Jan 13, 2016
प्रो संदीप पाण्डेय बर्खास्तगी प्रकरण में छित्तूपुर गेट काशी विश्वविद्यालय पर हुयी जनसभा
आज मंगलवार को छित्तूपुर काशी विश्वविद्यालय गेट पर प्रोफेसर संदीप पाण्डेय बर्खास्तगी प्रकरण में एक जनसभा संयुक्त छात्र अधिकार मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित हुयी । गुमटी फेरी पटरीव्यवसाइयों, ग्रामीणों, छात्रों-युवाओं के जनसमूह वाली जनसभा में कुलपति प्रो जी सी त्रिपाठी और परिसर के भगवाकरण के विरोध में नारे लगे और नई शिक्षा नीति से होते हुए पूंजीवादी फाँसीवाद के बड़े सवालों से घंटों संवाद होता रहा।
ज्ञातव्य है की प्रोफेसर संदीप पाण्डेय ख्यातिलब्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता है सोनभद्र के अवैधखनन का मसला हो या कनहर बांध परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास की माँग हो ,राजातालाब में कोका कोला के खिलाफ आंन्दोलन हो या लंका पर पटरी व्यवसाइयों के नियमितीकरणकी बात हो या फिर गंगा किनारे 200 मीटर में रह रहे बाशिंदों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना हो डॉ संदीप पाण्डेय हर मोर्चे पर मजलूमों के साथ खड़े रहे है और अपने छात्रों को भी ऐसे विषयों पर सोचने और सवाल उठाने को प्रेरित करते रहे है, आईआईटी बीएचयू में अतिथि प्रवक्ता पद से बर्खास्त किए गए है।
प्रो पाण्डेय का कहना है की कुलपति बीएचयू ने उन्हें नक्सलवादी और राष्ट्रद्रोही करार देतेहुए पद से हटाया है। जनसभा में लोगो ने कहा की एक सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता के लिए कुलपति बीएचयू ने यदि ये कहा है तो उन्हें तत्काल क्षमा मांगनी चाहिए। मालवीय जी भी विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी शिक्षा देने के पक्ष में कभी नहीं थे वे चाहते थे की विश्वविद्यालय का छात्र राष्ट्रनिर्माण और समाज निर्माण में जुटे। संदीप पाण्डेय भी परिसर के छात्रों के साथ ऐसे ही सामाजिक रचनात्मक विषयों पर कार्यक्रम करते रहे है , ऐसा करना नक्सलवादी और राष्ट्रद्रोही कैसे हो सकता है भला ? जनसभा में संदीप पाण्डेय की तत्काल बहाली की मांग किया गया और ऐसा न होने पर बड़े जनआंदोलन की चेतावनी दी गयी है।
जनसभा में लोगो ने कहा की संदीप पाण्डेय जी ने अपने ऑफिस के दरवाजे गरीब मजलूमों छात्रों के लिए खोल के रखा था जबकि ये विवि प्रशासन तो हम चित्तूपुर के लोगो के बीएचयू में आने जाने को ही बर्दाश्त नही कर पाता है। संदीप सर के बीएचयू में आनेसे आम गरीब ग्रामीण, मजदुर, पटरी व्यवसायी प्रकृति के लोग आने जाने लगे थे , गरीब मजलूम एक प्रोफेसर के कमरे में आराम से आते जाते थे यह बात विश्विद्यालय के उन लोगो को अच्छी नही लगी जो ये सोचते है की विश्वविद्यालय एक वीआईपी स्थान है और विश्विद्यालय के शिक्षकों को इन गरीब गंदे लोगो के साथ मिलना जुलना नही चाहिए।
संदीप पाण्डेय गाँधीवादी नेता है और प्रोफेसर पाण्डेय को बीएचयू ने जो अपमानित करने का काम किया है उसका विरोध बनारस में शुरू हुआ और आज देश भरके टीवी न्यूज़ चैनलों अख़बारों और बुद्धिजीवियों के बीच से होते हुए शैक्षणिक परिसरों में हो रहा है और दिन रात बढ़ता ही जा रहाहै । विश्वविद्यालय के कुलपति को यह सोचना होगा की शताब्दी वर्ष में महामना के मूल्यों को शर्मसार करने का यह निर्णय क्यों लिया गया ? कुलपति को यह निर्णय वापस लेना ही होगा यह हमलोगो कीसमझौताहीन माँग है। वक्ताओं ने आरएसएस द्वारा परिसर के भगवाकरण के साजिश की भी कड़े शब्दों में निंदा किया है और दक्षिणपंथी ताक़तों के क्रियाकलापों को रोकने की भी बात उठाई है। जनसभा की अगुवाई संयुक्त छात्र अधिकार मोर्चा और गुमटी व्यवसायी कल्याण समिति लंका ने किया। जनसभा में प्रमुख रूप से विकास सिंह, चिंतामणि सेठ, सुनील यादव, धनञ्जय त्रिपाठी, शिवम राज श्रीवास्तव ( छात्रनेता म०गा०का०वि०पि०), अमित यादव (पुस्तकालय मंत्री म०गा०का०वि०पि० ) शैलेश, संदीप, अनुपम, वागीश मिश्रा, चन्दन पटेल, सोनी, बाबू सोनकर, शिखा सिंह , हर्षित सिंह , सत्यव्रत आदि मौजूद रहे।
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