Jun 13, 2016
चार पीढ़ियों के चार प्रतिनिधि कवियों नरेश सक्सेना, संजय चतुर्वेदी, कृष्ण कल्पित और अविनाश मिश्र की कविताओं का पाठ
अन्वेषा के कार्यक्रम में चार पीढ़ियों के चार प्रतिनिधि कवियों नरेश सक्सेना, संजय चतुर्वेदी, कृष्ण कल्पित और अविनाश मिश्र की कविताओं का पाठ
नई दिल्ली । 'अन्वेषा' की ओर से कल शाम चार विशिष्ट हिंदी कवियों के कविता पाठ का आयोजन किया गया। चार पीढ़ियों के चार प्रतिनिधि कवियों - नरेश सक्सेना, संजय चतुर्वेदी, कृष्ण कल्पित और अविनाश मिश्र - की कविताओं को एक साथ सुनना श्रोताओं के लिए एक अनूठा अनुभव रहा। गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में 'अन्वेषा' की संयोजक कविता कृष्णपल्लवी ने इन चारों कवियों की अनूठी सर्जनात्मक क्षमता उन्हें सच्चे मायनों में विशिष्ट बनाती है।
नरेश सक्सेना लगभग आधी सदी से, कृष्ण कल्पित लगभग चार दशकों से और संजय चतुर्वेदी लगभग तीन दशकों से लिख रहे हैं और अविनाश मिश्र इक्कीसवीं सदी में हिन्दी कविता के क्षितिज पर अपना अलग स्थान बनाने वाले युवा कवि हैं। नरेश जी की कविता ने निरन्तर जीवन, सृजन और लौकिकता की अभ्यर्थना करते हुए अपनी एक अलग लीक बनायी है। संजय चतुर्वेदी और कृष्ण कल्पित की कविताएँ साहित्य-संस्कृति-राजनीति और समाज में व्याप्त मानवद्रोही प्रवृत्तियों, अवसरवाद और सत्तासंग रंगरेलियों पर लगातार क्रुद्ध और विक्षुब्ध चोटें करती हैं और ऐसा वे धूमिल, सर्वेश्वर या रघुवीर सहाय की लीक पर चलते हुए नहीं बल्कि अपने मौलिक ढंग से करती हैं। पाब्लो नेरूदा ने जिन ''मैली कविताओं'' की अभ्यर्थना की थी, वैसी ही मैली कविताएँ अपने-अपने ढंग से कृष्ण कल्पित और संजय चतुर्वेदी लिख रहे हैं। अविनाश उस पीढ़ी के कवि हैं जिसने नवउदारवादी ज़माने की चोटों को झेलते हुए होश सँभाला है। आम नागरिक के अन्तर्जगत और बहिर्जगत पर नग्न निरंकुश पूँजी और उसकी संस्कृति के दबावों और चोटों की सबसे प्रभावी इन्दराजी अपनी पीढ़ी के कवियों में अविनाश कर रहे हैं।
इसके बाद अविनाश मिश्र ने अपनी कविताओं - 'मूलत: कवि', 'उ ऊ', 'स्थितियाँ कैसी भी हों', 'सभ्यता', 'फिर हमने यह देखा', 'प्रतिभाएँ अपनी ही आग में', 'दस उच्छ्वास', 'गणमान्य तुम्हारी', 'प्रूफ़रीडर्स' और 'ये कवि हैं और कविताएँ भी लिखते हैं' - का पाठ किया। कृष्ण कल्पित ने 'विश्व हिंदी सम्मेलन', 'रेख़ते के बीज', 'संक्षेप', 'संवाद', 'अकेला नहीं सोया', 'साइकिल की कहानी' और 'कवियों की कहानी' कविताएँ पढ़ीं। संजय चतुर्वेदी ने अपनी कविताओं - 'ख़ुश कौन था वहाँ पर', 'एक ठुल्ले की कविता', 'हमें जो गलत बोलता वो गलत है', 'धन्यवाद ज्ञापन', 'सरबत सखी जमावड़ा - सरबत सखी निजाम' - का पाठ किया। अन्त में नरेश सक्सेना ने अपने विशिष्ट अन्दाज़ में '16 मई', 'बांसुरी', 'गिरना', 'पार', 'इस बारिश में' और 'चम्बल एक नदी का नाम' कविताएँ पढ़ीं।
करीब ढाई घंटे चले काव्यपाठ में पंकज बिष्ट, विष्णु नागर, आशुतोष कुमार, योगेन्द्र आहूजा, आर. चेतनक्रांति, रंजीत वर्मा, कविता, मृत्युंजय प्रभाकर, सुधांशु फिरदौस आदि कवियों-लेखकों सहित बड़ी संख्या में श्रोताओं की भागीदारी लगातार बनी रही। कविता कृष्णपल्लवी ने कहा कि आज की शाम हम इन चारों विशिष्ट कवियों की कविताएँ सुनेंगे। इन पर बातचीत का कार्यक्रम जल्दी ही अलग से रखा जायेगा। कार्यक्रम में युवा श्रोताओं की भी काफी संख्या थी। आयोजन स्थल को चारों कवियों की कविताओं के पोस्टरों से सजाया गया था और 'जनचेतना' की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी।
कविता कृष्णपल्लवी
संयोजक, ‘अन्वेषा’
मोबाइल : 09971158783
ईमेल : anveshatheforum@gmail.com
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