Jun 3, 2016

राजस्थान में पत्रकारों के मामलों में एक अदना सचिव उड़ा रहा न्यायालय का मजाक



उदयपुर. राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया के गृह जिले उदयपुर में नगर विकास प्रन्यास का एक अदना सा सचिव रामनिवास मेहता पत्रकारों के भूखण्ड आवंटन मामले में न्यायालय का मजाक उडा रहा है । दरअसल पत्रकारों को आवंटित भूखण्डों के सामने होटल हयात आने वाला है और इसलिए भूमाफियों की इस जमीन पर गिद्ध नजरें लगी हुई है। इसलिए चार साल पहले बाकायदा जांच कमेटी, लॉटरी और उसके बाद मिले भूखण्ड आवंटन पत्र को भूमाफियों के दबाव में मेहता ने न्यायालय के स्टे बाद भी निरस्त कर दिया। न्यायलय ने 31 मई को सुबह 11 बजे ही स्टे दे दिया था, लेकिन सचिव ने आनन फानन में शाम 6 बजे निरस्तगी के आदेश जारी कर दिए।


राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ संवाददाता विकास चौधरी व कुलदीप सिंह ने न्यायालय में वाद दायर किया था। विकास चौधरी तो अपने संस्थान के खिलाफ मजीठिया का केस भी लड़ रहे हैं। दरअसल मामला अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल का है, जब 2012 में आवंटन प्रक्रिया शुरू हुई थी। बाद में 2013 में पत्रकारों को आवंटन पत्र देने की प्रक्रिया पूरी हो गई। इस बीच कुछ वंचित पत्रकार न्यायालय में चले गए लेकिन वर्ष 2015 में आम सहमति से न्यायालय में मूल वाद वापस हो गया। इसके बावजूद प्लॉट की निर्धारित राशि जमा नहीं करने पर लेकसिटी प्रेस क्लब ने अवमानना का केस डाला था। इसमें न्यायालय का कोड़ा पडने पर सचिव मेहता ने अप्रेल में एक आदेश निकाल दिया कि प्राप्त 177 आवेदनों में से एक भी पत्रकार प्लॉट के योग्य नहीं है और इसलिए 31 मई तक वापस दस्तावेज जमा करवाएं। जबकि यूआईटी बाकायदा 102 पत्रकारों को आवंटन पत्र दे चुकी थी। इसलिए न्यायालय ने 31 मई को स्टे दे दिया लेकिन इसके बाद भी शाम 6 बजे आवंटन पत्र निरस्त कर दिए, जबकि 31 मई को ही शाम 6 बजे तक तो दस्तावेज जमा करवाने का ही समय था। ऐसे में सचिव ने कब इन दस्तावेजों की जांच की, सोचने वाली बात है। भूमाफियाओं के दबाव में पत्रकारों के भूखण्डों तक को नहीं छोडा जा रहा तो फिर आम जनता की तो बिसात ही क्या है।

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