अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामलो का खुलासा करने वाले पत्रकारों और सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद हो... प्रतिरोध धरने के माध्यम से ‘व्हिसिल ब्लोवर प्रोटेक्शन कानून’ और ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ लागू करने की मांग... काली पट्टी बाँध कर विरोध दर्ज कराया
सूचना के अधिकार के प्रयोग से भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और खोजी पत्रकारों पर लगातार हो रहे जानलेवा हमलों को रोकने और उन्हें संरक्षण एवं सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर आज ‘साझा संस्कृति मंच’ और ‘सूचना का अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश’ से जुड़े सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने आज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सिंह द्वार पर काली पट्टी बाँध कर प्रतिरोध धरना आयोजित करके देश भर में सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर आये दिन होने वाले हमलों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए सूचना के अधिकार के प्रयोग करने वालों तथा भ्रष्टाचार व अनियमितता के मामलो का खुलासा करने वालों का उत्पीडन और उनपर हो रहे जानलेवा हमलों पर कोई ठोस कार्यवाही नही होने से इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं.
कोई भी सरकार इसे रोकने के लिए कहीं भी दृढ संकल्पित नही दिख रही है, इस सम्बन्ध में उपलब्ध कानूनों का अनुपालन नही हो रहा है. उत्तर प्रदेश और बिहार में भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे लगातार हो रहे हमलो और उनके उत्पीडन को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए वक्ताओं ने इसकी निंदा की. ग्राम सभा स्तर तक के आर्थिक अनियमितता के मामलो को उजागर करने पर अनेक सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं और उनके परिजनों को जान से हाथ धोना पड़ा है
बैठक के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज कानून व्यवस्था हाशिये पर आ गयी है और अपराध तथा भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है. गत वर्ष शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र सिंह को एक राज्यमंत्री के इशारे पर जिंदा जला देने, बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला को पीट-पीट कर मार डालने की घटना हो या हाल में ही कानपुर में सूचनाधिकार कार्यकर्त्ता अवध नरेश सिंह की हत्या आदि के मामलो में अपराधी पकड़े ही नही जा सके.
बिहार और झारखंड में हाल में ही पत्रकारों की हत्या का जिक्र करते हुए वक्ताओं ने कहा कि दुनिया के कई देशों में पत्रकार सुरक्षा कानून बने हैं, जो पत्रकारों को सही और सच्ची खबर लाने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन भारत आज भी पत्रकार सुरक्षा कानून से वंचित है अत: सरकार भारत में तुरंत प्रभाव से "पत्रकार सुरक्षा कानून" निर्माण व लागू करना चाहिए. मीडियाकर्मी पर कवरेज के दौरान हमले को विशेष कानून के तहत दर्ज किया जाए और किसी समाचार की कवरेज करने से रोकने को सरकारी काम में बाधा की तरह देखा जाए. यदि पत्रकार, मीडियाकर्मी, सूचनाधिकार कार्यकर्त्ता के परिजनो पर रंजिशन हमला किया जाता है तो उनका इलाज सरकारी अथवा निजी अस्पताल में नि:शुल्क किया जाए।
बैठक के दौरान एक हस्ताक्षर अभियान भी संचालित किया गया जिसके माध्यम से सरकार मांग की गयी कि:
1. भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के मामलो को उजागर करने वाले पत्रकारों और सूचनाधिकार तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाय.
2. प्रभावी “व्हिसिल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन कानून” लागू किया जाय.
3. देश में 'पत्रकार सुरक्षा कानून' लागू किया जाय.
4. प्रदेश में सूचना के अधिकार कानून का प्रभावी ढंग से अनुपालन किया जाय और सभी विभागों द्वारा धारा 4 एक-बी के अंतर्गत सूचनाएँ स्वतः सुलभ कराई जांय जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता आये.
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वल्लभाचार्य पाण्डेय, धनंजय त्रिपाठी, जागृति राही, अनूप श्रमिक, प्रदीप सिंह, नन्दलाल मास्टर, विनय सिंह, डा इंदु पाण्डेय, चिंतामणि सेठ, प्रेम कुमार सोनकर,महेंद्र राठौर, विकास सिंह, रोशन पाण्डेय, आकाश आदि शामिल रहे . संयोजन वल्लभाचार्य पाण्डेय और संचालन जागृति राही ने किया.
भवदीय
वल्लभाचार्य पाण्डेय
सह संयोजक, सूचना का अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश
प्रेस विज्ञप्ति
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