-विनय श्रीकर-
उत्तराखंड के भाजपा विधायक गणेश जोशी 'मशहूर' गुस्सेबाज हैं। इससे पहले कई बार मनुष्य भी उनके गुस्से का शिकार बन चुके हैं। अब विधायकश्री खुद को भोलाभाल इंसान साबित करने के जतन में लगे हैं। लेकिन उनकी यह वीरगाथा अब उनके गले की फांस बन गयी है। खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होेन इस प्रकरण की जो वीडियो फुटेज देखी है, उसमें विधायक घोड़े 'शक्तिमान' पर बेरहमी से लाठी का प्रहार कर रहे हैं। रावत शक्मिान का हालचाल लेने पुलिस के पशु अस्पताल भी गये थे। दूसरी ओर, विधायकश्री और कई अन्य उन्मादी भाजपाइयों के खिलाफ केस दर्ज किये जाने के बाद देहरादून के पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते ने पत्रकारों को बताया कि मैंने भी पूरे प्रकरण की वह वीडियो ध्यान से देखी है, जिसमें गणेश जोशी घोड़े की टांग पर लाठी से वार करते साफ-साफ दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणेश जोशी और अन्य लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। देहरा्दून के एक स्थानीय समाचारपत्र के अनुसार इस घटना को लेकर पुलिसकर्मियों में भी खासा असंतोष है।
अब जरा यह देखिए कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भोलेनाथ यानि विधायकश्री क्या फरमा रहे हैं-- मैंने कुछ नहीं किया और मैं बेकसूर हूं। दरअसल, इसमें पुलिस वालों की गलती है, जिन्होंने घोड़े को पूरे दिन पानी नहीं पिलाया था और प्यास के कारण वह गश खाकर गिर पड़ा। जैसे ही उसे पानी पिलाया गया, वह भला-चंगा हो गया। वाह रे विधायकश्री ! ये श्रीमान कितने बड़े झूठे और मक्कार हैं, इसका सबूत यह है कि पशु चिकित्सक ने भी इसकी पुष्टि की है कि घोड़े की टांग लाठी के बार से टूटी है। विधायकश्री ने साबित कर दिया कि देशभक्त भाजपाई झूठ बोलने में कितने निपुण हैं। मेरे देहरादून के एक पत्रकार साथी ने बताया कि जोशाी साहब का गुस्सा किसी को नहीं बख्शता। उन्होंने खुद कई मौकों पर पत्रकारों तक को उनके गुस्से का शिकार होते देखा है।
शक्तिमान का इलाज कर रहे डाक्टरों ने बताया है कि उसे इतनी गंभीर चोट लगी है कि उसका इलाज अप्रैल के अंत तक चलेगा। उसके बाद ही वह चलने-फिरने लायक हो पाएगा। पहले डाक्टरों ने कहा था कि घोड़े की टांग काटनी पड़ सकती है। पर खुशी की बात यह है कि अब इसकी नौबत नहीं आएगी। घोड़े का इलाज देहरादून पुलिस लाइन्स में एक अस्थाई टेंट में किया जा रहा है, जहां राज्य सरकार के साथ ही सेना के भी कई पशु चिकित्सक मौजूद हैं। 5 फुट 8 इंच लम्बा सफेद रंग का शक्तिमान 1983 तक गढ़वाल रायफल्स के पास था, जिसे 1906 में उत्तराखंड पूलिस ने 95 हजार में खरीद लिया था।
कहते हैं, इन्सानियत कभी मरती नहीं। विधायकश्री के भीतर भी इंसानियत का पुनर्वास हुआ है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से इच्छा जताई है कि वह 14-वर्षीय शक्तिमान को गोद लेना चाहते हैं। विधायकश्री ने यह भी कहा है कि वह तहे-दिल से पशुप्रेमी हैं। लेकिन सवाल यह उठाया जा रहा है कि यदि उन्हें घोड़े को गोद ले लेने दिया जाए और भविष्य में फिर कभी उससे कोई नादानी हो जाए तो क्या गणेश जोशी को गुस्सा नहीं आएगा? विधायकश्री ने अपने पशुप्रेम की मिसाल यह बता कर दी कि उन्होंने अपने घर पर गलियों में घूमने वाले कई कुत्ते पाल रखे हैं। बताते हैं कि भोलेनाथ शक्तिमान को देखने पुलिस लाइन्स गये थे, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें घुसने नहीं दिया।
गणेश जोशी के आपा खो देने के कई किस्से आजकल मीडिया में छाये हुए हैं। 2 जुलाई 12014 को अमर उजाला में छपी एक खबर के मुताबिक देहरादून जिले के क्यारकुली भट्ठा पंचायत सदस्य चुनाव परिणाम बदलने के मामले में भाजपा विधायक गणेश जोशी की डीएम से तीखी झड़प हुई। बताते हैं कि विधायकश्री के उग्र व्यवहार को देख डीएम हतप्रभ रह गये थे। खबर के साथ छपे चित्र में विधायक को उंगली तान कर डीएम को डपटते साफ-साफ देखा जा सकता है। डीएम ने चेताया कि इस वक्त आचार संहिता लागू है, वह उन पर मुकदमा करा देंगे। यह सुनकर विधायक गणेश जोशी आग-बबूला हो गए।
लेखक विनय श्रीकर वरिष्ठ पत्रकार हैं.
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