पद से हटाए जाने के बाद बौखलाए फरजीवाड़े के मास्टर आईएफडब्लूजे के पूर्व अध्यक्ष के विक्रम राव ने संगठन के प्रधान महासचिव पर जाली लोगों के नाम से काल्पनिक मेल भेज कर हमला करना शुरु किया है। यह वही राव हैं जिन पर विदेश यात्रा कराने के नाम पर पत्रकारों से पैसा एंठने, सम्मेलन में जाने वाले पत्रकारों की कैंप फीस खाने, संगठन के आफिस की साज-सज्जा के नाम पर करोड़ों हड़पने के आरोप साबित हो चुके हैं।
राव ने किसी एमपी दुबे के नाम से पत्रकारों को एक मेल भेज कर मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे जागरण कर्मियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए वकील बदले जाने की जानकारी दी है। साथ ही परमानंद पांडे पर फीस के नाम पर करोड़ों लेने व पैरवी सही तरीके से न करने का आरोप लगाया है। साथियों हकीकत तो यह है कि आजतक किसी एक भी मीडिया कर्मी ने परमानंद पांडे को फोन कर या मिल कर भी मजीठिया केस से हटने या पैरवी न करने के लिए नही कहा है। पत्र के लेखक मेहरबानी कर कम से कम एक नाम तक तो लिख देते। हालांकि मेल के अंत में नाम नही दिया है और केस का वादी होने का दावा किया है। हैरत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट में अपने हक के लिए लड़ाई लड़ने वाला मेल में अपना नाम तक नही देना चाहता और करोड़ों की फीस किससे ली है उनके नाम भी नही बताता। जबकि आरोप सही हों तो बड़ी आसानी से अदालत से वकालतनामे निकलवा कर उसे सही साबित किया जा सकता है। रही बात जागरण कर्मियों की तो अपनी बहादुरी से दैनिक जागरण जैसे संस्थान के माथे पर पसीना ला देने वाले बहादुर साथी किसी तरह की डील पर परमानंद पांडे को बख्शेंगे इसमे मुझे ही नही सभी को संदेह है।
साथी कोलिन गोंजाल्वेल्स आज से नही शुरु से परमानंद पांडे के साथ मिलकर मजीठिया का केस लड़ रहे हैं और कई मोरचे पर सफलता पायी है। परमानंद पांडे आज भी सैकड़ों कर्मियों के लिए मजीठिया का केस लड़ रहे हैं और कोलिन भी। इस मामले में उमेश वर्मा सहित कई और वकील भी पैरवी कर रहे हैं। परमानंद पांडे के मजीठिया मामले में अभूतपूर्व योगदान के बारे में उन्हें कई बार खुद राव सम्मानित कर चुके हैं। हालांकि राव खुद कभी अदालत में झांकने तक नही गए कि मजीठिया का केस किन हालात में है। मजीठिया बोर्ड के सदस्य रहे विक्रम राव व पत्रकारों का भला करने की छोड़ो बल्कि फरजी बिल लगा कर दस गुना भत्ता हड़पने के मामले की जांच अभी तक चल रही है। राव के फरजी बिल लगाने को लेकर जस्टिस मजीठिया ने खुद कड़ी नाराजगी जतायी थी। राव को इस मामले में विजिलेंस ने नोटिस भी भेजा है। शुद्ध अंग्रेजी तो क्या हिन्दी भी न बोल पाने वाले कथित पत्रकार व आईएफडब्लूजे के कोषाध्यक्ष श्याम बाबू के उधारी पर लिए गए नाम व मेल आईडी से विक्रम राव कई बार अलंकारिक हिन्दी व अंग्रेजी में परमानंद पांडे पर आरोप भरे पत्र लिख कर दुनिया जहान को भेज चुके हैं।
उधर आईएफडब्लूजे की वर्किंग कमेटी ने राव के खिलाफ मामला दर्झ कराने और अवैध तरीके से हड़पी रकम की वसूली की कारवाई शुरु करने का फैसला लिया है। राव के कुकृत्यों के चलते इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन आफ जर्नलिस्ट (आईओजे) ने आईएफडब्लूजे को न केवल संगठन से बाहर कर दिया था बल्कि राव पर एफआईआर कराने के लिए पत्र भी लिखा था। राव ने पीड़ित, प्रताड़ित व रोजगार गंवा चुके पत्रकारों की सहायता के लिए दी गयी एक आधुनिक प्रिंटिग प्रेस को अपने लखनऊ के अलीगंज स्थित घर पर लगा लिया और अपने बेटे से छपाई का कारोबार करवाने लगा। राव के बेटे के विश्वदेव राव ( जोकि पढ़ने में खासा मेधावी रहा है) इस प्रिंटिग प्रेस से करोड़ों रुपये बनाए और बाद को विक्रम राव ने आईएफडब्लूजे की विरासत सौंपने के लिए अपने इस बेटे को पत्रकार भी बना दिया (वह भी उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त)। इस काम में राव की मदद उसके चाकर की भूमिका निभाने वाले और आईएफडब्लूजे के कोषाध्यक्ष श्याम बाबू ने मदद की। यह वही श्याम बाबू है जिसने बरसों झांसी रेलवे स्टेशन पर सायकिल स्टैंड चलाया और बाद में रेलवे ने ठेका रद्द किया तो मुक्दमेबाजी भी की। फिलवक्त श्याम बाबू मथुरा में कभी कचौड़ी तलने वाले और अब पत्रकार संतोष चतुर्वेदी के साथ माल कमा रहा है।
लिहाजा श्री एमपी दुबे (आपका असली नाम तो सभी जानते हैं यह किरदार तो 75 पार कर चुके श्री विक्रम राव ने कल रात पैदा किया है) वकालतनामे, नामों और बयानों के साथ सामने आएं। मजीठिया को लेकर ताकतवर मीडिया संस्थानों से दो-दो हाथ करने निकले बहादुर पत्रकार से कम से कम इतनी तो उम्मीद की जाती है।
IFWJ
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