Apr 6, 2016

पत्रकार प्रसून लतांत लाला जगत ज्योति प्रसाद स्मृति सम्मान से सम्मानित






मुंगेर। जानेमाने पत्रकार और जनसत्ता के महानगर संस्करण के संपादक प्रसून लतांत को मुंगेर के सूचना भवन में आयोजित समारोह में लाला जगत ज्योति प्रसाद स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान लाला जगत ज्योति प्रसाद की 18 पुण्य तिथि पर दिया गया। उनके अलावा यह सम्मान मुंगेर के युवा कवि कुमार विजय गुप्त को दिया गया। सूचना भवन में आयोजित समारोह में यह सम्मान सूचना एवं जनसंपर्क के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय ने दिया। सम्मान समारोह की अध्यक्षता डॉ मृदुला झा ने की। समारोह के विशिष्ट अतिथि थे प्रसिद्ध समाजसेवी राजकुमार सरावगी तथा विशिष्ट अतिथि थीं मंजू सिन्हा।

सम्मान समारोह में अपने उद्गार व्यक्त् करते हुए प्रसून लतांत ने कहा कि मीडिया में वंचितों तथा आमलोग हाशिए पर हैं। उनके सवाल मुखरता से स्थान लेते नहीं दीखते। ऐसी स्थिति में लोगों को जगहजगह पाठक मंच बनाकर जनदवाब की स्थिति बनानी चाहिए। लाला जगत ज्योति प्रसाद को तो उन्होंने देखा नहीं, पर उनकी कहानी अनेकों लोगों की जुवानी से सुनी है। लोग कहते हैंकि वे सरल और संवेदनशील थे। जब तक व्यक्ति संवेदनशील नहीं होगा तबतक वह सुंदर और प्रभावकारी ढंग से लिख नहीं सकता। लाला जगत ज्योति प्रसाद का इस जरिए से मूल्यांकन करने की जरूरत है। वहीं कुमार विजय गुप्त ने सम्मानित करने के लिए आयोजको के प्रति आभार व्यक्त् किया।

सम्मान अपर्ण करने के उपरांत सूचना एवं जनसंपर्क् के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय ने कहा कि मुंगेर साहित्यक और सांस्कृतिक महत्व का स्थान है। यहां दिवंगत पत्रकारों को याद करने की परंपरा अनोखी है। मुंगेर के आयोजनों में आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्रा स्मृति समारोह और लाला जगत ज्योति प्रसाद स्मृति समारोह महत्वपूर्ण है। इन विभूतियों के सही मूल्याकन और उनकी स्मृति को  जिंदा रखने के लिए दस्तावेजीकरण का काम किया जाना चाहिए। जबकि राजकुमार सरावगी ने लाला जगत ज्योति प्रसाद को सहजता और सरलता की प्रतिमूर्ति बताया। वहीं मंजू सिन्हा ने उनके व्यक्त्त्वि के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। 

वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने कहा कि वे संवेदनशील थे और साहित्य तथा पत्रकारिता की पहली शर्त संवेदनशीलता है।प्रसून लतांत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वे वरिष्ठ पत्रकार हैं लेकिन पिछले 35 सालों से देश के विभिन्न हिस्सों में रचनात्मक कार्यों के जरिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों के बीच करते रहे हैं और इनके लिए आज भी पत्रकारिता मिशन है। अपने रचनात्मक कार्यों के जरिये साक्षरता प्रसार, असहायों की मदद, स्थानीय नेतृत्व का निर्माण कर सामूहिक प्रवृतियों को बढ़ावा देने के कार्यों में लगे हुए हैं। वे 1974 के छात्र आंदोलन से जुड़े और आपातकाल में भी हिम्मत के साथ युवाओं को संगठित करते रहे। बाद में गंगा मुक्ति आंदोलन से भी जुड़े और इस आंदोलन की कामयावी के लिये भी लिखते रहे और आंदोलन में भी भाग लेते रहे।

गांधी विचार में भागलपुर विश्वविघालय से एम. करने के बाद जनसत्ता राष्ट्रीय दैनिक में रहकर प्रसून लतांत गांधीजी के विचारों, आंदोलनों और उनसे जुड़े स्थलों पर हजारों लेख और खबरें लिख चुके हैं, जिनके लिये विभिन्न गांधीवादी संस्थाओं से विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किए गये हैं। उन्हें गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा रचनात्मक कार्यों के लिये स्वामी प्रणवानंद शांति पुरस्कार प्रदान पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार प्रदान कर चुकी हैं। इन्हें पत्रकारिता और समाज सेवा दोनों क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार मिला है I इन्हें चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इन्हें सामाजिक सरोकार से जुड़े रिपोर्टिंग के लिए पुरस्कृत किया गया था, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा विकास पत्रकारिता एवार्ड से सम्मानित, धर्मशाला में हिमाचल केसरी एवार्ड से सम्मानित, उद्यन शर्मा पत्रकारिता एवार्ड, मायाकोणि अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता एवार्ड, अखिल भारतीय पंचायत परिषद, नई दिल्ली द्वारा सम्मानित, गांधीयन पत्रकारिता के लिये येलो अम्ब्रेला कंपनी, मुम्बई द्वारा सम्मानित आविद हुसैन रचनात्मक लेखन और पत्रकारिता सम्मान किया गया है। इनके सम्मान से पूरा अंग जनपद गौरवान्वित है।

वही प्रभात मिलिन्द् ने कुमार विजय गुप्त के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित किया। समारोह में सुधांशु शेखर ने लाला जगत ज्योति प्रसाद के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित किया। इसके बाद आरंभ हुआ कवि सम्मेलन का दौर। युवा कवयित्री यशस्वी विश्वास ने जब अपनी रचना —'कुछ नए गम हबीब हो गए,फासले दिलो के करीब हो गए में सुनाया तो पूरा तालियों की गड़़गडाहट से गूंज उठा। वहीं भागलपुर से  आयी माहे लका ने अपने अंदाज में —' ज्योत से ज्वाला बन सकती है बेटी हिन्दुस्तान की' सुनाया तो पूरे माहौल में उत्साह का संचार हो गया। मुंगेर के शायर अनिरूद्ध सिन्हा ने तरन्नुम में पेश की गयी गजल से अपनी खास छाप छोड़ी। वहीं मृदुला झा ने गांव पर केन्द्रित अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस मौके पर किरण शर्मा, कुमार विजय गुप्त, फैयाज रश्क, यदुनंदन झा द्विज, लाडले शायन, कुमार कर्ण, इकवाल हसन इकवाल,तारिक मतीन, एहतेशाम आलम, विकास,एसबी भारती, निरंजन शर्मा आदि कवियों ने रचनाओं का पाठकर भाव और वोध को अभिव्यक्ति प्रदानकी।समारोह में कमर अमान, कमर आलम, मधुसूदन आत्मीय, नरेशचंद राय, प्रकाश नारायण, नारायण जलान, विदुशेखर,सृष्टि  अदि ने हिस्सा लिया। समारोह का समापन प्रो शब्बीर हसन के उद्वोधन से हुआ।

सज्जन कुमार गर्ग की रिपोर्ट. 

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