Mar 31, 2016

रोहित वेमुला के पत्र की पंक्ति 'आई एम् वेकेंट...' झंकृत करती है : केदारनाथ सिंह







बारासात : हिंदी कविता में पश्चिम का आतंक कम हो रहा है। ग्लोबल के विरुद्ध लोकल की आवाज तेज हुई है। वंचित, पीड़ित और हाशिए पर पड़े लोग प्रतिवाद कर रहे है। हिंदी पट्टी से ही नहीं, हिंदीतर प्रदेश के सुदूर गाँव से भी हिंदी कविता आ रही है और धूम मचा रही है।  मुझे हैराबाद विश्वविधालय का दलित छात्र  रोहित वेमुला के पत्र की वह पंक्ति  आई एम् वेकेंट...भी झंकृत करती है। इससे बड़ी कविता और क्या हो सकती है। यह कहना है ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत और हिंदी के शिखर कवि प्रो. केदारनाथ सिंह का।

Mar 19, 2016

झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने वाहनों पर फर्जी प्रेस लिखने वालों पर कार्यवाई की मांग की

रांची: प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों फर्जी पत्रकार बनने और बनाने का गोरख धंधा तेजी से बढ़ता जा रहा है .सड़कों पर दिखने वाली हर चौथी गाड़ी में से एक गाड़ी में जरूर प्रेस लोगो दिखता नजर आ जाएगा, कई शहरों में अब तो पुलिस ने ऐसे फर्जी पत्रकारों के गैंग सहित उनकी बिना कागजात वाली गाड़िया भी सीज करनी शुरू कर उनके फर्जी आईडी प्रेस कार्ड के आधार पर मुकदमा भी लिखना शुरू कर दिया है. सरायकेला जिला में भी पुलिस ने कई ऐसे वाहन पकड़े हैं. प्रेस  लिखकर कई अपराधी और नक्सली भी पुलिस से बचने का प्रयास करते हैं.फर्जी लोग अपनी गाड़ियों में बड़ा बड़ा प्रेस का मोनोग्राम तो लगाते ही है साथ ही फर्जी आईडी कार्ड भी बनवाकर अधिकारियो व लोगो को रौब में लेने का प्रयास भी करते है,

कांग्रेस-भाजपा को सत्ता चाहिए वह घोडे या गधे किसी पर भी सवार होकर आये

पुरुषोत्तम असनोड़ा    

उत्तराखण्ड में सरकार, विपक्ष और मीडिया के लिए मुद्दों का लगातार टोटा बना हुआ है। इसीलिए 15 साल में पहाडों के गांव खाली होने, मैदानी कृषि पर आवासीय व्यवस्था का बोझ बढने और खेत-खलिहानों के बंजर होने सहित तमाम समस्याओं के बजाय सतही मुद्दे उछालने और उसी बहस को लगातार परोसने, बनाये रखने में किसका हित है क्या कोई बतायेगा? एक निरीह जानवर जिसे शक्तिमान कहा जा रहा है पुलिस स्कैडन का कांस्टेबल दर्जे का घोडा है जिसे भारतीय जनता पार्टी के 14 मार्च को हुए विधान सभा घेराव के दौरान विधायक गणेश जोशी द्वारा लाठी से पिटने के बाद पैर टूटने की बात कही जा रही है। एक निरीह जानवर के साथ बर्बरता की कठोर शब्दों में निंदा होनी चाहिए। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाले पुलिस  को उस पर एफआईआर मिल चुकी है और उसे सम्यक कार्यवाही करनी चाहिए।

पत्रकारों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जायेगा


सीतापुर। सौहार्द/स्थायी समिति निष्पक्षता पूर्वक जनपद में अभी तक न बनाये जाने को लेकर मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के अध्यक्ष अशोक यादव की अगुवाई में जनपद के मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने सूचना अधिकारी का विरोध जताते हुए प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समस्त जनपदो के सूचना अधिकारियों को निर्देशित किया था कि पत्रकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जनपदों में स्थायी समिति का गठन जाना था। जो अभी तक नहीं किया गया और न ही इस सम्बन्ध में जनपद के समस्त पत्रकारों को बुलाकर सहमति ली गयी। जबकि प्रत्येक माह में सौहार्द को बनाये रखने के लिए बैठक किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

Mar 18, 2016

Sharman Joshi to play “Ram Bhai” in a newly launched comic flick

Disco King Bappi Lahiri dons a musical launch for a comedy flick produced by Sanjay Patel and directed by Goving Sakariya with Sharman Joshi, Nyra Banerjee, Ashima Sharma in key roles with Rajpal Yadav and Prem Chopra.

After a little exercise with his creative team, film director Govind Sakariya finally discovered a chilling title “Ram Bhai” perfect for his most ambitious hilarious comedy. ‘Sabstar Movies’ Hindi maiden venture “Ram Bhai” was launched with final 5th song recording at the Empire studio, Mumbai by renowned Music Director Bappi Lahiri in the voices of Raja Hasan and Bhoomi Trivedi. Earlier to this, other four songs were already recorded in the voices of Irfan, Palak Muchhal, Sadhana Sargam and Bappi Lahiri.

भाजपा विधायक बनाम शक्तिमान घोड़ा : कभी गुस्सा कभी प्रेम

-विनय श्रीकर-
उत्तराखंड के भाजपा विधायक गणेश जोशी 'मशहूर' गुस्सेबाज हैं। इससे पहले कई बार मनुष्य भी उनके गुस्से का शिकार बन चुके हैं। अब विधायकश्री खुद को भोलाभाल इंसान साबित करने के जतन में लगे हैं। लेकिन उनकी यह वीरगाथा अब उनके गले की फांस बन गयी है। खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होेन इस प्रकरण की जो वीडियो फुटेज देखी है, उसमें विधायक घोड़े 'शक्तिमान' पर बेरहमी से लाठी का प्रहार कर रहे हैं। रावत शक्मिान का हालचाल लेने पुलिस के पशु अस्पताल भी गये थे। दूसरी ओर, विधायकश्री और कई अन्य उन्मादी भाजपाइयों के खिलाफ केस दर्ज किये जाने के बाद देहरादून के पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते ने पत्रकारों को बताया कि मैंने भी पूरे प्रकरण की वह वीडियो ध्यान से देखी है, जिसमें गणेश जोशी घोड़े की टांग पर लाठी से वार करते साफ-साफ दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणेश जोशी और अन्य लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। देहरा्दून के एक स्थानीय समाचारपत्र के अनुसार इस घटना को लेकर पुलिसकर्मियों में भी खासा असंतोष है।

पत्र-साहित्य और भगतसिंह

राजशेखर व्यास
भारतीय साहित्य में पत्र-साहित्य पर बहुत कम कार्य हुआ है । आम तौर पर पत्र को साहित्य मानने का रिवाज भी हमारे साहित्य में कम ही है । यूरोपीय देषों में पत्र-साहित्य पर बहुत कार्य हुआ है । चाहे महापुरूशों के प्रेम-पत्र हों या उनके आपसी वाद-विवाद के पत्र, प्रायः सभी प्रकार के पत्र प्रकाषित हुए हैं और उन पर पर्याप्त चर्चा भी हुई है । मेरा भी यह मानना है कि पत्रों में मनुश्य प्रायः अपना हृदय खोलकर रख देता है, बषर्ते कि ‘वह बहुत चतुर राजनेता या कोई खतरनाक कूटनीतिज्ञ न हो । साहित्यकारों के पत्र प्रायः भावनाओं के ओत-प्रोत, संवेदनषील और दिलचस्प हुआ करते हैं । यों पत्र-साहित्य बहुत प्राचीन काल से पत्रात्मक षैली में लिखे काव्य, महाकाव्य तथा ग्रंथों में उपलब्ध होते हैं । ‘मेघदूत’ व ‘दूतकाव्य’ इसके अच्छे उदाहरण हैं । हिंदी साहित्य में जवाहरलाल नेहरू द्वारा संपादित पुस्तक ‘कुछ पुरानी चिटिठ्यॉं’ पत्र-साहित्य में बेहद महत्वपूर्ण कृति है, जिसमें पंडितजी ने अपने विरोधियों के पत्र भी पूरी ईमानदारी और षिद्दत के साथ षामिल किए हैं ।’

विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च पर खास : मेरी यादों में है गौरैया का वह घोंसला

प्रभुनाथ शुक्ल

उस दिन मुझे बेहद खुशी हुई जब गौरैयों का एक जोड़ा फुर्र-फुर्र करता आया और घर के बारामद में एक छोर पर लगे आइने में बार-बार चोंच से हमला कर चींचीं का शोर मचाने लगा। कभी आइने में चोंच मारती तो कभी नीम के पेड़ के नीचे रखी मिट्टी की हंडी में रखे पानी को अपनी चोंचों से निगलती। बच्चों की ओर से गौरैयों से खेलने और विनोद प्रियता के लिए कभी-कभी चावल के दाने आंगन में बिखेर दिए जाते हैं। उसे चूंगने के लिए गौरैयों के कई जोड़े आ धमकते। जैसे उन्हें चावल चूंगने का आमंत्रण दिया गया हो। अब गौरैयों ने बरामदे के झरोंखे में घास-फूंस का घोंसला भी तैयार कर लिया है। घर के बच्चे उसका पूरा खयाल रखते हैं।

सूफीमत की ‘रूहानियत’ ही अध्यात्म-विज्ञान

जब आतंकवाद को सूफीवाद से खत्म किये जाने की बात कही जा रही है, ऐसे में आध्यात्मिक क्रान्ति से कदाचार (अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचारादि) का अंत करने की बात होना, यह सिद्ध करते है कि सूफीमत की रूहानियत ही अध्यात्म-विज्ञान है। यह भी संयोग ‘परवरदिगार’ ने तय किया  ‘‘कदाचार पूर्ण दुर्घर्ष दौर में ‘आर्ट आॅफ लिविंग का विश्व सांस्कृतिक महोत्सव’ एवं ‘विश्व सूफी कांफ्रेंस’  का आयोजन हो’’, यही संयोग रूहानी यानी अध्यात्म ‘‘क्रान्ति’’ के आगाज की ओर इसारा करता है।

Mar 11, 2016

ठाकरे की ठकुरई

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से बुधवार को कहा है कि राज्य में जो नए पंजीकृत रिक्शा ग़ैर मराठी चला रहे हैं उन्हें जला दें. ठाकरे के इस बयान पर सभी पार्टियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. गैर-मराठियों को ऑटो रिक्शा के परमिट मिलने से जुडी राज ठाकरे की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए विपक्षी कांग्रेस और राकांपा ने आज उनपर 'घृणा की राजनीति' करने का आरोप लगाया. दिग्विजय सिंह ने बाल ठाकरे के पिता केशवराव ठाकरे की ओर से लिखी गई किताब को आधार बनाकर जो खुलासा किया था उससे ठाकरे परिवार की बोलती कबकी बंद हो जानी चाहिए थी।

Mar 7, 2016

More than 2000 workers rallied in the capital to raise their demands in front of the Central and Delhi state government, Effigies of Modi and Kejriwal burnt!




New Delhi| 7 March 2016| Thousands of workers participated in a massive rally and demonstration organized in the capital on Sunday under the banner of 'Delhi Mazdoor Union'. The workers raised their demands in front of Modi led central government and Kejriwal led state government. Effigies of Modi and Kejriwal were burnt by the demonstrators.

दो युवा चित्रकारों धीरज और अमित ने यूपी को फिर राष्ट्रीय कला जगत में पहचान दिलाई, होंगे सम्मानित

लखनऊ : एक बार फिर दो युवा कलाकारों धीरज यादव और अमित कुमार ने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय कला जगत में पहचान दिलाई। ललित कला अकादमी नई दिल्ली के 57वें राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में  पुरस्कार से धीरज यादव और अमित कुमार सम्मानित किया जायेगा। ज्ञातव्य हो कि ललित कला अकादमी नई दिल्ली हर वर्ष वार्षिक कला प्रदर्शनी का आयोजन करती जो की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है।

यूपी में मिशन कांग्रेस पूरा करेंगे प्रशांत किशोर, राहुल को अब नेताओं पर नहीं बल्कि रणनीतिकारों पर भरोसा

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस फिर से खड़ी होना चाहती है। इसके लिये 2017 के विधान सभा चुनाव से बेहतर मौका और क्या हो सकता है। वैसे यह पहला प्रयास नहीं है और आखिरी भी नहीं होगा। करीब दो दशकों से यह सिलसिला चला आ रहा है। परम्परागत रूप से किसी  भी चुनाव से पूर्व कांग्रेसी वापसी का ढिंढोरा पीटने लगते हैं। यह और बात है कि जब नतीजे आते हैं तो कांग्रेस जीत तो दूर तीसरे/चौथे स्थान पर दिखाई देती है। हर हार के बाद  कुछ समय के लिये कांग्रेसी खामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं और दिन बीतने के साथ चादर खिसकती जाती है। जब कांग्रेसियों के पास कोई वीजन नहीं होता है तो जनता को बार-बार नेहरू-गांधी परिवार की कुर्बानी की याद दिलाकर भावनात्मक रूप से ब्लैकमेंल किया हैं। एक समय था उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास जनाधार वाले तमाम नेताओं की लम्बी-चौडी फौज हुआ करती थी।

कुंभ से भी ज्‍यादा महत्‍व है सिंहस्‍थ का!

उज्‍जयिनी के कुंभ को अन्‍य कुंभों से अधिक महत्‍व प्राप्‍त है क्‍योंकि इसमें सिंहस्‍थ भी समाहित है। सिंहस्‍थ महात्‍म्‍य में उज्‍जयिनी में सिंहस्‍थ पर्व के लिए दस योगों का होना आवश्‍यक माना गया है। सिंहराशि पर गुरू नहीं होने की स्‍थिति में यहां यह पर्व नहीं मनाया जा सकता। अन्‍य नवयोग होने पर भी यह पर्व नहीं होता। यहां सिंह राशि में गुरू की स्‍थिति को परम तेजस्‍वी माना गया है, तभी यहां के पर्व का नाम कुंभ पर्व न होकर सिंहस्‍थ है... इस सिंहस्थ और क्षिप्रा स्‍नान के महत्‍व को बता रहा हैं राजशेखर व्‍यास...

इस joke का fm जेटली के बजट, सरकारी कर्मियों के वेतन और इन्कम टैक्स से कोई ताल्लुक नहींं है

एक बार डाकुओं ने अपने यहाँ कवि सम्मलेन कराया.

जिस कवि ने जो पारिश्रमिक माँगा उससे दुगुना उनको दिया.

जब कवि लोग लौट रहे थे तो उन्हें डाकुओं की एक टुकड़ी ने रास्ते में रोक कर लूट लिया.

जब कवियों ने उनसे पूछा की अगर लूटना ही था तो पहले दिया क्यों.

डाकुओं का कहना था पारिश्रमिक देना हमारा धर्म था और अभी उसको लूटना हमारा पेशा है...!!!

नोट : इस कहानी का फाईनेंस मिनिस्टर जेटली, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और इन्कम टैक्स से कोई ताल्लुक नहीं है.

अदभुत हैं पीयूष गोयल, पांच तरीके से लिख दी पांच पुस्तकें







उल्टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्के रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण ( शीशे‌ ) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को पीयूष गोयल ने लिखा है। मिलनसार पीयूष गोयल मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

साक्षात्कार : डॉ. महेश चन्द्र शर्मा



कोई चीज़ स्वदेशी है इतने मात्र से ही वह ग्राहीय नही होती हैं। विदेशी होने मात्र से त्याज्य और स्वदेशी होने मात्र से ग्राहीय ऐसा दीनदयाल जी नहीं मानते हैं। छुआछूत भी स्वदेशी है, लेकिन वह ग्राहीय तो नहीं है। इसलिए जो स्वदेशी है उसे युगानुकूल यानी युग के तर्क के अनुकूल बनाना और जो विदेशी है उसको देशानुकूल बनाना चाहिए। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति और इसके दर्शन का एक ऐसा नाम है जिसने जनसंघ के मंच से भारत को एकात्म मानववाद के दर्शन के साथ-साथ अर्थायाम् के रहस्य और राष्ट्र जीवन की दिशा को प्रदर्शित करने का सकारात्मक प्रयास किया है। उनके ये विचार और राज-व्यवस्था के पैमाने भारत की किसी भी सरकार के लिए अपनाना यहां की प्रजा के लिए एक सुखद व हितकर हो सकता है।

Paradise for cinema lovers in Delhi

Cinema lovers had a treat recently as audience of Delhi saw acclaimed filmmaker Keshav Raina’s two films getting screened at the BRICS Film Festival 2016. The festival organized from 19-26th February jointly with the Russian Centre of Science and Culture saw considerable number of people gathering to see Keshav’s short films. Many veterans present at the event said that films like these are the need of the hour and these issues need immediate redressal.

वाम-दक्षिण मार्ग विशुद्ध राष्ट्रधारा के तटबन्ध!

बीती शाम एक विवाह समारोह में गया था, तमाम रचनाकारों, इतिहास, विज्ञान, गणित, भाषादि विषयों के मर्मज्ञ चर्चा कर रहे थे- विषय था मात्र ‘कन्हैया’। लीलापुरुषोत्तम श्रीकृष्ण के प्रेमास्पद यदुवंशी कवि महोदय अपने इष्टवत् जेएनयू के कन्हैया का यशोदान करते नहीं अघा रहे थे। वहीं दक्षिणपंथी चिन्तन के धनी ओमास्पद भृगुवंशी गीतकार महोदय सियासी अंदाज में राष्ट्रवाद की दुहाई दे रहे थे। परस्पर ‘वाद’ में विकृतिभाव का प्रतीक ‘वि’ उपसर्ग जुड़ा तो ‘विवाद’ उत्पन्न होने लगा। वहां मौजूद दर्पण रूप बुद्धिजीवियों के समूह से दोनों के भाव टकराकर ‘रिफ्लेक्शन’ स्वरूप ‘प्रति’ उपसर्ग ‘वाद’ में जुड़ गया और सामने आ गया ‘प्रतिवाद’। धीरे-धीरे कन्हैया के ‘मंडन-खंडन’ प्रतिवाद में लोग भोजन कर जाते और नये आते गये किन्तु प्रतिवाद चलता रहा, जल रहा है, चलता रहेगा।

हां मैं नारी हूं... कौन कहता है कि अबला हूं

महिला दिवस 08 मार्च पर खास लेख

आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की सुरक्षा अधिक चिंता और बहस का केंद्र बिंदु बन गया है। यह सवाल संसद से लेकर सड़क तक तैर रहा है। नारी मर्यादा को उघाड़ने वाली कुछ बारदातें हमारी संस्कृति को दुनिया के सामने नंगा किया है। महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को लेकर भारत दुनिया के निशाने पर है। दिल्ली निर्भयाकांड हो उबर कैब या फिर बदायूं जैसे अपराध पर संयुक्तराष्ट भी चिंता जता चुका है। बदायूं कांड विदेशी मीडिया की सुर्खियां बन चुका है। अब विदेशी मीडिया भारत में घटती इस तरह की घटनाओं में अपना बाजार तलाश रहा है। स्वतंत्र फिल्मकार लेज्ली उडविन की ओर से दिल्ली गैंगे रेप पर तैयार की गयी डाक्यूमेंटी ‘‘इंडियाज डाटर‘‘ इसका उदाहरण है।

Mar 1, 2016

बजट, किसान और भ्रष्टाचार

विवेक दत्त मथुरिया

मोदी सरकार का दूसरा बजट देश के सामने है और उसे किसान हितैषी बजट माना जा रहा है। बड़ा सवाल यही है कि वाकई बजट में किसानों को होने वाली परेशानियों का निदान हो पाएगा? दवा का जिक्र तो है पर प्रभाव और निदान की गारंटी नजर नहीं आ रही है। कारण योजनाओं में भ्रष्टाचार। सरकार भ्रष्टाचार के इलाज को लेकर खामोश है। बैंकों को दलालों से मुक्त करना होगा, जिसकी कोई प्रभावी कार्य योजना सरकार के पास नहीं है। यही वजह है कि किसानों से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद किसानों तक पहुंचने की बजाय दलाल और योजना से जुड़े संबंधित विभाग के भ्रष्ट बाबुओं और अधिकारियों के बीच बंदर बांट हो जाती हैं।

NUJ(I) delegations calls on President of India


New Delhi: A high level delegation of National Union of Journalists (India) called on President of India Shri Pranab Mukherjee and demanded enactment of a Journalists Protection Law and constitution of Media Commission and Media Council. The delegation, led by NUJ(I) president Ras Bihari, also presented him a memorandum containing major demands of journalists. The delegation consisted of eight members including former NUJ(I) president Dr Nandkishore Trikha, National Treasurer Dadhibal Yadav, Press Association secretary Manoj Verma, DJA president Anil Pandey, general secretary Anand Rana, NUJ national executive member Pramod Majumdar and Sushri Seema Kiran.

असली चैनल हेड कौन ?

एक बड़े मीडिया ग्रुप के मध्य प्रदेश चैनल के भोपाल रिपोर्टर और नोएडा में बैठे चैनल हेड के बीच वर्चस्व की लड़ाई अब सामने आने लगी है। जिस चैनल हेड ने प्रदेश की कमान सम्भालते ही पूरे घर को बदल डालूँगा की तर्ज पर सबसे पहले नोएडा डेस्क पर काम करने वाले फिर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई जिलो के रिपोर्टर और स्ट्रींगर की छुट्टी बगैर किसी कारण कर दी थी, और अपने मुहरे बतौर एक खास समर्थक को भोपाल ब्यूरो बनाकर बैठा दिया था, अब वही अपने बॉस को आँखें दिखाने लगा है।

मुस्कराइये कि आप डेढ लखिया हो गये, मलेठा और नैनीसार की बात जेल भेजेगी

पुरुषोत्तम असनोड़ा

उत्तराखण्ड में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय एक लाख चौवन हजार आठ सौ अठ्ठारह रु अनुमान है जो गत वर्ष की 139184रु से 7.6 प्रतिशत अधिक है। 7.65 प्रतिशत विकास दर ंसे राष्ट्रीय औसत के लगभग है जबकि प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से राष्ट्रीय औसत 93231रु है। अर्थ एवं संख्या निदेशालय के आंकडे 2011-12 से लगातार बढोतरी प्रदर्शित कर रहे हैं। 2011-12 में उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति औसत आय 85372रु थी।

Extreme Neglect to School Education: Budget 2016-17 a Big Disappointment, says RTE Forum

New Delhi, RTE Forum: The Right to Education (RTE) Forum (a civil society collective of over 10,000 organisations) has expressed serious concern on ignorance of the central government towards education reflected in the Union Budget presented today. Mr. Ambarish Rai, National Convenor of RTE Forum told that it’s really disappointing budget for education; and ignores the promises made to make education accessible for each and every children.

सहिष्णुता मीडिया का गुण-धर्म

मनोज कुमार

समाज में जब कभी सहिष्णुता की चर्चा चलेगी तो सहिष्णुता के मुद्दे पर मीडिया का मकबूल चेहरा ही नुमाया होगा. मीडिया का जन्म सहिष्णुता की गोद में हुआ और वह सहिष्णुता की घुट्टी पीकर पला-बढ़ा. शायद यही कारण है कि जब समाज के चार स्तंभों का जिक्र होता है तो मीडिया को एक स्तंभ माना गया है. समाज को इस बात का इल्म था कि यह एक ऐसा माध्यम है जो कभी असहिष्णु हो नहीं सकता. मीडिया की सहिष्णुता का परिचय आप को हर पल मिलेगा. एक व्यवस्था का मारा हो या व्यवस्था जिसके हाथों में हो, वह सबसे पहले मीडिया के पास पहुंच कर अपनी बात रखता है. मीडिया ने अपने जन्म से कभी न्यायाधीश की भूमिका नहीं निभायी लेकिन न्याय और अन्याय, सुविधा और सुरक्षा, समाज में शुचिता और देशभक्ति के लिए हमारे एक ऐसे पुल की भांति खड़ा रहा जो हमेशा से निर्विकार है, निरपेक्ष है और स्वार्थहीन. यह गुण किसी भी असहिष्णु व्यक्ति, संस्था या पेशे में नहीं होगा. इस मायने में मीडिया हर कसौटी पर खरा उतरता है और अपनी सहिष्णुता के गुण से ही अपनी पहचान बनाये रखता है.