यूजीसी ने अपनी ताज़ा अधिसूचना में कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफ़ेसर व प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण न दिया जाये। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए इन पदों पर आरक्षण जारी रहेगा। इससे पूर्व सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ उड़ीसा और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ केरल समेत विभिन्न यूनिवर्सिटियों में इन पदों पर भी ओबीसी को आरक्षण दिया जाता रहा है, जबकि दिल्ली यूनिवर्सिटी व जेएनयू में इसके लिए संघर्ष जारी था।
यह नया घटनाक्रम बहुत चिन्ताजनक है तथा न सर्फ मनुवाद की स्थापना की दिशा में उठाया गया कदम है, बल्कि वंचित समुदायों में फूट डालने की रणनीति का भी हिस्सा प्रतीत होता है। गौरतलब है एक आरटीआई के अनुसार केंद्रीय विश्विद्यालयों में प्रोफ़ेसर पद पर ओबीसी से समुदाय से आने वालों की संख्या उँगलियों पर गिनने लायक है।
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