Jan 1, 2016

सण्डे हो या मंडे... गुरुजी का लक्ष्य है बच्चे पढें



रविवार हो या कोई छुट्टी का दिन गुरु जी रोज विद्यालय जायेगे, पढायेंगे और अच्छे नम्बरों के टिप्स अपने विद्यार्थियों को देंगे। हां परिणाम भी है भौतिक विज्ञान जैसे विषय में गुरुजी का परीक्षाफल किसी भी सत्र में 90 प्रतिशत से कम नही रहा। छात्र-छात्राओं को उनकी सलाह होती  है कभी भीऔर कहीं भी वे पाठ्क्रम सम्बन्धी समस्या का समाधान उनसे ले सकते हैं।


राजकीय इण्टर कालेज गैरसैंण के भौतिक विज्ञान प्रवक्ता दलजीतसिंह बिष्ट, उनके लिए रविवार और छुट्टी का महत्व ये है कि उन्होंने आज अपने विद्यार्थियों को क्या पढाया और कैसे वे उन्नति का शिखर छुयें। भौतिक ज्ञिान व राजनीति विज्ञान के परास्नातक दलजीतसिंह बिष्ट 1987 में अंशकालिक शिक्षक के रुप में विद्यालयी शिक्षा से जुडे। सन् 1989 में सथाई सेवा में आये। लाटूगैर, मेहलचौरी, रोहिडा इण्टर कालेजों में अध्यापन के बाद वे वर्तमान में राइका गैरसैंण में कार्यरत हैं।

श्री बिष्ट शिक्षा के गिरते स्तर के लिए सरकारी नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं- सबके लिए समान शिक्षा हो और  सी बी एस ई पाठ्क्रम प्राथमिक स्तर से लागू होना चाहिए।  शिक्षकों पर शिक्षण के अलावा दूसरे कार्यों को बोझ मानते हुए कहते हैं शिक्षा पीढी बनाने की जिम्मेदारी है और एक साथ कई जिम्मेदारियां अव्यवस्था को जन्म देती हैं।

मूल्यांकन पद्धति में सुधार, प्रत्येक स्तर पर बोर्ड की व्यवस्था के साथ किसी को अनुत्तीर्ण न करने जैसे नियमों में सुधार करना पडेगा। शिक्षकों को भौतिकवादी दृष्टिकोण न अपनाने की सलाह देते हुए दलजीतसिंह कहते हैंहमें छात्र हित में संलग्न रह कर शिक्ष के स्तर और व्यवस्था में परिवर्तन लाना होगा। रात-दिन शिक्षा और छात्र हित में सोचने वाले शिक्षक तमाम पुरस्कारों की दौड में पीछे छूट जाते हैं और दलजीतसिंह बिष्ट के साथ भी वही हुआ है। कहना न होगा कि छात्र- छात्राओं के चेहेते शिक्षक को अब तक कोई पुरस्कार नहीं मिला है।

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार PURUSHOTTAM ASNORA की रिपोर्ट. संपर्क : purushottamasnora@gmail.com

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