नई दिल्ली । नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) ने बिहार के सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन और झारखण्ड के चतरा में पत्रकार इंद्रदेव यादव की हत्याओं के विरोध में शनिवार को यहाँ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर प्रदर्शन किया और इन घटनाओं की सीबीआई जांच कराने की मांग की। साथ ही दोनों पत्रकारों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग भी की। रास बिहारी के नेतृत्व में एनयूजे और डीजेए के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की। प्रतिनिधिमंडल में एनयूजे कोषाध्यक्ष दधिबल यादव, कार्यकारिणी सदस्य सीमा किरण, डीजेए अध्यक्ष अनिल पाण्डेय और जेयूजे उपाध्यक्ष विनोद विश्वकर्मा शामिल थे। केंद्रीय गृहमंत्री ने इन घटनाओं की राज्य सरकारों से रिपोर्ट मंगाने और कार्रवाई किये जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने फरीदाबाद में महिला पत्रकार की रहस्यमय हालात में मौत की घटना में भी वाज़िब कार्रवाई का भरोसा दिया।
एनयूजे के अध्यक्ष रासबिहारी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पत्रकार शाम चार बजे केंद्रीय गृह मंत्री के आवास पर पहुंचे और जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने काली पट्टियां बाँध कर नारेबाजी करते हुए अपने गुस्से का इजहार किया। प्रदर्शकारियों में वरिष्ठ पत्रकार मनोहर सिंह, प्रमोद मजूमदार, रूप चौधरी, प्रतिभा शुक्ला, सुरेश कुमार वीएस, नेत्रपाल शर्मा, संजीव सिन्हा, फजले गुफरान, हीरेंद्र राठौड़, सगीर अहमद और राज कमल चौधरी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार शामिल थे ।
एनयूजे अध्यक्ष रासबिहारी ने पत्रकार रंजन की हत्या में बिहार के एक माफिया सरगना के गुर्गों पर शक जताते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे एक दिन पहले अपराधियों ने झारखंड के चतरा में पत्रकार इंद्रदेव यादव की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भी पत्रकारों की हत्या को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि मीडिया के लिए भारत पहले ही असुरक्षित माना जाता है। इन हत्याओं से मीडिया में दहशत व्याप्त है। आईएफजे की तरफ से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दक्षिण एशिया के पत्रकार संगठनों की तरफ से पत्र भेजा जाएगा।
रास बिहारी ने कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान भी दो पत्रकारों की हत्या हुई थी। पत्रकारों की हत्या के बाद बिहार की मीडिया में खौफ पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि रंजन की हत्या के बाद पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए कोई तत्परता नहीं दिखा रही है। दिल्ली पत्रकार संघ (डीजेए) के अध्यक्ष अनिल पांडेय और महासचिव आनंद राणा ने कहा कि पिछले साल देश में आठ पत्रकारों की हत्या हुई थी और 120 से ज्यादा हमले हुए थे। पत्रकारों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर उपरोक्त हत्याकांडों का खुलासा किया जाए।
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