Jun 25, 2016

जाने कहां सो गयी पत्रकारों के संगठनों की जमातें और पत्रकार नेताओं की तादाद

जिसने तुम्हें चुना, तुमने उनका दर्द कर दिया अनसुना

लखनऊ : इस शहर की हर गली मे पत्रकारों के कई संगठन हैं। राज्य मुख्यालय पत्रकारों के प्रभावशाली संगठन भी है जिसके पदाधिकारियों को मान्यता प्राप्त पत्रकार ही चुनते हैं। इन 90% पत्रकारों की मान्यता उन अखबारो से है मोदी सरकार जिन अखबारो का कत्ल करने जा रही है। जब ये अखबार नहीं रहेंगे तो इन पत्रकारों की मान्यता नहीं रहेगी। जब मान्यता नहीं रहेगी तो मान्यता प्राप्त समितियों के ये वोटर भी नहीं रहेंगे। और जब ये वोटर नहीं रहेंगे तो समितियों के पत्रकार नेताओं की वो हनक कहां रहेगी जिसके तहत वो सरकार के सामने तन कर कहते हैं कि मैं इतने सौ मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों का चुना हुआ नुमाइन्दा हूँ।


90 प्रतिशत अखबारों पर होने जा रहे भाजपा सरकार के जुल्म के खिलाफ अगर सब के सब संगठन आवाज बलंद करते तो सरकार की ईंट से ईंट बज जाती। पर जाने कहां सो गयी पत्रकारों के संगठनों की जमातें और पत्रकार नेताओं की तादाद। वो तो भला हो आल इन्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन का जिसने डीएवीपी की नई विज्ञापन नीति के विरोध के लिये कुछ साथियों को एकजुट किया। चिट्ठियाँ लिखी, ज्ञापन भेजे। गृह मंत्री राजनाथसिंह से मिल कर दमनकारी विज्ञापन नीति से  प्रकाशको/पत्रकारों  की रोजी-रोटी छिन जाने का दर्द बयाँ किया । अकेले इस एसोसिएशन ने ही दिल्ली कूच करने का आह्वान किया। और लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया।  किसी इकलौते एसोसिएशन की इस कोशिश के साथ ifwj ने कम से कम प्रकाशको के समर्थन मे पत्र जारी करके एक अकेली एसोसिएशन की कोशिश का साथ दिया।
धन्यवाद आल इन्डिया स्माल न्यूज पेपर
शुक्रिया ifwj
नवेद शिकोह
लखनऊ


No comments:

Post a Comment