वल्लभ पांडेय
चौबेपुर, वाराणसी : गंगा गोमती संगम तट पर स्थित गाँव कैथी जिसका पौराणिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्व है में आज बहुत चहल पहल रही, 3 दिवसीय उत्सव का प्रारम्भ हुआ. मार्कंडेय महादेव धाम के कारण सुविख्यात इस गाँव में आज से प्रारंभ हुए कैथी फिल्म महोत्सव में शामिल होने के लिए विभिन विधाओं के कलाकार शामिल हुए. दोपहर बाद दीप प्रज्वलन के साथ शुभारम्भ हुआ, दीप प्रज्वलन प्रचलित परम्परा के विपरीत किसी बड़े नामचीन हस्ती से न करवा कर कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित गाँव के वरिष्ठतम लोगों द्वारा कराया गया. इसके बाद क्रांतिकारी शचीन्द्र नाथ बक्शी स्मृति पोस्टर प्रदर्शनी, अमर शहीद अशफाकुल्लाहखान स्मृति दस्तावेज प्रदर्शनी,जनकवि धूमिल स्मृति पुस्तक प्रदर्शनी एवं कैथी मुक्ताकाशी छायाचित्र एवं कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. इन प्रदर्शनियों में इतिहास, साहित्य और कला में रूचि रखने वाले लोगो के लिए बहुत सामग्री है.
वाराणसी के डमरू दल के समवेत डमरू वादन से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया, इस दौरान हर हर महादेव के नारे भी गूंजते रहे. प्रेरणा कला मंच की प्रस्तुति "गंगा हो या गांगी" ने नदी और नारी की व्यथा दर्शा कर दर्शकों को भाव विह्वल कर दिया. आजमगढ़ की लोक सांस्कृतिक टीम द्वारा विलुप्त प्राय कहरवा और जांघिया नृत्य की प्रस्तुति की गयी, घुंघरू और मृदंग पर लय और ताल का सामंजस्य दर्शनीय था. वाराणसी के सृजन कला मंच द्वारा कठपुतली खेल के माध्यम से सामाजिक सन्देश दिया गया. स्थानीय कैथी के कलाकारों ने भी आकर्षक सांस्क्रतिक प्रस्तुति की.
परिचर्चा "सत्तर साल बनाम सात सवाल" में बोलते हुए वक्ताओं ने आजादी के बाद देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, अपराध, रोजगार, पर्यावरण और आपसी सौहार्द आदि मुद्दों पर हुए परिवर्तन पर प्रकाश डाला. युवकों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के साधन बढाने, दिनोदिन बढ़ते अपराध पर नियंत्रण और पर्यावरण के प्रति सरकार के साथ साथ आम आदमी को भी सचेत होने की आवश्यकता पर बल दिया. वक्ताओं ने कहा कि विकास की आड़ में पर्यावरण की अवहेलना हमारे समाज के लिए आत्मघाती साबित होगी. वक्ताओं ने आगे कहा कि समाज में आपसी प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारे से ही प्रगति और सुख शांति रहेगी. लोकगीत, लोक संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियाँ हमे आपस में जोड़ने में सहायक होती हैं.
इस अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया, पचास पृष्ठ की स्मारिका में आयोजन के उद्देश्य, आस पास की विरासतों, वाराणसी के विविध आयामों, सांस्कृतिक गतिविधियों और ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डालते लेख और कविताएँ है. अँधेरा होने पर लघुफिल्मो का प्रदर्शन हुआ. सर्वप्रथम एक रिक्शाचालक की दिनचर्या पर आधारित लघु फिल्म "तीन पहिया: एक आम जिन्दगी" की प्रथम प्रस्तुति हुयी, यह लघुफिल्म कैथी गाँव के ही युवको द्वारा तैयार की गयी है और सभी कलाकार स्थानीय ही हैं इस. इसके बाद प्रदूषण से गंगा पर प्रभाव पर केंदित लघुफिल्म जीवनदायिनी गंगा के प्रदर्शन हुआ. इसके बाद नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर आधारित फिल्म दिखाई गयी.
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शाह आलम, गुड्डो दादी, सुभद्रा राठौर, बलराज सिंह, सुनील दत्ता, डा आनंद प्रकाश तिवारी आदि ने विचार रखे. कैथी फिल्म महोत्सव के संयोजक वल्लभाचार्य पाण्डेय के आयोजन के उद्द्येश्य को सविस्तार बताया. कायक्रम में स्थानीय युवको की बढ़ चढ़ कर भागीदारी है, वे पूरे दिन इस व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिए सक्रियता से लगे रहे.
कल 6 फरवरी को : सरोद वादन, जादू कला , काव्य गोष्ठी, नाटक अमानत की प्रस्तुति के साथ ही फिल्मो का भी प्रदर्शन होगा.
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