Jan 15, 2016
अखबार मालिकान 20जे की आड़ में अवमानना से नहीं बच सकते
अखबार मालिकान 20जे की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना से नहीं बच सकते हैं। एक बार को हम 20जे के मुद्दे को एक एकरतफ भी रख दें, तो भी अखबार मालिकानों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना तो की ही है। मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार स्थायी के साथ-साथ ठेका और अंशकालिक कर्मचारियों को भी वेजबोर्ड के लाभ मिलने हैं। ऐसे में 1 दिसंबर 2011 के बाद किसी भी संस्थान एवं न्यूज एजेंसी में भर्ती सभी साथी चाहे वे स्थायी हो या ठेके पर या अंशकालिक सभी के सभी मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतनमान लेने के अधिकारी हैं। जबकि ज्यादातर समाचार-पत्रों ने 20जे की आड़ में इनको भी मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान से वंचित कर रखा है, जबकि यह सभी साथी 20जे की परिधि से बाहर हैं। जो कि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
ऐसे वे सभी साथी जो कि अवमानना के केस में शामिल हैं और 20जे की परिधि से बाहर हैं उनसे अनुरोध है कि वे 11 जनवरी तक अपने वकील से संपर्क कर संस्थान में अपनी भर्ती होने की तिथि से उन्हें जरुर अवगत करवाएं। अब हम आते हैं मूल मुद्दे 20जे पर जिसकी आड़ में मालिकान अपने को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। साथियों हम पहले भी आपको अवगत करवा चुके हैं कि 20जे की मूल अवधारणा आपके वेतनमान को कतई कम करने की नहीं है। बल्कि इसका उद्देश्य उन साथियों के हितों की रक्षा के लिए था जो मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के तहत मिलने वाले वेतनमान से अधिक वेतन ले रहे थे।
उदाहरण 1. समाचार संपादक के पद पर कार्यरत संजय जोशी का वेतन मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने के समय 2 लाख रुपये था। वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने से उसका वेतन 1,05,445 रुपये हो जाता। ऐसे में 20जे में प्रदत्त अधिकार के तहत वह अपना पुराना वेतन (2लाख रुपये) कायम रख सकता है।
उदाहरण 2. एक अन्य अखबार में समाचार संपादक के पद पर कार्यरत नवीन कोठारी का वेतन मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने के समय 50 हजार रुपये था। वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने से उसका वेतन 1,05,445 रुपये हो जाएगा। ऐसे में उसके ऊपर 20जे लागू नहीं हो सकता, क्योंकि यह केवल वेजबोर्ड से ऊपर वेतन पाने वालों के हितों की रक्षा के लिए हैं, नाकि उससे कम वेतन पाने वालों के लिए। यानि नवीन कोठारी को वेजबोर्ड के अनुसार 1,05,445 रुपये वेतन के रुप में मिलने ही है।
इसके अलावा हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 में भी स्पष्ट है कि कोई भी संस्थान आपको वेजबोर्ड की सिफारिशों से कम वेतन नहीं दे सकता।
[Sec. 13- Working journalists entitled to wages at rates not less than those specified in the order - On the coming into operation of an order of the Central Government under section 12, every working journalist shall be entitled to be paid by his employer wages at the rate which shall in no case be less than the rate of wages specified in the order. धारा 13- धारा 12 के अधीन केंद्रीय सरकार के आदेश के प्रवर्तन में आने पर, प्रत्येक श्रमजीवी पत्रकार इस बात का हकदार होगा कि उसे उसके नियोजक द्वारा उस दर पर मजदूरी दी जाए जो आदेश में विनिर्दिष्ट मजदूरी की दर से किसी भी दशा में कम न होगी।]
साथियों इसके बाद भी आपको 20जे को लेकर कोई शंका हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर अपनी शंका का निकारण कर सकते हैं।
Advocate Parmanand Pandey ji
09868553507
parmanand.pandey@gmail.com
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