Jan 31, 2016
जानिये अगर आप दैनिक भास्कर में हैं तो कितना होना चाहिये आपका वेतन
दूसरे समाचार पत्रों के पत्रकार भी वेतन तालिका बनाने में ले सकते हैं बिस्तर पर पड़े जुझारू पत्रकार हेमंत की मदद
प्रिय मित्रों,
मैं जब से मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई में भड़ास के यशवंत सर के आशीर्वाद से आप सबके साथ शामिल हूआ हूं, आप सबका लगातार समर्थन और उत्साह मिल रहा है। देश भर के पत्रकारों के फोन लगातार आ रहे हैं और लोग मुझसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जमा किये जाने वाले एफिडेविट के बारे में पूछ रहे हैं। साफ कहूं तो लगभग २०० फोन मेरे मोबाईल पर आये जिसमें लगभग १८० फोन दैनिक भास्कर के अपने पत्रकार भाईयों और भास्कर से जुड़े देश भर के लोगों के थे। उससे साफ है कि सबसे ज्यादा प्रताड़ना के शिकार लोगो में भास्कर के पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा है।
हिंदी साहित्य जगत की पहली निर्देशिका (डायरेक्ट्री) का विमोचन
हिंदी साहित्य जगत में पहली बार "हिंदी साहित्यनामा" नाम से एक विस्तृत निर्देशिका (डायरेक्ट्री) का संकलन नई स्थित गोल्डन थॉट इन्फो मीडिया नमक प्रकाशन समूह ने किया है। हिंदी में ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रकाशित हो रही पत्रिकाएं–ब्लॉग्स आदि अनगिनत हैं । लगातार पचास खण्डों में भी इन्हें संकलित किया जाए तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं ली जा सकती है कि हिंदी में प्रकाशित साहित्यिक पत्र–पत्रिकाओं, वेब पत्रिकाओं, साहित्यिक समूहों एवं ब्लॉग्स को पूरी तरह सूचीबद्ध कर लिया जाएगा । हिंदी साहित्यनामा का प्रयास गागर में सागर भरने जैसा है । सागर अथाह है और गागर की अपनी सीमाएं हैं । पाठक और कलम के बीच सेतु की भूमिका में हिंदी साहित्यनामा अस्तित्व में आया है। पहले खण्ड में हिंदी साहित्य की 100 ऑफलाइन पत्रिकाएं, 100 फेसबुक समूहों, 100 ब्लॉग्स और 100 ऑनलाइन पत्रिकाओं अर्थात 400 साहित्यिक प्रयासों को संकलित किया गया है । इसी तरह अगले खण्डों के लिए संकलन कार्य जारी है । अपने तरह की यह विशेष निर्देशिका है । हिंदी साहित्य जगत में इतने बड़े पैमाने पर ऐसा संकलन नहीं मिलता है । पाठक और कलम के बीच की खाई को पाटने की कोशिश के फलस्वरूप हिंदी साहित्यनामा का पहला खण्ड आप पढ़ रहे हैं ।
म0प्र0 में सरकार अस्पताला का निजीकरण चिंताजनक : नर्मदा बचाओ आंदोलन
बड़वानी 31 जनवरी : नर्मदा बचाओ आंदोलन मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी का विरोध करता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदरी के मुद्दे पर अपनी चिंताए व्यक्त और सरकार के इस कदम का विरोध किया है। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दीपक फाउंडेषन के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भागीदारी कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसकी शुरुआत प्रदेष के अलीराजपुर जिले के अस्पतालों से की जा रही है।
पीआर पत्रकारिता का लगातार विस्तार हो रहा है
नई दिल्ली। 30 जनवरी को हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा दो सत्रों में ‘प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता’ और ‘इलेक्ट्रानिक मीडिया की विश्वसनीयता’ पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। त्रिवेणी सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि मीडिया की विश्वसनीयता का सवाल आज से 50 साल पहले भी था और आज भी है।
क्या आगरा फिर अपना पुराना गौरव हासिल कर सकेगा?
-डा. राधे श्याम द्विवेदी-
आगरा। इस बार के स्मार्ट सिटी में उत्तर प्रदेश का एक भी शहर शामिल नहीं हो सका है। जो मापदण्ड निर्धारित थे उन्हें पूरा कर पाने वाले शहर ही इस श्रेणी में स्थान बना सके हैं। इसके लिए आगरा सहित भारत के प्रमुख शहरों में आनलाइन सुझाव तथा वोटिंग भी कराये गये हैं।
आगरा। इस बार के स्मार्ट सिटी में उत्तर प्रदेश का एक भी शहर शामिल नहीं हो सका है। जो मापदण्ड निर्धारित थे उन्हें पूरा कर पाने वाले शहर ही इस श्रेणी में स्थान बना सके हैं। इसके लिए आगरा सहित भारत के प्रमुख शहरों में आनलाइन सुझाव तथा वोटिंग भी कराये गये हैं।
Jan 30, 2016
दो हजार वर्ष पूर्व आदि शंकराचार्य ने भारत राष्ट्र की कल्पना की थी
वृहद भारत के पुनर्निर्माण की आवश्यकता : शेखर दत्त
'राष्ट्र की सुरक्षा रणनीति' पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में व्याख्यान
पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में शेखर दत्त एवं शेषाद्रि चारी का व्याख्यान
भोपाल : भारत को साम्राज्यवाद नहीं, अपने प्रभाव को बढ़ाने की आवश्यकता है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व भारत का प्रभाव क्षेत्र चीन, विएतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान तक था और हमारी संस्कृति का पूरा विश्व सम्मान करता था। इसके प्रमाण विश्व के कई देशों में आज भी हमें देखने को मिलते हैं। आज पुनः उस प्रभाव और सम्मान को वापस प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें अपनी आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा रणनीति के विषय में जनमानस के बीच जागरूकता लाने की आवश्यकता है। यह विचार आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आयोजित व्याख्यान में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ. शेषाद्रि चारी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।
'राष्ट्र की सुरक्षा रणनीति' पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में व्याख्यान
पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में शेखर दत्त एवं शेषाद्रि चारी का व्याख्यान
भोपाल : भारत को साम्राज्यवाद नहीं, अपने प्रभाव को बढ़ाने की आवश्यकता है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व भारत का प्रभाव क्षेत्र चीन, विएतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान तक था और हमारी संस्कृति का पूरा विश्व सम्मान करता था। इसके प्रमाण विश्व के कई देशों में आज भी हमें देखने को मिलते हैं। आज पुनः उस प्रभाव और सम्मान को वापस प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें अपनी आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा रणनीति के विषय में जनमानस के बीच जागरूकता लाने की आवश्यकता है। यह विचार आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आयोजित व्याख्यान में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ. शेषाद्रि चारी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।
Jan 29, 2016
आरक्षण व्यवस्था के साथ जारी बर्बरतापूर्ण बलात्कार कैसे रुके?
लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
भारत में हजारों सालों से संचालित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के कारण सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से वंचित वर्गों की दशा संविधान लागू होने के 66 साल बाद भी अत्यधिक दयनीय है। संविधान निर्माताओं को इन वर्गों की विशेष चिन्ता थी। इसी कारण से इन वंचित वर्गों को अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों में वर्गीकृत करके, संविधान में कुछ विशेष प्रावधान किये गये थे। जिनमें विधायिका में प्रतिनिधित्व के साथ—साथ शिक्षण संस्थानों में प्रवेश तथा सरकारी नौकरियों में चयन एवं पदोन्नति के समय पात्रता में छूट, प्रमुख प्रावधान हैं। ओबीसी की दशा इस मामले में कमतर है। उनको न तो विधायिका में और न ही पदोन्नति में आरक्षण प्राप्त है। यही नहीं ओबीसी को उनकी जनंसख्या के अनुपात से आधे से भी कम आरक्षण प्राप्त है। जानबूझकर ओबीसी में असमान पृष्ठभूमि की जातियों को शामिल करके आरक्षण को आपसी संघर्ष का आखाड़ा बना दिया गया है।
भारत में हजारों सालों से संचालित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के कारण सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से वंचित वर्गों की दशा संविधान लागू होने के 66 साल बाद भी अत्यधिक दयनीय है। संविधान निर्माताओं को इन वर्गों की विशेष चिन्ता थी। इसी कारण से इन वंचित वर्गों को अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों में वर्गीकृत करके, संविधान में कुछ विशेष प्रावधान किये गये थे। जिनमें विधायिका में प्रतिनिधित्व के साथ—साथ शिक्षण संस्थानों में प्रवेश तथा सरकारी नौकरियों में चयन एवं पदोन्नति के समय पात्रता में छूट, प्रमुख प्रावधान हैं। ओबीसी की दशा इस मामले में कमतर है। उनको न तो विधायिका में और न ही पदोन्नति में आरक्षण प्राप्त है। यही नहीं ओबीसी को उनकी जनंसख्या के अनुपात से आधे से भी कम आरक्षण प्राप्त है। जानबूझकर ओबीसी में असमान पृष्ठभूमि की जातियों को शामिल करके आरक्षण को आपसी संघर्ष का आखाड़ा बना दिया गया है।
काशी के गौरव को गौरान्वित करने वाली बहादुर बच्चियों और सामाजिक कार्यकर्ती को किया गया सम्मानित
काशी को गौरान्वित करने के लिए श्रुति नागवंशी, यास्मीन, नंदिनी और पूजा राजभर का 28 जनवरी, 2016 को वाराणसी के जगतगंज स्थित होटल कामेश हट में आल इण्डिया सेक्युलर फोरम, सेन्टर फॉर हार्मोनी एंड पीस और ग्राम्या संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में सम्मान समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया |
तारीख तीस जनवरी : महात्मा गांधी और माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर विशेष
मनोज कुमार
तारीख, तीस जनवरी। साल भले ही अलग अलग हों किन्तु भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण तारीख है। इस दिन शांति एवं अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की नृशंस हत्या कर दी गई थी और इसी तारीख पर दादा माखनलाल ने अंतिम सांस ली थी। गांधीजी और माखनलाल जी का हमारे बीच में नहीं रहना ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाये। यह सुखकर है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में जो आदर्श स्थापित किया, भारत को एक नयी दृष्टि दी और देश के प्रति लोगों में जो ऊर्जा का संचार किया, वह उनकी उपस्थिति दर्ज कराती रहेगी।
तारीख, तीस जनवरी। साल भले ही अलग अलग हों किन्तु भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण तारीख है। इस दिन शांति एवं अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की नृशंस हत्या कर दी गई थी और इसी तारीख पर दादा माखनलाल ने अंतिम सांस ली थी। गांधीजी और माखनलाल जी का हमारे बीच में नहीं रहना ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाये। यह सुखकर है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में जो आदर्श स्थापित किया, भारत को एक नयी दृष्टि दी और देश के प्रति लोगों में जो ऊर्जा का संचार किया, वह उनकी उपस्थिति दर्ज कराती रहेगी।
Jan 28, 2016
इंडिया न्यूज यूपी यूके के पत्रकार प्रदीप व्यास रेलवे ट्रैक पार करते हुए ट्रेन की चपेट में आए, मौके पर मौत
इंडिया न्यूज के उत्तर प्रदेश उत्तरखंड रीजनल न्यूज चैनल में असिस्टेंट प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत पत्रकार प्रदीप व्यास रेलवे ट्रैक पार करते हुए ट्रेन की चपेट में आ गए. उनकी मौके पर ही मौत हो गई. घटना दिल्ली के सरिता विहार इलाके की है.
Jan 27, 2016
This is my first communication with you as the President of the IFWJ
A letter from the President
Dear friends,
This is my first communication with you as the President of the IFWJ. I have been associated with the IFWJ from 1972 and have worked with the organisation from an ordinary member to the President of ‘Karnataka Union of Journalists’ (KUWJ) and also as the Vice-President of the IFWJ, where I have always championed the cause of working journalists.
Dear friends,
This is my first communication with you as the President of the IFWJ. I have been associated with the IFWJ from 1972 and have worked with the organisation from an ordinary member to the President of ‘Karnataka Union of Journalists’ (KUWJ) and also as the Vice-President of the IFWJ, where I have always championed the cause of working journalists.
हिंदुस्तान में अब हर वंचित व्यक्ति दलित की श्रेणी में और हर ईमानदार आदमी अल्पसंख्यक की गिनती में आना चाहिए
Priyankar Paliwal : रोहित वेमुला और प्रकाश साव को याद करते हुए! जब रोहित वेमुला और प्रकाश साव जैसे स्वप्नशील युवा आत्महत्या करते हैं तब एक व्यवस्था की सड़ांध की ओर हमारा ध्यान जाता है. उस गलाज़त की ओर जिसे अब हमने लगभग सहज-स्वाभाविक मान लिया है. वरना, पद सृजित किए जाने और भरे जाने की बन्दरबांट के बारे में अब कौन नहीं जानता. कम से कम हिंदी विभागों में सबको पता है.
सातवें वेतन आयोग के सचिव समिति पर केंद्र से जवाब तलब
भारत सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग के अध्ययन हेतु गठित सचिव स्तरीय समिति के सम्बन्ध में आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की याचिका पर केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ बेंच ने आज केंद्र सरकार से 10 दिनों में जवाब माँगा है.
Jan 25, 2016
कुलदीप श्रीवास्तव फिल्म पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित
कुलदीप श्रीवास्तव को महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस ने सम्मानित
कल महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस ने कुलदीप श्रीवास्तव को फिल्म पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया, अभियान संस्था एवं अध्यक्ष अमरजीत मिश्र जी द्वारा आयोजित 28 वर्षों से मनाये जानेवाले उत्तरप्रदेश स्थापना दिन समारोह में. बिती रात (२४ जनवरी २०१६) मुम्बई मे हर साल की तरह इस साल भी सामाजिक संस्था अभियान के बैनर तले २८वा उत्तर प्रदेश दिवस समारोह लोक महोत्सव का आयोजन बीजेपी नेता अमरजीत मिश्रा ने किया ।
कल महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस ने कुलदीप श्रीवास्तव को फिल्म पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया, अभियान संस्था एवं अध्यक्ष अमरजीत मिश्र जी द्वारा आयोजित 28 वर्षों से मनाये जानेवाले उत्तरप्रदेश स्थापना दिन समारोह में. बिती रात (२४ जनवरी २०१६) मुम्बई मे हर साल की तरह इस साल भी सामाजिक संस्था अभियान के बैनर तले २८वा उत्तर प्रदेश दिवस समारोह लोक महोत्सव का आयोजन बीजेपी नेता अमरजीत मिश्रा ने किया ।
आम लोगों की ताकत बढ़ानेवाले युवा सम्मानित हुए काकासाहेब कालेलकर सम्मान से
नई दिल्ली । हमने बहुत सारी ऐसी लड़कियों को मुक्त करवाया, जिन्हे झारखंड,छतीसगढ़,मध्यप्रदेश,पश्चिम बंगाल आादि राज्यों से बहला— फुसलाकर दिल्ली लाया जाता है,जिन्हें जवरन घरेलु नौकरानी की तरह रखा जाता है और ठीक—ठाक मजदूरी देना तो दूर उल्टे उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इन लड़कियों को मुक्त कराने की बात अपनी मां को दूसरे के घर में काम करते हुए प्रताड़ित होेते देखती थी। यह बात शनिवार को सन्निधि परिसर में काकासाहेव कालेलकर समाजसेवा सम्मान लेने के बाद सुनीता रानी मिंज ने कही। उन्हें यह सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि और जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज ने दिया।इस मौके पर गांधी स्मृति और दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्रीज्ञान और मुंबई की युवा साहित्यकार रीता दास राम, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव अशोक कुमार विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद थे। समारोध की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गंगेश गुंजन ने की।
बीबीएयू के वीसी, प्राक्टर और डीएसडब्लू पर दलित ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए
लखनऊ । रिहाई मंच ने अम्बेडकर विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जातिवादी स्वर्ण छात्रों को इकठ्ठा कर नरेंद्र मोदी का विरोध करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन करवाने को संघ परिवार के दलित विरोधी एजेंडे को लागू करने का सबसे घिनौना उदाहरण बताया है। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मोदी का विरोध करने वाले छात्रों की डिग्री देने में आनाकानी की गई या उन्हें किसी भी तरह से परेशान किया गया तो बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।
छात्र आंदोलन : खो गया है रास्ता
-संजय द्विवेदी-
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या की घटना ने हमारे शिक्षा परिसरों को बेनकाब कर दिया है। सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में काम करने वाले छात्र अगर निराशा में मौत चुन रहे हैं, तो हमें सोचना होगा कि हम कैसा समाज बना रहे हैं? किसी राजनीति या विचारधारा से सहमति-असहमति एक अलग बात है, किंतु बात आत्महत्या तक पहुंच जाए तो चिंताएं स्वाभाविक हैं।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या की घटना ने हमारे शिक्षा परिसरों को बेनकाब कर दिया है। सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में काम करने वाले छात्र अगर निराशा में मौत चुन रहे हैं, तो हमें सोचना होगा कि हम कैसा समाज बना रहे हैं? किसी राजनीति या विचारधारा से सहमति-असहमति एक अलग बात है, किंतु बात आत्महत्या तक पहुंच जाए तो चिंताएं स्वाभाविक हैं।
Press Council Should Act Immediately
The Delhi union of journalists welcomes the stand taken by the Editors Guild of India condemning "the blatant acts of intimidation and threats to Siddharth Varadarajan”, by members of the ABVP in Allahabad University a few days back.
The DUJ, it may be recalled, had also condemned this attack and an attack on another journalist in Ahmedabad the next day and called for protests by the entire journalist fraternity.
The DUJ, it may be recalled, had also condemned this attack and an attack on another journalist in Ahmedabad the next day and called for protests by the entire journalist fraternity.
काफिर मतलब क्या?
priyank dwivedi
एक छोटी सी बच्ची अपने घर के बाहर खिलौने से खेल रही थी...तभी कुछ लोगों की भीड़ वहां से उस बच्ची को घूरते हुए नारे लगाते हुए निकलती है “ऐ जालिमों, ऐ काफिरों..कश्मीर हमारा छोड़ दो”...वो बच्ची ड़रकर अपने घर में छुप जाती है..उस मासूम को तो ये भी नहीं पता था कि ये जालिम क्या होता है? ये काफिर कौन होते हैं? कल तक जो अपने घर के बाजू में रहने वाले अंकल को प्यार से चाचाजान कहकर पुकारती थी..आज वही चाचाजान सड़कों पर नारे लगा रहे थे “ऐ जालिमों..ऐ काफिरों..कश्मीर हमारा छोड़ दो..” जब उस आठ साल की मासूम बच्ची ने अंकल से जिसे वो चाचाजान कहकर बुलाती थी उनसे काफिरों और जालिमों का मतलब जानना चाहा तो उस चाचाजान ने उस मासूम को इसका मतलब तो नहीं बताया...
एक छोटी सी बच्ची अपने घर के बाहर खिलौने से खेल रही थी...तभी कुछ लोगों की भीड़ वहां से उस बच्ची को घूरते हुए नारे लगाते हुए निकलती है “ऐ जालिमों, ऐ काफिरों..कश्मीर हमारा छोड़ दो”...वो बच्ची ड़रकर अपने घर में छुप जाती है..उस मासूम को तो ये भी नहीं पता था कि ये जालिम क्या होता है? ये काफिर कौन होते हैं? कल तक जो अपने घर के बाजू में रहने वाले अंकल को प्यार से चाचाजान कहकर पुकारती थी..आज वही चाचाजान सड़कों पर नारे लगा रहे थे “ऐ जालिमों..ऐ काफिरों..कश्मीर हमारा छोड़ दो..” जब उस आठ साल की मासूम बच्ची ने अंकल से जिसे वो चाचाजान कहकर बुलाती थी उनसे काफिरों और जालिमों का मतलब जानना चाहा तो उस चाचाजान ने उस मासूम को इसका मतलब तो नहीं बताया...
DUJ strongly condemns the increasing incidents of attacks on journalists
The Delhi Union of Journalists strongly condemns the increasing incidents of attacks on journalists and the freedom of the press. In the latest instance, senior journalist Siddharth Varadarajan was gheraoed by activists of the ABVP at the Allahabad University where he had gone to deliver a lecture on January 20 at the invitation of the Allahabad University Students Union. He was not allowed to speak and had to return.
इंदिरा आवास की लूटपाट को लेकर भारत सरकार के अंडर सेक्रेट्री को पत्र
सेवा में,
श्री एम. रामाकृष्णा,
अंडर सेक्रेटरी,
भारत सरकार,
कृषि भवन, नई दिल्ली
विषय : इंदिरा आवास की लूट -पाट एवं इसमें हो रही अनियमितताएं
सम्मानीय महोदय,
मैं सूर्यदेव ग्राम-जजौली नं-2 , पोस्ट-जजौली नं-2, ब्लॉक-सियर, जिला-बलिया (उ० प्र०) का निवासी हूँ | अपने इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने गाँव में हो रही इंदिरा आवास की लूट -पाट एवं इसमें हो रही अनियमितताओं से अवगत करना चाहता हूँ | जो कि निम्नलिखित है : इंदिरा आवास कि सूची में बहुत से नाम ऐसे हैं जिनको मालूम ही नहीं है कि उन्हें आवास भी मिला है एक व्यक्ति ऐसा है जिसे मरे हुए काफी वर्ष गुजर गए और उसके नाम से भी इंदिरा आवास आवंटित हो गया और बैंक में उसके नाम का फर्जी खाता खोलकर भुगतान भी दिखाया गया है |
श्री एम. रामाकृष्णा,
अंडर सेक्रेटरी,
भारत सरकार,
कृषि भवन, नई दिल्ली
विषय : इंदिरा आवास की लूट -पाट एवं इसमें हो रही अनियमितताएं
सम्मानीय महोदय,
मैं सूर्यदेव ग्राम-जजौली नं-2 , पोस्ट-जजौली नं-2, ब्लॉक-सियर, जिला-बलिया (उ० प्र०) का निवासी हूँ | अपने इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने गाँव में हो रही इंदिरा आवास की लूट -पाट एवं इसमें हो रही अनियमितताओं से अवगत करना चाहता हूँ | जो कि निम्नलिखित है : इंदिरा आवास कि सूची में बहुत से नाम ऐसे हैं जिनको मालूम ही नहीं है कि उन्हें आवास भी मिला है एक व्यक्ति ऐसा है जिसे मरे हुए काफी वर्ष गुजर गए और उसके नाम से भी इंदिरा आवास आवंटित हो गया और बैंक में उसके नाम का फर्जी खाता खोलकर भुगतान भी दिखाया गया है |
सातवें वेतन आयोग पर गठित सचिव समिति पर याचिका
आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज भारत सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग के अध्ययन हेतु गठित सचिव स्तरीय समिति के सम्बन्ध
में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में याचिका दी है. अमिताभ ने कहा है कि सातवें वेतन
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए के माथुर और सदस्य डॉ रथिन रॉय ने यह संस्तुति की थी कि
आईएएस तथा आईपीएस एवं अन्य सेवाओं के मध्य सेवा में समानता रखी जाये जबकि उसके
रिटायर्ड आईएएस सदस्य विवेक रे ने इसका विरोध करते हुए आईएएस की श्रेष्ठता बरक़रार रखने
की संस्तुति की.
मायावती हैदराबाद क्यों नहीं गयीं?
-एस.आर.दारापुरी-
हैदराबाद विश्वविद्यालय में पांच दलित छात्रों के अवैधानिक निलंबन एवं उत्पीड़न के कारण रोहित वेमुला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस घटना को लेकर लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों के बड़े नेता दलित छात्रों के साथ संवेदना व्यक्त करने के लिए गए जिस से यह मुद्दा राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा परन्तु अपने आप को दलितों का मसीहा कहने वाली मायावती नहीं गयी. उसने इस मुद्दे पर केवल एक ब्यान और एक टीम भेज कर अपनी फ़र्ज़ अदायगी कर दी. इस का मुख्य कारण उसे दलितों की बजाये सवर्णों के वोट की अधिक चिंता है. वह दलितों को तो अपना जातिगत बंधुवा मान कर चलती है जिसे बहुत से दलित अंध-भक्त बन कर स्वीकार भी कर लेते हैं.
हैदराबाद विश्वविद्यालय में पांच दलित छात्रों के अवैधानिक निलंबन एवं उत्पीड़न के कारण रोहित वेमुला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस घटना को लेकर लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों के बड़े नेता दलित छात्रों के साथ संवेदना व्यक्त करने के लिए गए जिस से यह मुद्दा राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा परन्तु अपने आप को दलितों का मसीहा कहने वाली मायावती नहीं गयी. उसने इस मुद्दे पर केवल एक ब्यान और एक टीम भेज कर अपनी फ़र्ज़ अदायगी कर दी. इस का मुख्य कारण उसे दलितों की बजाये सवर्णों के वोट की अधिक चिंता है. वह दलितों को तो अपना जातिगत बंधुवा मान कर चलती है जिसे बहुत से दलित अंध-भक्त बन कर स्वीकार भी कर लेते हैं.
मालदा के कालियाचक की हिंसा दो समुदायों के बीच का दंगा नहीं
25th January 2015 | प्रेस विज्ञप्ति
कालियाचक के दौरे के बाद जन जागरण शक्ति संगठन की टीम की शुरुआती रिपोर्ट
मालदा के कालियाचक में हुई हिंसा, साम्प्रदायिक हिंसा नहीं दिखती है। इसे एक समुदाय का दूसरे समुदाय पर आक्रमण भी नहीं कहा जा सकता है। यह जुलूस में शामिल होने आए हजारों लोगों में से कुछ सौ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का पुलिस प्रशासन पर हमला था। इसकी जद में एक समुदाय के कुछ घर और दुकान भी आ गए। गोली लगने से इस ही समुदाय का एक युवक जख्मी भी हुआ। पूरी घटना शर्मनाक और निंदनीय है| ऐसी घटनाओं का फायदा उठाकर दो समुदायों के बीच नफरत और गलतफहमी पैदा की जा सकती है| यह राय मालदा के कालियाचक गई जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) की पड़ताल टीम की है।
कालियाचक के दौरे के बाद जन जागरण शक्ति संगठन की टीम की शुरुआती रिपोर्ट
मालदा के कालियाचक में हुई हिंसा, साम्प्रदायिक हिंसा नहीं दिखती है। इसे एक समुदाय का दूसरे समुदाय पर आक्रमण भी नहीं कहा जा सकता है। यह जुलूस में शामिल होने आए हजारों लोगों में से कुछ सौ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का पुलिस प्रशासन पर हमला था। इसकी जद में एक समुदाय के कुछ घर और दुकान भी आ गए। गोली लगने से इस ही समुदाय का एक युवक जख्मी भी हुआ। पूरी घटना शर्मनाक और निंदनीय है| ऐसी घटनाओं का फायदा उठाकर दो समुदायों के बीच नफरत और गलतफहमी पैदा की जा सकती है| यह राय मालदा के कालियाचक गई जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) की पड़ताल टीम की है।
Malda Conflicts : Not a Communal Riot Between Two Communities
Preliminary observations of a fact finding team
The violent conflict in Kaliachak of Malda on January 3 seems neither a religious feud nor an attack of one community over the other. The conflict raised at best was a handiwork of some anti-social elements present in the rally protesting against the police. It’s they who attacked the police station, and damaged some houses and shops. In the police firing one of them also got gunshot injury. The whole incident was a shameful and a condemned one and completely unjustifiable. However, such an incidence was used to spread hatred and misunderstanding between communities, which is equally condemnable.
The violent conflict in Kaliachak of Malda on January 3 seems neither a religious feud nor an attack of one community over the other. The conflict raised at best was a handiwork of some anti-social elements present in the rally protesting against the police. It’s they who attacked the police station, and damaged some houses and shops. In the police firing one of them also got gunshot injury. The whole incident was a shameful and a condemned one and completely unjustifiable. However, such an incidence was used to spread hatred and misunderstanding between communities, which is equally condemnable.
नरेंद्र मोदी और पीएमओ का बचाव एक बड़बोला विधायक कर रहा है, तब भी सवाल है कि कहां है पीएम का शोक संदेश?
-संजय कुमार सिंह-
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री के कार्यालय का खूब मजाक बनाया। संवैधानिक पदों का सम्मान होना चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं है। किन्ही कारणों से अगर कोई राजनैतिक दल ऐसा न माने तो कुछ किया भी नहीं जा सकता है। पर अपने ही प्रधानममंत्री का या अपनी ही पार्टी का शासन होने पर भी कोई बड़ा नेता जो प्रदेश में मंत्री और एक शहर का मेयर रह चुका है और विधायक है, गलत, गैर जरूरी कार्य करे जिससे प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय व काम-काज की गरिमा को ठेस पहुंचे तो स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगता है। स्थिति यह हो गई है कि प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय का बचाव एक बड़बोला विधायक कर रहा है। यह सही है कि प्रधानममंत्री कार्यालय ऐसे मामलों में कार्रवाई करे तो भी तिल का ताड़ बनाना लगेगा और कोई बिलावजह हीरो हो जाएगा। पर बचाव झूठ के सहारे?
Scrap Jaitapur: Indian lives are not for sale, Citizens oppose nuclear project during French President’s visit
The French President will be the Chief Guest at this Republic Day parade; but 1800kms from New Delhi, farmers and fisherfolk in Jaitapur will be protesting this week against Mr. Hollande’s visit as the nuclear reactors that India is importing from France threaten their lives, livelihoods and the local ecology.
Jan 22, 2016
रोहित तो चला गया लेकिन अब ये राहुल गांधी क्या करेंगे....
हैदराबाद में छात्र रोहित की आत्महत्या के केस बाद जिस तरह से उसे पेश किया गया या जिस तरह से राजनीति हुई उस पर बहस हो ही रही है। लेकिन इस सबके बीच कुछ ऐसा भी हो रहा है जो आपको सोचने का एक नया नजरिया दे सकता है कम से कम मुझे तो दे ही रहा है मीडिया के लिए भी और राजनीति के लिए भी.... रोहित के नाम पर राजनीति करने जो नेता पहुंचे उनमें से एक थे राहुल गांधी.....जनाब ने बयान दिया कि रोहित के पास आत्महत्या के सिवा और कोई चारा नहीं था... अब कोई इन राहुल गाँधी से पूछेगा कि 2017 यूपी विधानसभा चुनाव आ रहे हैं और इस बार भी उनसे उम्मीदें किसी को ही हों.... तो उनके पास कौन सा चारा है आखिर वे जब से सक्रिय राजनीति में आये हैं उनकी उपलब्धि ही क्या हैं और ऐसा कहकर वह उन हजारों या लाखों युवाओं को क्या सन्देश देना चाहते हैं जो कहीं न कहीं लड़ रहे हैं कुछ पाने के लिए। उन किसानों से भी जो हर साल अपनी तक़दीर से लुकाछिपी खेलता है। क्या आत्महत्या करने की डेडलाइन तय कर दी राहुल गांधी ने....?
रोहित तुम जी सकते थे ।
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रोहित
तुम जी सकते थे।
अपमान के कड़वे घूंट
पी सकते थे।
टेक सकते थे घुटने
झुका सकते थे सिर
बन सकते थे समझौतावादी
मगर तुमने खुद को सुना
और दूसरा रास्ता चुना
जो कि ठीक ही था ।
............
रोहित
तुम जी सकते थे।
अपमान के कड़वे घूंट
पी सकते थे।
टेक सकते थे घुटने
झुका सकते थे सिर
बन सकते थे समझौतावादी
मगर तुमने खुद को सुना
और दूसरा रास्ता चुना
जो कि ठीक ही था ।
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Jan 20, 2016
स्टार्टअप से स्टार्ट होगा इंडिया?
आज हम सब ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां ज्यादातर युवा कोई नौकरी करने के बजाए अपना कुछ अलग करना चाहता है। आज का युवा पिछले पिछली पीढी के युवा से दो मायनों में आलग है। पहला तो वो स्मार्ट है और दूसरा उसे मुख्यधारा में बहना पसंद नहीं है। युवाओं की मानसिकता ऐसी हो चुकी है किवो चाहता है कि किसी और के लिए काम करने से कहीं बेहतर है, खुद के लिए काम करना। इस कारण कुछ युवा तो अपने पैसों का इस्तेमाल कर अपना नया व्यापार शुरू कर देते हैं, तो वहीं कुछ युवा आर्थिक तंगी के कारण या तो छोटी-मौटी नौकरी करने लगते हैं या फिर बेरोजगार ही रह जाते हैं।
कटी पतंग का आखिरी छोर है मजीठिया
प्रिंट मीडिया के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए गठित वेतन आयोग की सिफारिशें (उसके अनुसार वेतनमान और अन्य परिलाभ) कोर्ट की प्रक्रिया के अंतिम दौर में हैं यह कोर्ट के फैसले दर फैसले और मालिकनों की हताशा दर हताशा से बिल्कुल साफ हो गया है। ज्यादा पीछे पालेकर और मणिसाना आयोग की सिफारिशों और उसपर मालिकों एवं सत्ता के चरित्र पर न भी जाएं सिर्फ और सिर्फ वर्तमान आयोग पर मालिकानों की भूमिका एवं कोर्ट के रुख को ही देखें तो ऐसा लगता है कि अब हारी हुई लडाई लड रहे हैं मालिकान।
पत्रकारिता करते हुये भी पत्रकार बने रहने की चुनौती
पुण्य प्रसून बाजपेयी
पत्रकारिता मीडिया में तब्दील हो जाये। मीडिया माध्यम माना जाने लगे। माध्यम सत्ता का सबसे बेहतरीन हथियार हो जाये। तो मीडिया का उपयोग करेगा कौन और सत्ता से सौदेबाजी के लिये मीडिया का प्रयोग होगा कैसे? 2016 में बहुत ही पारदर्शिता के साथ यह चुनौती पत्रकारिता करने वाले मीडियाकर्मियों के सामने आने वाली है। चुनौती इसलिये नहीं क्योंकि पत्रकारिता अपने आप में चुनौतीपूर्ण कार्य है बल्कि चुनौती इसलिये क्योंकि राजनीतिक सत्ता खुद को राज्य मानने लगी है। संस्थानों के राजनीतिकरण को राज्य की जरूरत करार देने लगी है। चुनावी जीत को संविधान से उपर मानने लगी है। यानी पहली बार संविधान के दायरे में लोकतंत्र का गीत राजनीतिक सत्ता के लोकतंत्रिक राग के सामने बेमानी साबित हो रहा है।
पत्रकारिता मीडिया में तब्दील हो जाये। मीडिया माध्यम माना जाने लगे। माध्यम सत्ता का सबसे बेहतरीन हथियार हो जाये। तो मीडिया का उपयोग करेगा कौन और सत्ता से सौदेबाजी के लिये मीडिया का प्रयोग होगा कैसे? 2016 में बहुत ही पारदर्शिता के साथ यह चुनौती पत्रकारिता करने वाले मीडियाकर्मियों के सामने आने वाली है। चुनौती इसलिये नहीं क्योंकि पत्रकारिता अपने आप में चुनौतीपूर्ण कार्य है बल्कि चुनौती इसलिये क्योंकि राजनीतिक सत्ता खुद को राज्य मानने लगी है। संस्थानों के राजनीतिकरण को राज्य की जरूरत करार देने लगी है। चुनावी जीत को संविधान से उपर मानने लगी है। यानी पहली बार संविधान के दायरे में लोकतंत्र का गीत राजनीतिक सत्ता के लोकतंत्रिक राग के सामने बेमानी साबित हो रहा है।
ब्लाग और वेबसाइट कमाई के अच्छे साधन
डा. राधेश्याम द्विवेदी
आज का युग प्रचार प्रसार तथा दिखावे का अधिक हैं यदि आपके पास अच्छा उत्पाद है और प्रचार प्रसार व मार्केटिंग ठीक नहीं है तो आप उतने लाभ नहीं उठा सकते हो। यदि आप के उत्पाद में अच्छी क्वालिटी नहीं भी है और मार्केटिंग आपकी अच्छी है तो आप काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हो। विभिन्न कम्पनियां अपने उत्पादों के प्रचार प्रसार करने के लिए करोडों डॉलर का खर्चा करती हैं। दुनियां का सबसे अधिक पैसा केवल प्रचार प्रसार पर खर्च होता है। इसलिए यदि हम अपने ब्लॉग या वेबसाइट से इन कंपनियो की प्रचार प्रसार करते हैं तो बदले में हमें इन कम्पनियों से कुछ ना कुछ कमीशन प्राप्त हो सकता है। इन्टरनेट द्वारा पैसा कमाना आसान भी नहीं है और ना ही इतना मुश्किल कि उसे हम जैसे लोग ना कर सकें। इस काम में भी हमें काफी मेहनत करनी पडती है लेकिन जैसे.जैसे हमें काम करने का तरीका समझ में आता जाता हैए हमारा काम आसान होता जाता है।
आज का युग प्रचार प्रसार तथा दिखावे का अधिक हैं यदि आपके पास अच्छा उत्पाद है और प्रचार प्रसार व मार्केटिंग ठीक नहीं है तो आप उतने लाभ नहीं उठा सकते हो। यदि आप के उत्पाद में अच्छी क्वालिटी नहीं भी है और मार्केटिंग आपकी अच्छी है तो आप काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हो। विभिन्न कम्पनियां अपने उत्पादों के प्रचार प्रसार करने के लिए करोडों डॉलर का खर्चा करती हैं। दुनियां का सबसे अधिक पैसा केवल प्रचार प्रसार पर खर्च होता है। इसलिए यदि हम अपने ब्लॉग या वेबसाइट से इन कंपनियो की प्रचार प्रसार करते हैं तो बदले में हमें इन कम्पनियों से कुछ ना कुछ कमीशन प्राप्त हो सकता है। इन्टरनेट द्वारा पैसा कमाना आसान भी नहीं है और ना ही इतना मुश्किल कि उसे हम जैसे लोग ना कर सकें। इस काम में भी हमें काफी मेहनत करनी पडती है लेकिन जैसे.जैसे हमें काम करने का तरीका समझ में आता जाता हैए हमारा काम आसान होता जाता है।
उत्तराधिकार काव्य संग्रह का लोकार्पण
मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ. राजम नटराजन पिल्लै कृत उत्तराधिकार काव्यसंग्रह का नंदकिशोर नौटियाल के हाथों लोकार्पण संपन्न हुआ। इस मौके पर श्री. नौटियाल जी ने कहा कि राजम की कविताएं स्त्री और पुरुष विमर्श से अलग हटकर मानवीय विमर्श की कविताएं हैं। कार्यक्रम के आरंभ में हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपनी प्रस्तावना में कहा कि राजम की कविताओं का तेवर वैचारिक है। इनमें समूची भारतीय परंपरा के प्रति आलोचनात्मक नजरिया है।
Jan 19, 2016
उभरती अयोध्या का आग़ाज़
अमित राजपूत
अयोध्या.. यानी श्री राम जन्मभूमि स्थल। जी हाँ, यद्यपि श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या आए दिन चर्चा और विवादों का विषय बनी रहती है। तथापि यह व्यक्तिगत मेरे लिए किसी विवाद का विषय नहीं है और न ही हो सकता है। प्रमाण स्वरूप मैने आलेख के आरम्भ में ही अयोध्या को श्री राम जन्मभूमि स्थल मान लिया है। वास्तव में कथित श्री राम जन्मभूमि विवाद ठीक उसी तरह है जैसे इस बात को सिद्ध करना हो कि तुम्हारा बाप कौन है और तुम घर के किस स्थान/कमरे में पैदा हुए थे, जबकि तुम्हारी माता और वह घर सब कुछ सप्रमाण सुरक्षित हो और जानबूझ कर आवश्यक कार्यवाई या प्रक्रियाबद्ध जांच न की जाए जो कि सरलतम प्रक्रिया का हिस्सा है। सारशः यह सिद्ध करना ही अपने आप में दकियानूसी फसाद है। श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण का विवाद भी ऐसा ही दकियानूसी फसाद है।
सांप्रदायिकता से कौन लड़ना चाहता है?
क्योंकि उनके पास तिरंगे से ज्यादा बड़े और ज्यादा गहरे रंगों वाले झंडे हैं
-संजय द्विवेदी
देश भर के तमाम हिस्सों से सांप्रदायिक उफान, गुस्सा और हिंसक घटनाएं सुनने में आ रही हैं। वह भी उस समय जब हम अपनी सुरक्षा चुनौतियों से गंभीर रूप से जूझ रहे हैं। एक ओर पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले के चलते अभी देश विश्वमंच पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिशों में हैं, और उसे अवसर देने की रणनीति पर काम कर रहा है। दूसरी ओर आईएस की वैश्विक चुनौती और उसकी इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न देशों की युवा शक्ति को फांसने और अपने साथ लेने की कवायद, जिसकी चिंता हमें भी है। मालदा से लेकर पूर्णिया तक यह गुस्सा दिखता है, और चिंता में डालता है। पश्चिम बंगाल और असम के चुनावों के चलते इस गुस्से के गहराने की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं।
-संजय द्विवेदी
देश भर के तमाम हिस्सों से सांप्रदायिक उफान, गुस्सा और हिंसक घटनाएं सुनने में आ रही हैं। वह भी उस समय जब हम अपनी सुरक्षा चुनौतियों से गंभीर रूप से जूझ रहे हैं। एक ओर पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले के चलते अभी देश विश्वमंच पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिशों में हैं, और उसे अवसर देने की रणनीति पर काम कर रहा है। दूसरी ओर आईएस की वैश्विक चुनौती और उसकी इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न देशों की युवा शक्ति को फांसने और अपने साथ लेने की कवायद, जिसकी चिंता हमें भी है। मालदा से लेकर पूर्णिया तक यह गुस्सा दिखता है, और चिंता में डालता है। पश्चिम बंगाल और असम के चुनावों के चलते इस गुस्से के गहराने की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं।
चुनावी बिसात पर एसपी, बीएसपी, बीजेपी, कांग्रेस एक सुर में- हमसे अच्छा कौन है!
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनाव की तस्वीर धीरे-धीरे साफ होने लगी है। हाल ही में समाजवादी पार्टी द्वारा अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी स्पष्ट कर दिया कि वह किसी के साथ चुनावी तालमेल नहीं करेंगे। यह खबर यूपी में दोबारा पांव जमाने की कोशिश में लगी भाजपा को थोड़ी राहत पहुंचा सकती है, लेकिन महागठबंधन के नेताओं(लालू-नीतिश) और खासकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिये मुलायम-मायावती की एकला चलों की नीति बड़ा झटका है। यूपी में दशकों से वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस को पिछले तीन चुनावों में कड़ी मशक्कत के बाद भी राहुल गांधी उबार नहीं पाये तो 2017 के विधान सभा चुनाव में वह दूसरों(सपा-बसपा)के ‘आक्सीजन’ के सहारे कांग्रेस के उठ खड़ा हो जाने का सपना देखने लगे थे, लेकिन अब शायद ही उनका यह सपना पूरा हो पाये। 2017 में मुकाबला चाहें त्रिकोणीय हो या चतुकोणीय लेकिन इतना तय है कि अबकी बार चुनाव की तस्वीर काफी बदली-बदली नजर आयेगी। कई नये धुरंधर मैदान में ताकत अजमाते हुए दिखाई पड़ेगे तो 2012 के कई बड़े ‘खिलाड़ी’ परिदृश्य से बाहर नजर आयेंगे। बात विकास की भी होगी और मुद्दा प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था का भी उछलेगा। धर्म की बातें होंगी तो साम्प्रदायिकता पर भी बहस भी छिड़ेगी। जातिगत गणित यानी वोट बैंक साधने का खेल तो यूपी में कभी बंद ही नहीं होता है। इसी लिये शायद अपराधियों और दंगाइयों, विवादित बयान देने वालों की गिरफ्तारी उनके अपराधों की बजाये उनकी जात-धर्म देखकर की जाती है।
उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनाव की तस्वीर धीरे-धीरे साफ होने लगी है। हाल ही में समाजवादी पार्टी द्वारा अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी स्पष्ट कर दिया कि वह किसी के साथ चुनावी तालमेल नहीं करेंगे। यह खबर यूपी में दोबारा पांव जमाने की कोशिश में लगी भाजपा को थोड़ी राहत पहुंचा सकती है, लेकिन महागठबंधन के नेताओं(लालू-नीतिश) और खासकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिये मुलायम-मायावती की एकला चलों की नीति बड़ा झटका है। यूपी में दशकों से वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस को पिछले तीन चुनावों में कड़ी मशक्कत के बाद भी राहुल गांधी उबार नहीं पाये तो 2017 के विधान सभा चुनाव में वह दूसरों(सपा-बसपा)के ‘आक्सीजन’ के सहारे कांग्रेस के उठ खड़ा हो जाने का सपना देखने लगे थे, लेकिन अब शायद ही उनका यह सपना पूरा हो पाये। 2017 में मुकाबला चाहें त्रिकोणीय हो या चतुकोणीय लेकिन इतना तय है कि अबकी बार चुनाव की तस्वीर काफी बदली-बदली नजर आयेगी। कई नये धुरंधर मैदान में ताकत अजमाते हुए दिखाई पड़ेगे तो 2012 के कई बड़े ‘खिलाड़ी’ परिदृश्य से बाहर नजर आयेंगे। बात विकास की भी होगी और मुद्दा प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था का भी उछलेगा। धर्म की बातें होंगी तो साम्प्रदायिकता पर भी बहस भी छिड़ेगी। जातिगत गणित यानी वोट बैंक साधने का खेल तो यूपी में कभी बंद ही नहीं होता है। इसी लिये शायद अपराधियों और दंगाइयों, विवादित बयान देने वालों की गिरफ्तारी उनके अपराधों की बजाये उनकी जात-धर्म देखकर की जाती है।
सिर्फ मुसलमान होने के नाते हमें आतंकी बताकर फंसा दिया गया
लखनऊ । 8 साल 7 महीने लखनऊ जेल में रहने के बाद देशद्रोह के आरोप से दोषमुक्त हो चुके अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, शेख मुख्तार हुसैन, उनके परिजनों, रिहाई मंच के अध्यक्ष अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब व राजीव यादव ने आज यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में प्रेस वार्ता की। 24 परगना के बशीर हाट के रहने वाले 31 वर्षीय अजीर्जुरहमान ने बताया कि उसे 11 जून 2007 को सीआईडी वालों ने चोरी के इल्जाम में उठाया था। 16 जून को कोर्ट में पेश करने के बाद 22 जून को दोबारा कोर्ट में पेश कर 26 तक हिरासत में लिया। जबकि यूपी एसटीएफ ने मेरे ऊपर इल्जाम लगाया था कि मैं 22 जून को लखनऊ अपने साथियों के साथ आया था। आप ही बताएं की यह कैसे हो सकता है कि जब मैं 22 जून को कोलकाता पुलिस की हिरासत में था तो यहां कैसे उसी दिन कोई आतंकी घटना अंजाम देने के लिए आ सकता हूं।
Jan 15, 2016
अतिक्रमण हटाने को भास्कर ने बनाया उत्तेजना फैलाने वाली खबर..!
वास्तविकता, असलियत और हकीकत को उजागर करने वाली खबरों को निगेटिव का फतवा दे पाठकों को उनसे वंचित कर पाजिटिव के नाम पर ठाकुरसुहाती खबरों की घुट्टी पिलाने में दैनिक भास्कर का कोई मुक़ाबला नहीं है। इसके बावजूद अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिकस्थल को हटाए जाने की घटना को आज उकसाने वाली हेडिंग के साथ मत्थे के नीचे सात कालम मे छापना समझ से परे है।जरा खबर के शीर्षकों पर गौर फरमायें-आस्था पर चला हथौड़ा, आधी रात को चुपचाप तोड़ा साई मंदिर, सैंकड़ों व्यापारियों ने आनन-फानन मे बाजार बंद कराया और भरी विरोध के बाद झुका निगम आदि...!
एक जैन मुनि की नजर में आम बजट कैसा होना चाहिए...
-मुनि जयंत कुमार-
: बजट से उम्मीदें और संयमित जीवन : अगले महीने एनडीए सरकार का सालाना बजट आने वाला है। देश के करोड़ों लोगों की निगाहें इस पर लगी हुईं हैं। लोगों ने उम्मीदों की एक लंबी लिस्ट वित्त मंत्री अरूण जेटली को सौंप दी हैं। मौजूदा सरकार के लिए इन उम्मीदों को पूरा कर पाना कितना संभव होगा। यह थोड़ा सा मुश्किल नजर आ रहा है क्योंकि वर्ष 2016 में सरकार सातवां वेतन कमीशन भी लागू करने जा रही है।
तारकेश कुमार ओझा को मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता सम्मान
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ हिंदी पत्रकारों में शामिल तारकेश कुमार ओझा को मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया। साहित्यिक संस्था साहित्य विकास मंच की ओर से विगत 10 जनवरी को खड़गपुर के रेलवे स्कूल में आयोजित समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया।
नेहरू द्वारा लिखित 'भारत की खोज' में भारत के बारे में तमाम गलत तथ्यों को रखा गया : अनंत विजय
प्रवक्ता.कॉम द्वारा आयोजित संगोष्ठी 'साहित्य में भारतीयता की अवधारणा'
नईदिल्ली। प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर प्रवक्ता डॉट कॉम व राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) के सौजन्य से ‘साहित्य में भारतीयता की अवधारणा' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सूर्यास्त्र द्वारा प्रकाशित शाहज़ाद फ़िरदौस के शोध उपन्यास 'व्यास' के हिंदी संस्करण का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रिय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति श्री कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने की और कहा कि भारतीयता अंदर से निकलती है और हमें एहसास कराती है कि हम खुद को कितना भी बदल ले, विदेश चले जाये, बेशक नागरिकता बदल लें, लेकिन जब भारत में कुछ होता है तो जो ह्रदय से भारतीय हैं उनका मन बेचैन हो उठता है, यही भारतीयता है। उन्होंने एक संदर्भ देकर बताया कि भारतीय कहीं भी रहें लेकिन उनके चेतन में जो समाहित हो चुका है उसे उनके अंतर्मन से हटाया नही जा सकता। आज साहित्य में भी इसी बात की जरुरत है कि साहित्य रचते समय उसमें भारतीयता के भाव को समाहित किया जाय। बिना भारतीयता का समावेश किये कोई भारतीय साहित्य नहीं लिखा जा सकता है।
नईदिल्ली। प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर प्रवक्ता डॉट कॉम व राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) के सौजन्य से ‘साहित्य में भारतीयता की अवधारणा' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सूर्यास्त्र द्वारा प्रकाशित शाहज़ाद फ़िरदौस के शोध उपन्यास 'व्यास' के हिंदी संस्करण का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रिय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति श्री कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने की और कहा कि भारतीयता अंदर से निकलती है और हमें एहसास कराती है कि हम खुद को कितना भी बदल ले, विदेश चले जाये, बेशक नागरिकता बदल लें, लेकिन जब भारत में कुछ होता है तो जो ह्रदय से भारतीय हैं उनका मन बेचैन हो उठता है, यही भारतीयता है। उन्होंने एक संदर्भ देकर बताया कि भारतीय कहीं भी रहें लेकिन उनके चेतन में जो समाहित हो चुका है उसे उनके अंतर्मन से हटाया नही जा सकता। आज साहित्य में भी इसी बात की जरुरत है कि साहित्य रचते समय उसमें भारतीयता के भाव को समाहित किया जाय। बिना भारतीयता का समावेश किये कोई भारतीय साहित्य नहीं लिखा जा सकता है।
भास्कर का संवाददाता मनीष निकला सेक्स रैकेट का मुख्य सूत्रधार!
ब्यावर के बहुचर्चित सेक्स रैकेट का मुख्य सूत्रधार पुलिस ने भास्कर संवाददाता मनीष शर्मा को बताया है। पुलिस की ओर से न्यायालय में पेश की गई एफआर में यह साफ़ लिखा गया है कि उक्त कार्रवाई स्थानीय पत्रकार द्वारा पुलिस पर दबाव बनाए जाने पर की गई। ज्ञात हो कि उक्त मामले में मनीष शर्मा की लिप्तता की खबर सामने आते ही भास्कर प्रबंधन ने उसे निलंबित कर दिया था।
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पुलिस का दलाल बना भास्कर का अय्याश क्राइम रिपोर्टर
पत्रिका 'उत्तरजन टुडे' में वैकेंसी
जन सरोकारों से जुड़े युवाओ के लिए जो पत्रकारिता के छेत्र में लीक से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं उनके लिए देहरादून से शीघ्र प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय मासिक पत्रिका उत्तरजन टुडे से जुड़ने का सुनहरा मौक़ा है. इस पत्रिका को दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, मेरठ, गाज़ियाबाद सहित उत्तराखंड के समस्त जिलों में प्रमुख संवाददाता, ब्यूरो चीफ व संवाददाता की जरूरत है. इच्छुक लोग uttarjan.today@gmail.com पर आवेदन करें. कृपया विशुद्ध हिन्दी जानने वाले ही संपर्क करें. पत्रिका की तरफ से पूर्णकालिक रूप से जुड़ने वालों के अलावा अंशकालिक रूप से जुड़ने वालों को भी ठीक-ठाक पैसा मिलेगा.
परिवरवादी मुलायमसिंह यादव के 19वें और 20वें रिश्तेदारों की ताजपोशी
-श्रीप्रकाश दीक्षित-
जेपी आंदोलन की उपज और अपने को उनके साथ-साथ राममनोहर लोहिया का अनुयायी बताते नहीं थकते हैं मुलायमसिंह यादव और लालूप्रसाद यादव। फिर भी चुनाव जीतने के लिए दोनों पूरी तरह जातिवादी राजनीति पर उतर आते हैं और जीतने पर परिवारवादी राजनीति का दामन थाम लेते हैं। लालू यादव सबसे पहले पत्नीवादी के रूप मे उभर कर सामने आए जब भ्रष्टाचार के कारण चुनाव लड़ने से अपात्र घोषित होते ही रातोंरात उन्होने राजनीति का क-ख-ग भी नहीं जानने वाली पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था। हालांकि उनके पास रघुवंश प्रसाद जैसे काबिल, समर्पित और जुझारू समर्थक मौजूद थे। जाहिर है यदि उन्हे बना देते तो बिहार की बागडोर उस तरह उनके हाथ मे नहीं रह पाती जैसी पत्नी के बनने पर रही थी। अब नवीं फेल एक पुत्र को उप मुख्यमंत्री और दूसरे को मंत्री बना कर उन्होने डंके की चोट पर अपने परिवरवादी होने का ऐलान कर दिया है। देर सबेर उनकी पुत्री मीसा के भी राज्यसभा मे पहुँचने की खबर है।
जेपी आंदोलन की उपज और अपने को उनके साथ-साथ राममनोहर लोहिया का अनुयायी बताते नहीं थकते हैं मुलायमसिंह यादव और लालूप्रसाद यादव। फिर भी चुनाव जीतने के लिए दोनों पूरी तरह जातिवादी राजनीति पर उतर आते हैं और जीतने पर परिवारवादी राजनीति का दामन थाम लेते हैं। लालू यादव सबसे पहले पत्नीवादी के रूप मे उभर कर सामने आए जब भ्रष्टाचार के कारण चुनाव लड़ने से अपात्र घोषित होते ही रातोंरात उन्होने राजनीति का क-ख-ग भी नहीं जानने वाली पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था। हालांकि उनके पास रघुवंश प्रसाद जैसे काबिल, समर्पित और जुझारू समर्थक मौजूद थे। जाहिर है यदि उन्हे बना देते तो बिहार की बागडोर उस तरह उनके हाथ मे नहीं रह पाती जैसी पत्नी के बनने पर रही थी। अब नवीं फेल एक पुत्र को उप मुख्यमंत्री और दूसरे को मंत्री बना कर उन्होने डंके की चोट पर अपने परिवरवादी होने का ऐलान कर दिया है। देर सबेर उनकी पुत्री मीसा के भी राज्यसभा मे पहुँचने की खबर है।
आगरा में इसाई समाज का आगमन और विस्तार : व्यापार, धर्मान्तरण, शासन तथा सेवा भावना द्देश्य
-डा. राधेश्याम द्विवेदी-
इसाई समाज के तीन समूहः- इसाई समाज में उनके धार्मिक मान्यता के अनुसार तीन समूह होते हैं -पहला रोमन कैथलिक होता है, जो मूलतः रोम से निकला है और पूरे विश्व में फैला हुआ है। दूसरा समूह पूर्वी आर्थोडाक्स तथा तीसरा प्रोटेस्टेट। भारत में 1533 ई. में पुर्तगाली ईसाई समाज हिन्द महासागर के पश्चिमी तट स्थित गुजरात, दमन, दीव तथा गोवा आदि स्थानों पर आये थे। गोवा में 1534 में डायओसिस ( विशप प्रदेश ) का निर्माण किया था। यहां 1538 -39 ई. में प्रथम गिरजाघर खुला । 1540 के आसपास यहां 100 से ज्यादा पादरी आ चुके थे। 1542 में फ्रांसिस जेवियर ने यहा ंस्कूल भी खोला था। यहां इन लोगों ने इसाई धर्म का प्रचार प्रसार तथा धर्मान्तरण कराना शुरू कर दिया था। प्रचार दलों के माध्यम से पूरे देश में अपने धर्म की नींवं जमाना शुरू कर दिये था।
इसाई समाज के तीन समूहः- इसाई समाज में उनके धार्मिक मान्यता के अनुसार तीन समूह होते हैं -पहला रोमन कैथलिक होता है, जो मूलतः रोम से निकला है और पूरे विश्व में फैला हुआ है। दूसरा समूह पूर्वी आर्थोडाक्स तथा तीसरा प्रोटेस्टेट। भारत में 1533 ई. में पुर्तगाली ईसाई समाज हिन्द महासागर के पश्चिमी तट स्थित गुजरात, दमन, दीव तथा गोवा आदि स्थानों पर आये थे। गोवा में 1534 में डायओसिस ( विशप प्रदेश ) का निर्माण किया था। यहां 1538 -39 ई. में प्रथम गिरजाघर खुला । 1540 के आसपास यहां 100 से ज्यादा पादरी आ चुके थे। 1542 में फ्रांसिस जेवियर ने यहा ंस्कूल भी खोला था। यहां इन लोगों ने इसाई धर्म का प्रचार प्रसार तथा धर्मान्तरण कराना शुरू कर दिया था। प्रचार दलों के माध्यम से पूरे देश में अपने धर्म की नींवं जमाना शुरू कर दिये था।
नाकोड़ा तीर्थ पर एक लाख से ज्यादा भैरव भक्तों की उपस्थिति, रंगीन रोशनी में बेहद भव्य सजा था समूचा तीर्थ
मुंबई। भगवान श्री पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिवस के पावन अवसर पर विश्व
के महान चमत्कारी नाकोड़ा तीर्थ पर आयोजित पोषदशमी मेले में इस बार करीब
एक लाख से भी ज्यादा भैरव भक्तों ने भाग लेकर देवाधिदेव भैरव देव एवं
भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन किए, पूजा अर्चना की एवं भक्ति करके अपनी
श्रद्धा का परिचय दिया। नाकोड़ा भैरव मंडल के मोती सेमलानी के मुताबिक इस
बार सबसे ज्यादा भैरवभक्त मुंबई से थे। पोषदशमी के अवसर पर लाखों रंग
बिरंगे बल्बों की जगमगाती रोशनी में नाकोड़ा तीर्थ की सुन्दरता का भव्य
नजारा इतना खूबसूरत था कि हर किसी को बरसों बरसों तक याद रहेगा।
नाकोड़ाजी के मुख्य मंदिर सहित संपूर्ण परिसर रंगबिरंगी रोशनी से जगमगा
रहा था। रात को यहां का नजारा देखने लायक था।
रवींद्र कालिया को दी श्रद्धांजलि
इलाहाबाद। साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ के तत्वावधान में रविवार को हरवारा,धूमनगंज में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने किया। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि अभी पिछले साल 8 फरवरी 2015 को गुफ्तगू के कार्यक्रम में रवींद्र कालिया आए थे, उन्होंने इलाहाबाद और गुफ्तगू से जुड़ी हुई बहुत सी बातें की थी, आज इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि हमारे बीच वे नहीं रहे।
अखबार मालिकान 20जे की आड़ में अवमानना से नहीं बच सकते
अखबार मालिकान 20जे की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना से नहीं बच सकते हैं। एक बार को हम 20जे के मुद्दे को एक एकरतफ भी रख दें, तो भी अखबार मालिकानों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना तो की ही है। मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार स्थायी के साथ-साथ ठेका और अंशकालिक कर्मचारियों को भी वेजबोर्ड के लाभ मिलने हैं। ऐसे में 1 दिसंबर 2011 के बाद किसी भी संस्थान एवं न्यूज एजेंसी में भर्ती सभी साथी चाहे वे स्थायी हो या ठेके पर या अंशकालिक सभी के सभी मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतनमान लेने के अधिकारी हैं। जबकि ज्यादातर समाचार-पत्रों ने 20जे की आड़ में इनको भी मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान से वंचित कर रखा है, जबकि यह सभी साथी 20जे की परिधि से बाहर हैं। जो कि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
पुलिस का दलाल बना भास्कर का अय्याश क्राइम रिपोर्टर
दैनिक भास्कर अजमेर संस्करण के ब्यावर कार्यालय में कार्यरत पत्रकार मनीष शर्मा एक आदतन अपराधी है। शराब पीकर अय्याशी करने वाला यह मनचला लंबे समय से ब्यावर पुलिस का दलाल बना हुआ है। बेगुनाह लोगों को फर्जी मामलों में फंसाकर पुलिस के लिए अवैध वसूली करना जगजाहिर है। हाल ही राजस्थान के बहुचर्चित फर्जी सेक्स रैकेट मामले में एक बार फिर मनीष की अनैतिक कार्यों में लिप्तता सामने आई है। इसी दलाल रूपी पत्रकार की वजह से 7 बेटियों सहित 15 बेगुनाह युवाओं के पाक दामन में दाग लगा। ब्यावर, अजमेर सहित प्रदेशभर में दैनिक भास्कर की बदनामी हुई। आरोप लगे कि सकारात्मक सोच की बात कर लोगों को न्याय दिलाने वाले भास्कर अखबार के पत्रकार काले कारनामों में लिप्त होकर गोरखधंधे कर रहे हैं।
सावधान, कहीं यह मोबाइल फोन तो खरीदने नहीं जा रहे
-रामजी मिश्र 'मित्र'-
सिर मुडाते ही ओले पड़े वाली कहावत बीते दिनों सैमसंग के साथ भी हुई। उसके नवनिर्मित टाइजन जेड थ्री की वजह से उपभोक्ताओं के बीच समसंग की साख को गिरते हुए देखा गया। समसंग के टाइजन की उपभोक्ताओं ने जमकर निंदा की है। दरअसल आठ हजार रुपये की कीमत के आसपास का यह फोन उपभोक्ताओं को कतई रास नहीं आ रहा है। एक बार इस फोन को खरीदने के बाद उपभोक्ता समसंग पर भड़ास भरे कमेन्ट कर रहे हैं।
सिर मुडाते ही ओले पड़े वाली कहावत बीते दिनों सैमसंग के साथ भी हुई। उसके नवनिर्मित टाइजन जेड थ्री की वजह से उपभोक्ताओं के बीच समसंग की साख को गिरते हुए देखा गया। समसंग के टाइजन की उपभोक्ताओं ने जमकर निंदा की है। दरअसल आठ हजार रुपये की कीमत के आसपास का यह फोन उपभोक्ताओं को कतई रास नहीं आ रहा है। एक बार इस फोन को खरीदने के बाद उपभोक्ता समसंग पर भड़ास भरे कमेन्ट कर रहे हैं।
सामना, शहादत और मातम! : जग नहीं सुनता कभी दुर्बल जनों का शांति प्रवचन
-संजय द्विवेदी-
पाकिस्तान के जन्म की कथा, उसकी राजनीति की व्यथा और वहां की सेना की मनोदशा को जानकर भी जो लोग उसके साथ अच्छे रिश्तों की प्रतीक्षा में हैं, उन्हें दुआ कि उनके स्वप्न पूरे हों। हमें पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाते समय सिर्फ इस्लामी आतंकवाद की वैश्विक धारा का ही विचार नहीं करना चाहिए बल्कि यह भी सोचना चाहिए कि आखिर यह देश किस अवधारणा पर बना और अब तक कायम है? पाकिस्तान सेना का कलेजा अपने मासूम बच्चों के जनाजों को कंधा देते हुए नहीं कांपा (पेशावर काण्ड) तो पड़ोसी मुल्क के नागरिकों और सैनिकों की मौत उनके लिए क्या मायने रखती है।
पाकिस्तान के जन्म की कथा, उसकी राजनीति की व्यथा और वहां की सेना की मनोदशा को जानकर भी जो लोग उसके साथ अच्छे रिश्तों की प्रतीक्षा में हैं, उन्हें दुआ कि उनके स्वप्न पूरे हों। हमें पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाते समय सिर्फ इस्लामी आतंकवाद की वैश्विक धारा का ही विचार नहीं करना चाहिए बल्कि यह भी सोचना चाहिए कि आखिर यह देश किस अवधारणा पर बना और अब तक कायम है? पाकिस्तान सेना का कलेजा अपने मासूम बच्चों के जनाजों को कंधा देते हुए नहीं कांपा (पेशावर काण्ड) तो पड़ोसी मुल्क के नागरिकों और सैनिकों की मौत उनके लिए क्या मायने रखती है।
पाठकों की भाषा बिगाड रहे अखबार
वो दिन लद गए जब प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी अपना सामान्य ज्ञान ही नही व्याकरण भी सुधारते थे। यूं कहिए अखबारों पर उनकी निर्भरता कुछ ज्यादा हुआ करती थी । आज अगर अखबार के भरोसे रहे प्रतियोगी परीक्षा क्या घरेलू परीक्षा में भी " लुटिया " डूबनी तय है। पहले एक शहर से एक दो ही अखबार निकला करते थे आज अखबारों की "सुनामी" आ गई है। किसी भी दिन का अखबार उठा लें एक ही समाचार को अलग अलग ढंग से परोसते हैं अखबार। ऐतराज प्रस्तुतिकरण पर नहीं उसकी भाषा पर है।
सैफई महोत्सव में सितारों के जलवे न देख पाने से गुस्साये युवकों ने डेढ़ दर्जन वाहन तोड़ा और पुलिस कर्मियों को किया घायल
सैफई महोत्सव (इटावा) की स्टार नाइट में सितारों का जलवा न देख पाने से गुस्साये लोगों ने रोके जाने पर पुलिस पर हमला करने के बाद जमकर तोड़फोड की। हमले में पुलिस, प्रेस आदि करीब देढ़ दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त हो गये तथा दरोगा सहित पांच सिपाही घायल हो गये। गम्भीर घायल दरोगा को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अड़ोस पड़ोस के जनपद बासियों की भीड से महोत्सव का पांडाल शाम 6 बजे ही खचाखच भर गया था। हीरो सैफअली खान, हीरोइन करीना कपूर, सोनम कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, हास्य कलाकार गुड्डी आदि कलाकारों ने अपने कार्यक्रम शुरू किये।
मजीठिया: रणछोडदासों को एक मौका और
अब इसे सुप्रीम कोर्ट की मेहरबानी कहें या एक और कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा। जज ने अपना फैसला न सुनाते हुए ऐसे कागजी शेरों को एक और मौका दिया है जिन्होंने अपनी मानसिक गुलामी , मक्खनबाजी और स्वाभाविक दब्बूपन के कारण मालिकानों के एक इशारे पर लिखकर दे दिया कि उन्हें नए वेजबोर्ड के हिसाब से वेतन। और अन्य सुविधाएं नहीं चाहिए। वाह भाई क्या त्याग है? क्या महानता है? क्या स्वामिभक्ती है। ऐसा त्याग, ऐसी महानता और ऐसा स्वामीभक्ति तो शायद सामंती युग में भी न रही हो।
मैं सहारा में कार्यरत हूं और आज आफिस जाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं
कोई श्रम कानून का जानकार हो तो यह बताने की कृपा करे कि कर्मचारी जब हडताल पर रहता है तो सरकार या मिल/फैक्ट्री प्रबंधन " नो वर्क नो पे " का राग अलापते हुए हडताल अवधि का वेतन काट लेता है। आमतौर पर उतने दिन की ईएल काट ली जाती है। बात मुद्दे की यदि कोई संस्थान अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहा है तबभी आफिस जाना जरूरी है वो भी समय पर। ऐसी स्थित में कौन सा अवकाश ईएल/ सीएल/एमएल को छोड़ कर अनुमन्य है जो लिया जा सकता है।
बर्खास्त विक्रम राव आरोप लगाने के लिए रोज गढ़ते हैं किरदार
पद से हटाए जाने के बाद बौखलाए फरजीवाड़े के मास्टर आईएफडब्लूजे के पूर्व अध्यक्ष के विक्रम राव ने संगठन के प्रधान महासचिव पर जाली लोगों के नाम से काल्पनिक मेल भेज कर हमला करना शुरु किया है। यह वही राव हैं जिन पर विदेश यात्रा कराने के नाम पर पत्रकारों से पैसा एंठने, सम्मेलन में जाने वाले पत्रकारों की कैंप फीस खाने, संगठन के आफिस की साज-सज्जा के नाम पर करोड़ों हड़पने के आरोप साबित हो चुके हैं।
सपा की वादाखिलाफी के चलते बेगुनाह 8 साल जेल में सड़ने के लिए थे मजबूर
लखनऊ । रिहाई मंच ने आठ साल सात महीने कैद में रहने के बाद देशद्रोह के आरोप से दोषमुक्त अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नौशाद, नूर इस्लाम व शेख मुख्तार हुसैन की रिहाई को वादा खिलाफ सपा सरकार के मुंह पर तमाचा बताया। मंच ने देशद्रोह और यूएपीए को बेगुनाहों को फंसाने का पुलिसिया हथियार बताते हुए इसे खत्म करने की मांग की है। रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 2012 में आतंकवाद के आरोप में कैद निर्दोषों को छोड़ने के नाम पर आई सपा सरकार ने अपना वादा अगर पूरा किया होता तो पहले ही बेगुनाह छूट गए होते। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि आतंक के आरोपों से बरी हुए लोगों को मुआवजा व पुर्नवास किया जाएगा पर खुद अखिलेश सरकार अब तक अपने शासन काल में दोषमुक्त हुए किसी भी व्यक्ति को न मुआवजा दिया न पुर्नवास किया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को डर है कि अगर आतंक के आरोपों से बरी लोगों को मुआवजा व पुर्नवास करेंगे तो उनका हिन्दुत्वादी वोट बैंक उनके खिलाफ हो जाएगा।
मजीठिया मामले को लेकर देश भर के अखबारकर्मियों में हलचल तेज
नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया मामले की हाल में हुई सुनवाई में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से कर्मचारियों का पक्ष लेने से देश भर के मीडियाकर्मियों में जबरदस्त हलचल है। अख़बारकर्मियों में माननीय अदालत के रुख से काफी उत्साह है और वे पूरी ताकत से आगे की कार्रवाई में जुट गए हैं। एक बड़ी बात यह हुई है कि अब तक जो अखबारकर्मी अपने संस्थानों के भीतर डरे हुए बैठे थे वे भी आंदोलन की राह पर निकलने की तैयारी में हैं।
Jan 14, 2016
परमानन्द पाण्डेय अपने मुवक्किलों की फीस माफ़ करें और अंतिम निर्णय के बाद ही पांच प्रतिशत की रकम लें
जागरण के मजीठिया वेतनमान के मुवक्किलों ने अपना वकील बदल लिया है | अब श्री कोलिन गोंज़ाल्विस दैनिक जागरण के कर्मियों का केस लड़ेंगे| चर्चा है कि दैनिक जागरण के अन्य कर्मी भी परमानंद पांडेय को अपने वकील के रूप में न रखने को लेकर सक्रिय हैं और जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है| इस सब के पीछे कई कारण बताये जा रहे है.... मालिकों से सांठ-गाँठ, तारिख पे तारिख, धन उगाही.... यहाँ पर ये बताना ज़रूरी है की 2 माह पूर्व राजस्थान पत्रिका के कर्मियों ने भी परमानन्द पाण्डेय की कार्यशैली से त्रस्त आकर अपना वकील बदल लिया था|
अमर उजाला और पुष्प सवेरा समाचार पत्र में हुआ करार? एक समान खबरें छाप रहे है दोनों अखबार
फिरोजाबाद : आगरा से प्रातः कालीन प्रकाशित समाचार पत्र अमर उजाला तथा पुष्प सवेरा में लगता है आपस में करार हो गया है. इस कारण ही दोनों समाचार पत्र एक ही तरह की फ़िरोज़ाबाद की खबरों को प्रतिदिन प्रकाशित कर रहे हैं. कई बार तो हेडिंग तक नहीं बदली है. दोनों समाचार पत्रों में एक तरह की खबरों के प्रकाशन से फ़िरोज़ाबाद के पाठक अचंभित हैं कि आखिर ये कैसे हो रहा है.
होशंगाबाद भास्कर जीएम सुरेन्द्र राय पर हुई FIR, लड़की बाजी का मामला
दैनिक भास्कर होशंगाबाद के जनरल मैनेजर सुरेंद्र राय के खिलाफ एक युवक ने एफआईआर कराई है. युवक ने जो आरोप लगाया है उसके मुताबिक उनकी जिस लड़की से सगाई होने वाली है, उसका नाम लेकर सुरेंद्र ने गंदी गंदी गालियां दी और सगाई न करने को कहा. नीचे एफआईआर की कापी और पूरा मामला विस्तार से पढ़ें...
पत्रकारों के बीमा हेतु सभी पत्रकार संगठित, बना महागठबंधन
लखनऊ के वो कौन साढे तीन सौ पत्रकार हैं जिनके जीवन बीमा पर प्रदेश सरकार 25 लाख रुपए सालाना खर्च करती है?
सिर्फ लखनऊ के साढे तीन सौ पत्रकारों के जीवन बीमा के लिए प्रदेश सरकार 25 लाख रुपए सालाना खर्च करती है। वे कौन जर्नलिस्ट हैं? सूचना के अध्किार के तहत मांगे गए सवाल का जवाब वर्षों से नहीं मिल सका है। अन्य जर्नलिस्टों को भी जीवन बीमा का लाभ देने के लिए प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव आदेश दे चुके हैं लेकिन बीमा का बजट सूचना विभाग में क्यों नहीं बढाया जा रहा है।
विश्व पुस्तक मेले में ब्रजेश राजपूत को शिवना सम्मान प्रदान किया गया
शिवना प्रकाशन द्वारा नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर आयोजित विश्व पुस्तक मेले में दिनांक 13 जनवरी को हॉल क्रमांक 8 में साहित्य मंच पर आयोजित शिवना सम्मान समारोह में पत्रकार श्री ब्रजेश राजपूत को अम्बादत्त भारतीय स्मृति शिवना सम्मान प्रदान किया गया।
Jan 13, 2016
प्रो संदीप पाण्डेय बर्खास्तगी प्रकरण में छित्तूपुर गेट काशी विश्वविद्यालय पर हुयी जनसभा
आज मंगलवार को छित्तूपुर काशी विश्वविद्यालय गेट पर प्रोफेसर संदीप पाण्डेय बर्खास्तगी प्रकरण में एक जनसभा संयुक्त छात्र अधिकार मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित हुयी । गुमटी फेरी पटरीव्यवसाइयों, ग्रामीणों, छात्रों-युवाओं के जनसमूह वाली जनसभा में कुलपति प्रो जी सी त्रिपाठी और परिसर के भगवाकरण के विरोध में नारे लगे और नई शिक्षा नीति से होते हुए पूंजीवादी फाँसीवाद के बड़े सवालों से घंटों संवाद होता रहा।
पत्रकार सोनू सिंह के हमलावरों को गिरफ्तार करने के लिए पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल मिला एसएसपी से
वाराणसी। सोमवार को पत्रकार प्रेस परिषद के जिलाध्यक्ष घनश्याम पाठक के नेतृत्व में पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरी से उनके कैम्प कार्यालय में मिला। पत्रकारों ने चोलापुर निवासी पत्रकार सोनू सिंह के ऊपर गोली चलाकर हत्या करने के प्रयास के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी करने, घटना के पीछे की कहानी का खुलासा करने के साथ साथ सुरक्षा व्यवस्था की मांग की। कप्तान कुलहरि ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पत्रकार पर हुए हमले के मामले में खुलासा के लिए रोहनिया के थानाध्यक्ष शिवानंद मिश्रा व क्राइम ब्रांच के प्रभारी एस पी सिंह को लगाने की घोषणा की। साथ ही पत्रकार सोनू सिंह की सुरक्षा के लिए स्थानीय थाने से पुलिस बल मुहैया कराने का आश्वासन दिया। कप्तान ने कहा कि जल्द ही मामले का खुलासा किया जाएगा।
Jan 8, 2016
Reading Phule - Now No More Silences!
-subhash gatade-
“Lack of education lead to lack of wisdom,
Which leads to lack of morals,
Which leads to lack of progress,
Which leads to lack of money,
Which leads to the oppression of the lower classes,
See what state of the society one lack of education can cause!”
·Jyotiba Phule
..Most people do not realize that society can practise tyranny and oppression against an individual in a far greater degree than a Government can. The means and scope that are open to society for oppression are more extensive than those that are open to Government; also they are far more effective. What punishment in the penal code is comparable in its magnitude and its severity to excommunication? Who has greater courage—the Social Reformer who challenges society and invites upon himself excommunication or the political prisoner who challenges Government and incurs sentence of a few months or a few years imprisonment?..
(Ranade, Gandhi and Jinnah, Address delivered by Dr Ambedkar on the 101 st birthday celebration of M G Ranade, 18 th January, 1943)
“Lack of education lead to lack of wisdom,
Which leads to lack of morals,
Which leads to lack of progress,
Which leads to lack of money,
Which leads to the oppression of the lower classes,
See what state of the society one lack of education can cause!”
·Jyotiba Phule
..Most people do not realize that society can practise tyranny and oppression against an individual in a far greater degree than a Government can. The means and scope that are open to society for oppression are more extensive than those that are open to Government; also they are far more effective. What punishment in the penal code is comparable in its magnitude and its severity to excommunication? Who has greater courage—the Social Reformer who challenges society and invites upon himself excommunication or the political prisoner who challenges Government and incurs sentence of a few months or a few years imprisonment?..
(Ranade, Gandhi and Jinnah, Address delivered by Dr Ambedkar on the 101 st birthday celebration of M G Ranade, 18 th January, 1943)
Eat healthy to avoid anemia: Dr. Sonia Malik
In our country, more than half of the population is suffering from the problem of anemia- low iron level in blood stream. In order to overcome this problem, it is very important to identify and understand the causes and symptoms of it. Approximately 60% of the total population is suffering from this problem and the percentage is considerably higher in women than in men.
मुफ्त बीमा सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र के पत्रकार इन लोगों से संपर्क करें
मुंबई : मराठी पत्रकार दिन के अवसर पर "जर्नलिस्ट वेलफेयर असोसिएशन" की तरफ से "पत्रकारों की सामाजिक सुरक्षा और बीमा सुरक्षा" विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया था। इस परिसंवाद में "जर्नलिस्ट वेलफेयर असोसिएशन" की तरफ से पत्रकारों को मुफ़्त सामूहिक बीमा (Group Insurance Policy) सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया।
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