? यहाँ से स्टोरी भेजो और आई डी लो यह आई डी क्या है भाई ? इसके लिए सात सात बार फोन करना पड़ता है ,क्यों ? कोई एकौंतीब्लिटी है क्या ?
छोटे से छोटे अखबार चैनल में मीटिंग होती है खाना खिलाया जाता है ,आने जाने का बिल दिया जाता है पर यहाँ का हाल देखिये - समोसा खिलाकर मीटिंग ,क्या है यह आने जाने का कोई हिसाब नहीं ,रांची ब्यूरो का हाल देखिये जब भी ब्यूरो बदला ऑफिस बदल गए धीरे धीरे ऑफिस का भवन इम्फिरियर होता गया और किराया बढ़ता गया क्यों ? क्युकी उसमे कमिसन जुड़ता गया दलाली का प्रतिसत ऊपर जाता रहा ,तब ऑफिस तो खराब होगा ही ,लेकिन कोई चैनल हेड  ने आजतक इसपर सवाल नहीं उठाया क्यों ? क्युकी उनका हिस्सा  भी इसमें बंधा होता है ,बोलेंगे क्यों ? यही से इतने बड़े चैनल की अवनति शुरू हो गयी ,जहाँ भी मीटिंग इटिंग शुरू हुई दलाली की रकम  बांध दी गयी और पत्रकारों के हेड, कोई रिख्सावाले का नहीं ,को इसका पता नहीं क्यों क्या वह प्रेसवाले का हेड बन्ने की सलाहियत रखता है ? या फिर मैनेज हो गया तब भी वह चैनल हेड रहने के काबील नहीं ,उसे इन सब बातो से ऊपर टाईट रहना है तभी चैनल भी टाईट रहेगा पर यहाँ क्या यह सब है ,चिंदी चोर रेपोटरो को न्यूज़ करने के लिए गाडी क्यों ? क्या सभी चैनेल में ऐसा ही है क्या ? नहीं फिर यहाँ क्यों ? क्युकी सभी में दलाली की रकम शामिल है ,स्ताफरो के लोए इतनी सुविधा और फिल्ड  रेपोतर के लिए एक आई कार्ड तक नहीं ,बल्कि उसके कमाए पैसे भी ये स्टाफर काट लेते है ,यही से फिल्ड रेपोटरो का हाय चैनेल को लगने लगा ,सहारा श्री को भी यही हाय लगा है ,
अब आठ  मार्च २०१६  पटना  मीटिंग  को देखिये  एक आदमी  को  ऑन स्पोर्ट  प्रमोसन  मिला सुमित कुमार  को क्यों ? इसलिए की उसने तरफदारी  में जान  लगा  दिया ,यही  होता  है  सहारा  में किसी  आदमी  को  पत्रकारिता  के  लिए  यह  गौरव  नही  पाया ,पूरे  झारखण्ड  बिहार  में कोई  तो  होगा  पर  उसे  नहीं  मिलेगा  ,अब आपही  बताईये  की इस  प्रेरणा  में  क्या  है  पत्रकारिता  के  लिए  समर्पित  होने  के  लिए  या चमचागिरी  के  लिए ,आपने  भाषण  में  कहा  की इमानदारी   से काम  कीजिये , किस काम  के  लिए पत्रकारिता  या  कुछ  और  ? यहाँ  सदा  से  यही  होता  रहा  है ,दलाली  सभी  कार्यो  से लेकर  इमानदारी पर  भारी  पड़ता  रहा  है ,
कभी FTP खराब तो कभी मेल नहीं मिलता है ,यहाँ के अकर्मण्य लोग फिल्ड रेपोटरो का शोसन करते है ,फिल्ड रेपोतर को स्ट्रिंगर कहते है जबकि फिल्ड में काम करनेवाले ज्यादातर लोग ज्यादा अनुभवी है ,आपलोग भी दबाव बनाते है की आपका ब्यूरो चीफ ही आपका बोस है वही आलवेज़ राईट है ,पर यह गलत है ,व्यवसाय या मेनेजमेंट के छेत्र में बोस इस आलवेज़ राईट होता है पत्रकारिता में नहीं ,क्युकी पत्रकारिता में सीनियर ,बोस ,अधिकारी होता रहेगा तब कभी भी न्यूज़ नही बनेगा ,क्युकी रेपोतर में हीन भावना घर कर जायेगी ,ऐसे में क्या वह राष्ट्रपति प्रधान मंत्री के खिलाफ न्यूज़ बना सकेगा ? जिले के डी एम् को सर सर कहते नहीं थकेगा ,फिर आपका वजूद कहाँ जायेगा ? जहाँ पहुच चूका है ,साहबजी अपने फिल्ड रेपोटरो को मज़बूत  बनाईये आपका चैनल आसमान की बुलंदियां छुवेगा ,कोई माय का लाल टच नहीं कर सकता ,पर आपलोग फिल्ड के लोगो को मज़बूत बनने से डरते है और इसी दर ने सभी को रुसवा कर दिया ,अभी ही देखिये पहले सभी जिले में चैनल को चालू करवाना चाहिए था ,फिर रेपोटरो का कार्ड इशु होना चाहिए था फिर मीटिंग होनी चाहिए थी ,पर कोई कोरम पूरा नहीं किया गया ,आपलोग वही बात ,कि  अहम् ब्रमाष्मी की तर्ज़ पर की हमसे ज्यादा किसकी बुद्धि है ? पर मीटिंग रख दिया ,हर आदमी आपके सामने बोल नहीं सकता है जबकि मेरे इस पत्र में सबकी राय शामिल है ,आपलोग पत्र से भी अपनी राय मंगवा सकते थे पर ऐसा करना अपलोगो ने कभी भी मुनासीब नहीं समझा ,इसीलिए जिस चैनेल के पास भारत  का सबसे उम्दा मशीनरी उपलब्ध है वह सबसे इम्फिरियर है ,क्यु ?
विशेष आपका शुभेच्छु
ज्ञान प्रकाश सिन्हा
झारखण्ड
reporterkhufia@gmail.com

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