Feb 23, 2016
क्या पत्रकार की माँ बहन की नारी अस्मिता नहीं?
बुलंदशहर में इन दिनों सेल्फ़ी प्रकरण चर्चा का विषय बना है। हो भी क्यों ना प्रत्यक्ष रूप से डीएम और दैनिक जागरण का टकराव है। और इसी टकराव में अप्रत्यक्ष रूप से केवल एक चैनल डीएम की गोदी में खेल रहा है। और इसी चैनल का एक पत्रकार बुलंदशहर में हैं उसे भी पूरे प्रकरण में डैमेज कंट्रोल के लिए लगाया गया है। जब भी कोई चैनल या अखबार डीएम विरोधी खबर चलाता है तो ये से सुबह से फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर तमाम डीएम की पहलों को शेयर करना शुरू कर देता है। अगर अमर उजाला या हिन्दुस्तान का पत्रकार डीएम विरोधी ब्यान फेसबुक पर दे दे तो इसी इकलौते चैनल का पत्रकार उसे कौने में जाकर समझाता है।
नैतिकता बघारने वाला ये वही पत्रकार है जोकि घूस के चक्कर में 15 लाख की रिकवरी में फंसा है। खेर इस पत्रकार की नीचता इसके साथ, यशवंत सर हम मुद्दे पर आते हैं। सेल्फ़ी की एक घटना पर डीएम का ब्यान लेने के बाद 3 फ़रवरी को दैनिक जागरण के दो पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया? सर यहाँ सवाल है कि क्या खबर को लिखने से पहले डीएम का ब्यान लेना गलत था? खबर की अनुमति अब किसी भी जिले की जिलाधिकारी से लेनी होगी? किसी विषय पर कोई सवाल खड़ा करना है तो किसी अफसर से परमिशन लें? आप अपनी वेबसाइट पर तमाम नामी संपादकों पर सवाल खड़े करते हो तो क्या जिलाधिकारी या फिर किसी अखबार के संपादक से अनुमति लेते हो? शायद जवाब नहीं में मिलेगा सर। सर इसके साथ 3-4 फ़रवरी की खबर भी सलग्न होगी, उसे आप देखना, और विश्लेषण करना कि अखबार ने कहाँ नारी अस्मिता को रौंद दिया? कथित तौर पर एक निशक्त डीएम ने ऑडिओ में पत्रकार के यहाँ गैर मर्दों को भेजने की धमकी दी है।(निशक्त इसलिये लिखा क्योंकि तमाम फ़ोर्स होने के बावजूद एक युवक कथित सेल्फ़ी खीच कर ले गया) इन्ही निशक्त डीएम ने ऑडिओ में कहा की मेरे पास तमाम मर्द हैं जोकि तुम्हारी माँ, बहन की सेल्फ़ी लेंगे, कहों तो भेजू। सुबह देखती हूँ कि तुम क्या छापते हो? इशारा साफ़ था कि छापना कुछ नहीं है।
पत्रकार ने ऐसा कुछ नहीं लिखा जिससे किसी नारी अस्मिता का हनन हुआ है? अखबार ने खुद लिखा कि नियमतः किसी की बिना अनुमति के सेल्फ़ी लेना गलत है, लेकिन कुछ चापलूसों ने साधारण सी खबर को अपने हिसाब से तोडा मरोड़ा और नारी अस्मिता से जोड़ दिया। हद दर्जे तक गिर चुके इन चापलूसों से सवाल है कि पत्रकार की माँ बहन की अस्मिता का क्या हुआ जो डीएम ने एक दिन पहले रौंद दी थी? क्या पत्रकार की माँ बहन की इज्जत नहीं रह गयी है। कोई भी चाहेगा उसके घर गैर मर्दों को भेज देगा। डीएम भी नारी और पत्रकार की माँ बहन भी नारी। लेकिन कुछ लोगों ने अपने हिसाब से परिभाषा गढ़ डीएम की अस्मिता को पंख लगा दिए जबकि पत्रकार की माँ बहन की अस्मिता को मार दिया।
पत्रकार की माँ बहन करने के बाद (उसी दिन जिस दिन खबर प्रकाशित हुई) दो पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। दो दिन बाद कार्यालय के बाहर कूड़ा डलवा दिया, पत्रकारों के अनुरोध पर कूड़ा हटवाने के लिए आने वाले सफाई कर्मियों को कही रुकवा दिया। सफाई कर्मियों से एक ज्ञापन में जबरन नारी अस्मिता लिखवा लिया। खेर हम मानते है कि प्रशासन के पास अपार शक्तियां और तमाम गुंडे भी होते हैं। लेकिन इन शक्तियों का दुरूपयोग क्या पत्रकारों की माँ बहन की अस्मिता के चीर हरण में किया जायेगा। विषय सोचने वाला है सर आज एक पत्रकार की माँ बहन हुई है, कल दुसरे की होगी, तब भी ऐसे ही मौन रहेंगे क्या हम?
राहुल गुप्ता
RAHUL GUPTA
बुलंदशहर
rg113344@gmail.com
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