भदोही । उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के चर्चित गोमांस प्रकरण का खुलासा होने के बाद भदोही पुलिस का काला चेहरा बेनकाब हो गया है। जाँच के बाद यह बात साफ हो गयी कि तत्कालीन थानाध्यक्ष गोपीगंज रमेश चौबे ने जनवरी में जो 7000 किग्रा गोमांस बरामद करने और उसे ज़मीन में दबाने का दावा किया था वह उनकी साजिश थी। जबकि वह ओमैसम था यानी एक तरह का नमक लगा सूखा मांस था जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रूपये थी। एसओ ने अपने क्राइम ब्रांच के एक सहयोगी की मदद से उसे बेच दिया। यह कोलकाता से हापुड जा रहा था। इस मामले की जाँच मिर्जापुर डीआईजी अपने स्तर से करवा रहे थे। पुलिस ने इस मामले में जहाँ माल बरामद किया है वहीँ तीन अभियुक्त को गिरफ्तार भी किया है जबकि दोषी पुलिस कर्मी इस मामले में निलम्बित हैं।
उपमहानिरीक्षक विन्ध्याचल परिक्षेत्र मीरजापुर ने मीडिया के सामने गिरफ्तार अपराधियों को पेश कर घटना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि तत्कालीन एसओ रमेश चौबे ने वाहन संख्या (यू0पी0 81 ए0एफ0 9907) से गोमांस बरामद करने का दावा किया था। गोवध निवारण अधिनियम में दिनांक 28 जनवरी 2016 को अभियोग पंजीकृत किया। विवेचना तत्कालीन प्रभारी चौकी गोपीगंज श्री रंग बहादुर पाण्डेय को सुपुर्द की गयी। 27 जनवरी 2016 को तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रमेश चौबे द्वारा बरामद पशु मांस का परीक्षण कराने हेतु उप मुख्य चिकित्साधिकारी ज्ञानपुर को रिपोर्ट प्रेषित की गयी। मौके पर उप मुख्य चिकित्साधिकारी ज्ञानपुर द्वारा परीक्षण करने के पश्चात सीजर मीट किस पशु का है जानकारी करने हेतु फोरेंसिक लैब, वेटेरोनरी यूनिर्वसिटी कैम्पस मथुरा को परीक्षण हेतु भेजा गया। बाद में सीजेएम न्यायालय ज्ञानपुर को बरामद मांस को नष्ट करने हेतु प्रतिवेदन किया गया। नयायालय मांस को जमीन मे दबाने का आदेश दिया। भवानीपुर के पास को गंगा नदी के किनारे जमीन मे दबा दिया गया।
उधर फोरेंसिक लैब मथुरा से परीक्षणोपरान्त गो मांस नहीं पाया गया। बाद में दिल्ली निवासी व्यापरी मो0 इकबाल पुत्र हाजी निवासी दिल्ली गेट हापुड़ ने गोपीगंज पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया जिसमें कहा गया कि यह जानवरों के सूखे अवशेष (ओमैसम) है जो नमक लगा हुआ होता है और 6 महीने तक खराब नहीं होता है। ऐसे में पुलिस की तरफ़ से की गयी कारवाई गलत है। व्यापारी ने पुलिस पर यहाँ तक आरोप लगाया कि पुलिस ने कस्टडी में लेकर मोबाइल छीन लिया। मेरे भाई अशफाक को थानाध्यक्ष गोपीगंज ने कहा कि तुम लोग मांस का व्यापार करते हो, रिपोर्ट मे अगर गाय का मांस पाया गया तो तुम लोगों को जेल भेज दूंगा। जबकि हमारी तरफ़ से बारबार कहा गया मेरा माल सूखा था, न तो उसमें बदबू आ रही थी और न ही इससे संक्रमण फैलने का खतरा था। यह लगभग 6 माह तक खराब नहीं हो सकता। लेकिन पुलिस बिना जाँच रिपोर्ट आये उसे जमीन में दबवा दिया। व्यापारी ने तत्कालीन थानाध्यक्ष पर न्यायालय को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था। उधार जब गोमांस न होने की बात जाँच से साफ हो गयी तो बरामद मांस को व्यापारी ने रिलीज करने की माँग की।
इसके बाद पुलिस ने उसे अदालत के आदेश पर खुदवाया जहाँ 7000 किग्रा के बजाय सिर्फ जमीन से 15 किलो मांस को लोथड़ा सड़ा पाया गया। बाद में मामला सन्दिध होने पर एसपी के आदेश पर एसओ गोपीगंज रमेश चौबे पर मुकदमा पंजीकृत किया गया। विवेचना क्षेत्राधिकारी ज्ञानपुर को सौंपी गयी। विवेचना के मध्य यह संज्ञान मे आया कि क्राइम ब्रान्च में नियुक्त आरक्षी इमरान खान व तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रमेश चौबे की मिलीभगत से 26 जनवरी को बरामद सूखी मांस को बेचकर किसी पशु का मांस जमीन में दबवा दिया गया था। बाद में आरक्षी इमरान खान तथा तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रभारी निरीक्षक गोपींगंज रमेश चौबे के मोबाइल नम्बरों के सीडीआर का अवलोकन किया गया तो इसमें शाहीद निवसी न्यू पुलिस लाइन कांक्यारोड, रांची, सादिक इस्लाम, समीर संग राँची, झारखण्ड समेत कुल छह की संलिप्तता पायी गयी। आरक्षी इमरान खान को निलम्बित कर जबकि आरोपी फरमान को क्राइम ब्रान्च द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। क्षेत्राधिकारी ज्ञानपुर भदोही द्वारा अभियुक्त फरमान अहमद को पुलिस अभिरक्षा मे रिमाण्ड लेने हेतु न्यायालय में प्रतिवेदन किया गया। रिमाण्ड मिलने के पश्चात अभियुक्त की निशादेही पर शहजाद व सिताब के मुरादनगर (गाजियाबाद) स्थित गोदाम से उक्त मुकदमे से 7000 किग्रा0 ओमैसम बरामद करते हुए तीन अभियुक्त शहजाद, सिताब व इमरान को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया गया । घटना के सफल अनावरण के क्रम में पुलिस अधीक्षक पीके मिश्र द्वारा 5000 और उपमहानिरीक्षक मिर्जापुर द्वारा 10000 रूपये से पुरस्कृत किया गया।
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