अनरजीत चौहान
नवी मुम्बई : नेरुल स्थित एक डॉक्टर की जानलेवा लापरवाही के चलते जब एक मरीज की मौत हो गई तब कहीं जाकर नवी मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग की कुम्भकर्ण जैसी नींद टूटी थी। लंबी नींद टूटने के बाद मनपा का स्वास्थ्य विभाग अपने मनपा क्षेत्र में फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की खोज-बीन शुरू कर दिया था। इसके कुछ समय बाद पाए गए बोगस डॉक्टरों की सूची भी मनपा ने जारी कर दिया था। दुर्भाग्य की बात तो यह कि मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने यह सूची जारी किया व इसके बाद ही पुनः गहरी नींद में सो गया। मनपा के स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही का यह नतीजा है कि मनपा क्षेत्र में पाए गए सभी के सभी फर्जी डिग्रीधारी झोलाछाप डॉक्टर बड़े ही इत्मिनान से बेख़ौफ़ होकर मरीजों का आधा-अधूरा इलाज करते हुए उनकी जान से खेलने में लगातार जुटे हुए हैं।
इस संदर्भ में ख़ास बात यह कि वर्ष 2010-11 में भी मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने इसी तरह बोगस डॉक्टरों की सूची जारी किया था और उस समय 26 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस ने आपराधिक मामला भी दर्ज किया था। इतने सब झमेले के बाद जमानत लेकर मुक्त हुए सभी के सभी डॉक्टर आज फिर से उसी अवैध क्लिनिक वाली दुकान को निडर होकर चला भी रहे हैं और मरीजों की जान से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। इस सच्चाई का खुलासा सूचना अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी से मिली है। इस कडवी सच्चाई के खुलासे से यह स्पष्ट हो गया है कि इस अत्यंत गंभीर मामले में नवी मुंबई मनपा व उसका स्वास्थ्य विभाग शहर के आम व गरीब मरीजों की जान के साथ जानबूझकर कितनी बड़ी लापरवाही कर रहा है।
मनपा द्वारा घोषित बोगस डॉक्टरों की सूची को लेकर जब फर्जी डॉक्टरों की खोजबीन किया तो कई डराने व चौकाने वाले खुलासे भी हुए। ये सभी फर्जी डॉक्टर बेख़ौफ़ होकर अपने अनैतिक धंधे को एक शरीफ डॉक्टर का खोल ओढ़कर चलाते पाए गए। मनपा की बोगस डॉक्टरों की सूची में शामिल पहला डॉक्टर तुर्भे नाका पर मिला। डॉक्टर एम. ए. शेख नाम के इस फर्जी डॉक्टर से जब उसकी पहचान पूछी गई तो उसने अपने मेडिकल पेशे की पहचान बताने के बदले कुछ और ही कार्ड दिखाकर चौंका दिया। इस डॉक्टर ने जो पहचान पत्र दिखाया उसमें वह खुद को केंद्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के किसी "मीडिया इंटेलीजेंस नेटवर्क" नामक तथाकथित मान्यताप्राप्त संस्था का सदस्य बताया और कहा कि मैं इस संस्था के लिए काम कर रहा हूँ।
इसी तरह जब तुर्भे स्टोर बस्ती में बीते 25 वर्षों से अपनी "प्रैक्टिस" कर रहे डॉक्टर वी.आर. यादव के पास गया तो देखा कि मनपा की बोगस डॉक्टरों की सूची में शामिल यह डॉक्टर भी बेख़ौफ़ मरीजों का अवैध इलाज करने में मशगूल है। मनपा की बोगस दौकत्रों की सूची में शामिल एक अन्य डॉक्टर दिलशाद सिद्दीकी तो खेरने गाँव में ही बैठकर पिछले 30 वर्षों से बिदास होकर मरीजों का "इलाज" कर रहा है। पूछे जाने पर इसने भी खुद को केंद्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के उसी "मीडिया इंटेलीजेंस नेटवर्क" नामक तथाकथित मान्यताप्राप्त संस्था का सदस्य वाला पहचान पत्र दिखा दिया।
मनपा सूची का चौथा फर्जी डॉक्टर आजाद वर्मा भी इसी खैरणे गाँव में मिला। यह फर्जी डॉक्टर तो फर्जी पत्रकार भी निकला। इस फर्जी डॉक्टर को तो पत्रकार कोटे से सिडको से घर भी मिलने का खुलासा हुआ है। पर यह किसी भी तरह से खुद को नियमित पत्रकार नहीं साबित कर सका। फर्जी डॉक्टरों वाली मनपा सूची में शामिल पांचवां फर्जी डॉक्टर भरत शर्मा तो नवी मुम्बई महापौर सुधाकर सोनावणे के प्रभाग वाले रबाले क्षेत्र में ही बीते 20 वर्षों से बैठकर खुलेआम "प्रैक्टिस" करने में मशगूल है। इस फर्जी डॉक्टर के पास भी उसी केंद्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के "मीडिया इंटेलीजेंस नेटवर्क" नामक तथाकथित मान्यताप्राप्त संस्था का पहचान पत्र मिला।
यह बेहद चौंकाने वाली बात थी कि पाए गए अधिकाँश फर्जी डॉक्टरों के पास से आखिर केंद्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के किसी "मीडिया इंटेलीजेंस नेटवर्क" नामक तथाकथित मान्यताप्राप्त संस्था की सदस्यता वाला पहचान पत्र क्यों मिल रहा था। आशंका है कि यह पहचान पत्र ये लोग उन लोगों को डराने व आतंकित करने के लिए दिखाते हैं जो इनसे इनकी वैध मेडिकल कोर्स वाली डिग्री पूछता है। इस सदस्यता का ये सभी फर्जी डॉक्टर बाकायदा प्रचार भी करते हैं और अपनी-अपनी क्लिनिक के बाहर बोर्ड लटकाकर इसे लगाकर दिखाते भी हैं।
बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता अनर्जित चौहान ने अपनी तरफ से एक प्रश्नावली तैयार करते हुए मनपा के स्वास्थ्य विभाग से बोगस डॉक्टरों की जानकारी माँगी थी। दिनांक 09.02.2015 को मांगी गई इस जानकारी में मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि मनपा क्षेत्र में 26 बोगस डॉक्टर हैं और इनमें से 7 दवाखाने बंद हैं। खुद मनपा द्वारा दी गई इस जानकारी से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि मनपा क्षेत्र में अभी भी 19 बोगस दवाखाने खुलेआम चल रहे हैं। इस खुलासे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि मनपा प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद ये सभी बोगस डॉक्टर बिना किसी कानूनी डर के मरीजों के लिए डॉक्टर नहीं बल्कि यमदूत बनकर अपनी "प्रैक्टिस" कर रहे हैं। दुर्भाग्य से अगर किसी मरीज की मौत इन फर्जी डॉक्टरों के गलत इलाज से हो जाती है तो इस मौत का जिम्मेदारी मनपा नहीं लेती है।
इस मामले में एक और खुलासा यह हुआ है कि जिन 26 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस स्टेशनों में शिकायत दर्ज कराई गई थी उसकी कोई भी प्रति मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस से माँगा तक नहीं। यह बात खुद पुलिस उपायुक्त जोन-1 शहाजी उमाप ने बताई है। जब आरटीआई एक्टिविस्ट अनर्जित चौहान ने दिनांक 18.05.2015 को पुलिस से बोगस डॉक्टरों की सूची मांगी तो इसमें से मनपा द्वारा घोषित 26 डॉक्टरों की सूची में से 5 डॉक्टरों के नाम ही गायब मिले। पुलिस ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि उन पाँचों फर्जी डॉक्टरों के नाम उनके पास नहीं हैं। जो सूची मनपा ने पुलिस को भेजी भी थी उनमें से सभी ने जमानत ले लिया था व उसी समय बाहर आ गए थे। आज ये सभी अपने उन्हीं ठिकानों पर पुनः अपने फर्जी दवाखाने को चला रहे हैं।
महाराष्ट्र मेडिकल काउन्सिल प्रैक्टिस के अनुसार एक बार जिस डॉक्टर पर आपराधिक मामला दर्ज हो जाता है उसके खिलाफ दूसरी बार मामला दर्ज होने के बाद उसे सजा मिलती ही है। पर अब मनपा इन सभी फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ दुबारा आपराधिक मामला दर्ज करने को ही तैयार नहीं दिख रही है। नेरुल में 18 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे जिस फर्जी डॉक्टर दत्तात्रय आगडे के इलाज से वकील आंधले की मौत हुई है, उस डॉक्टर दत्तात्रय का नाम ही मनपा के बोगस डॉक्टरों की सूची में नहीं है।
कौन है बोगस डॉक्टर
कोई डॉक्टर मरीजों का इलाज करने के लिए जिस विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री लेता है अगर उस विश्विद्यालय का नाम केंद्र के यू.जी.सी. की पंजीकृत सूची में नहीं होता है तो ऐसी डिग्री फर्जी मानी जाती है। इसी तरह से जिस राज्य में कोई डॉक्टर अपनी प्रैक्टिस करता है अगर उस राज्य के मेडिकल काउन्सिल के पास उस डॉक्टर ने अपने नाम व डिग्री का पंजीकरण नहीं कराया है तो वह डॉक्टर भी फर्जी डॉक्टर की सूची में आता है। ऐसे में मनपा की फर्जी डॉक्टरों की सूची में शामिल 26 डॉक्टरों में से अधिकाँश डॉक्टर 10 से 25 सालों से अपना फर्जी दवाखाना चला रहे हैं। ऐसे में यह सीधे स्पष्ट हो जाता है कि मनपा और उसका स्वास्थ्य विभाग बातें चाहे जितनी बड़ी क्यों न करे, वह इन सभी फर्जी डॉक्टरों की खुद सुरक्षा कर रहा है और उन सभी डॉक्टरों को गरीब मरीजों की जान से खेलने व उनकी जान लेने तक का जैसे अधिकार ही दे रखा है।
नेरुल के फर्जी डॉक्टर दत्तात्रय के बारे में जब मनपा के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. परोपकारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि नवी मुंबई मनपा क्षेत्र में सक्रिय बोगस डॉक्टरों की सूची बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। बीते दो वर्षों के दौरान मैं याना नहीं था इसलिए इस अवधि में यहाँ क्या हुआ है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अब आते ही मैंने इन सभी बोगस डॉक्टरों की सूची बनवा रहा हूँ और इसके बाद पाए जाने वाले सभी बोगस डॉक्टरों के खिलाफ मैं सख्त कार्यवाई शुरू करूंगा।
अनरजीत चौहान
sdash2007@gmail.com
No comments:
Post a Comment