हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा चार दिवसीय लोक उत्सव का आयोजन दिल्ली के अलग—अलग इलाकों में 21 से 24 फरवरी 2016 के बीच किया गया, जिसमें विभिन्न प्रांतों की लोक, कला, संस्कृति से दिल्लीवासियों को रू—ब—रू कराने की कोशिश की गयी। पहला आयोजन गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र के महावीर स्वामी पार्क में रविवार, 21 फरवरी 2016 को किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोक कलाकारों ने अपने लोक संस्कृति का प्रस्तुतीकरण किया। कार्यक्रम का उद्घाटन हिंदी अकादमी उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा, गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अनिल कुमार वाजपेयी, हिन्दी अकादमी के सचिव श्री जीतराम भाटी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
दूसरा आयोजन 22 फरवरी, 2016 को दिल्ली हाट, जनकपुरी में किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश और गुजरात की सांस्कृतिक झलक पेश की गयी। तीसरा आयोजन 23 फरवरी, 2016 को दिल्ली हाट, पीतमपुरा में किया गया, जिसमें उत्तराखण्ड से आये लोक कलाकारों के दल ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से वहां के लोक, कला, संस्कृति और भाषा को दिल्ली में जीवंतता प्रदान करने की कोशिश की।
अकादमी द्वारा आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय लोक उत्सव की कड़ी का चौथा और आखिर आयोजन 24 फरवरी, 2016 को दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में किया गया। इसमें बुंदेलखण्ड और मध्य प्रदेश से आये लोक कलाकारों के दलों ने अपनी सुंदर सांस्कृतिक लोक प्रस्तुतियों के माध्यम से न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि अपनी संस्कृति, भाषा, लोक की अमिट छाप भी छोड़ी।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अकादमी के सचिव हरिसुमन बिष्ट ने कहा कि लोक संस्कृति, कला, साहित्य, संस्कृति और भाषा में हमारे विविधरंगी देश के अलग—अलग रंग नजर आते हैं। चूंकि दिल्ली में तमाम प्रांतों के लोग रहते हैं, जिनकी संस्कृति, भाषा और लोक भिन्न—भिन्न हैं, तो हिंदी अकादमी का प्रयास है कि उनके लिए ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायें, जिससे वो अपनी जड़ों से जुड़े रहें। कार्यक्रम में अकादमी की उपाध्यक्ष और चर्चित साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा, अकादमी की संचालन तथा कार्यकारिणी समिति के माननीय सदस्य विकास नारायण राय के अलावा कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ बुंदेलखण्ड की लोक संस्कृति के प्रस्तुतीकरण के साथ हुई। देश—विदेश के विविध मंचों पर अपनी सारगर्भित व कलात्मक प्रस्तुति के लिए विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से अलंकृत हरगोविंद कुशवाहा और साथियों के दल ने जो महज बुंदेलखंड या मध्य प्रदेश ही नहीं वरन भारत की विविध आयामी और बहुरंगी सांस्कृतिक छटा को प्रस्तुत कर चुके हैं, ने सरस्वती वंदना के बाद वहां का सुविख्यात और बुंदेलखण्ड की आत्मा कहे जाने वाले राई नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। राई नृत्य अधिकतर बसंत और फाग होली के सुअवसर पर किया जाता है। यह नगड़िया, रमतूला, लोटा, खंजरी आदि वाद्य यंत्रों के साथ गाया जाता है। इस नृत्य से लोक कलाकारों ने बुंदेली संस्कृति, तीज—त्यौहार, नायक—नायिका की हंसी—ठिठोली व ग्रामीण संस्कृति को मानो मंच पर सजीव कर दिया। इसके अलावा इस दल ने बुंदेली आल्हा गाकर वीरों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध बुंदेलखण्ड को दर्शकों के सामने रखा।
मध्य प्रदेश से आए लोक कलाकारों के दल जुगलकिशोर नामदेव और साथियों ने बांसुरी के साथ बुंदेलखण्ड का बधाई लोकनृत्य प्रस्तुत किया। बरेदी लोकनृत्य के माध्यम से इन कलाकारों ने मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति का शानदार चित्रण किया।
कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी उद्घोषक संजीव अग्निहोत्री ने किया। इस सांस्कृतिक संध्या का दिल्ली हाट में उपस्थित दर्शकों—श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर आनंद लिया। लोक से उपजे लोक द्वारा सृजित लोक कला की यह प्रस्तुति देश के दिल कहलाने वाले दिल्ली के लोक को समर्पित थी। अपार जनसमूह की उपस्थिति इस यादगार शाम की साक्षी बन कार्यक्रम की सार्थकता को सिद्ध कर रही थी।
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