Feb 4, 2016

और भी हैं रोहित : लखनऊ विवि कुलपति के नाम खुला पत्र...

प्रति
कुलपति लविवि
महोदय

यह पत्र मैं तब लिख रहा हूँ जब देश के विश्वविद्यालयों में भगवा आतंक और प्रभुत्व चरम पर है,जब इससे असहमति जब कार्ल सागन की तरह वैज्ञानिक बनकर देश और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा लिये रोहित को आत्महत्या का रास्ता चुनना पङे,जब इंसाफ की माँग कर रहे नौजवानों पर पुलिस लाठियाँ बरसा रही हो , कहा जाता है कि विश्वविद्यालय लोकतंत्र और विमर्श का केन्द्र होते हैं,मगर इसके बजाय आज देश के विश्वविद्यालयों को भगवा आतंक और प्रशासनिक तानाशाही  के केन्द्र में तब्दील किया जा रहा,सिर्फ हैदराबाद नहीं,सिर्फ रोहित नहीं ,ऐसे ही तमाम हैदराबाद और रोहित उनके निशाने पर है,उन तमाम रोहित के लिए इंसाफ की माँग करें जो लगातार आत्महत्या के लिए विवश किये जा रहे हैं जिनका कैरियर तबाह किया जा रहा है.



कुसूर बस इतना है उन्होनें भेदभाव मुक्त लोकतांत्रिक समाज के लिए परचम बुलन्द किया था,ऐसे ही पिछले वर्ष लखनऊ विश्वविद्यालय में भाजपा के लवजिहाद कैम्पेन के विरोध में आइसा के नेताओं ने 'लव जिहाद नहीं लव आजाद' के नारे के साथ 'प्रेम से डर किसको?' विषय पर संवाद आयोजित किया था जिसमें लविवि की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा ,एपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ,डा०प्रीती चौधरी आमंत्रित थी,कई दिनों के प्रचार के बाद अचानक कुछ एबीवीपी प्रायोजित लम्पट आकर मुझ पर और मेरे साथियों पर हमला कर देते हैं,विश्वविद्यालय उन  पर कार्यवाई के बजाय एक दिन पूर्व शाम को कार्यक्रम रद्द कर देता है, और फिर भी जब खुले में आयोजन किया जाता है तो एबीवीपी के गुंडे  कविता जी के  साथ अभद्र व्यवहार करते हैं,कार्यक्रम बीच में ही रोक देते हैं मगर विवि  प्रशासन मौन होकर तमाशा देखता रहता है और दोषियों पर कार्रवाई के बजाय हमारा  निष्कासन कर दिया जाता है,निष्कासन का विरोध करने के चलते चार अन्य आइसा नेताओं रवीन्द्र कुमार ,संदीप सेन,अश्वनी यादव और संटू को भी निलम्बित कर दिया जाता है !

यही नहीं तत्कालीन प्राक्टर को एबीवीपी के साथ मंच साझा करने में भी कोई हिचक नहीं होती !  राज्यपाल के यहाँ भी गुहार लगाने पर चालीस पन्नों में मुझे गुनहगार साबित करते हुए अपील खारिज कर दी जाती है,मतलब साफ है राज्यपाल का भी पूरा संरक्षण एबीवीपी और प्रशासन के साथ है !  इतना सब करने के बावजूद भी जब एबीवीपी अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाता तो योजनाबद्ध ढंग से एबीवीपी और प्रशासन की मिलीभगत से  निजी गुडों द्वारा जानलेवा हमला करवाया जाता है,हम लोग भगत सिंह के जन्मदिन पर आयोजित सेमिनार के लिए कैम्पेन कर रहे होते हैं तभी कुछ हास्टलर्स हमारी महिला साथियों पर हूटिंग करते हैं इसका विरोध करने पर तत्काल तो वो लोग चले जाते हैं परन्तु कुछ ही दिन बाद हास्टलर्स का एक समूह हमारे सहित तीन अन्य साथियेां पर जानलेवा हमला कर देता है, हमारे सिर सहित पूरा शरीर बुरी तरह चोटिल हो जाता है , अन्य साथियों को भी चोटें आती हैं। पुलिस  में एफआईआर दर्ज करवायी जाती है , परन्तु विवि या पुलिस द्वारा किसी के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं होती ।

हमारी महिला साथियों को  हॉस्टल में घंटों कैद कर रखा जाता है ,प्रोवोस्ट वार्डन उन्हें ये कहकर जाने से रोकती हैं कि उन्हे हमारी विचारधारा पसन्द  नहीं इसलिये हास्टल में कोई कैम्पेन नहीँ करने दिया जायेगा ! यही नहीं कोर्ट के आर्डर के बावजूद हमारा वीमेन स्टडीज में पीएचडी  प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट रोक दिया जाता है और जब तक उस पर  अपील की कोर्ट में सुनवाई हो,सीटें फुल करके फीस जमा करवा ली जाती है और विवि से बाहर रखने की रणनीति में वे सफल होते हैं ,चूँकि छात्रसंघ  चुनाव में इन नेताओं का कैम्पस में रहना एबीवीपी के लिए बङी चुनौती होता, तो दूसरी तरफ इसी विवि में यदि आप संघ-भाजपा की विचारधारा के समर्थक हैं,या सत्ताधारी दल के साथ हैं तो आप के सारे अपराध क्षम्य हैं फिर तो  मिनीफेस्ट में लङकियों पर सिक्के उछालना अपराध नहीं,सरेराह लङकियाँ छेङना,विरोध करने पर उससे व उसके साथी के साथ मारपीट करना भी अपराध नहीं,पचासों छात्रों के साथ प्राक्टर आफिस में घुसकर शिकायत करने वाले  छात्रों को लहूलुहान कर देना भी अपराध नहीं,मारपीट की घटना पर पहुँचने पर प्राक्टर महोदया के सामने ही उनकी गाङी में तोङफोङ भी अपराध नहीं ,कैम्पस  में सरेआम फायरिंग भी अपराध नहीं,नुक्कड़ में खङे हो के लङकियों पर कमेंट करना भी अपराध नहीं,ऐसे तमाम अपराधों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाई नहीं, हाँ अगर आप इन सबका विरोध करते हैं तो आप अपराधी हैं,अगर आप सेमिनार गोष्ठी का आयोजन करवाते हैं तो भी अपराधी हैं ! हास्टलों में हमारे कैम्पेन चलाने पर तो पाबंदी है मगर आर एस एस की शाखायें एनडी हास्टल में नियमित चलती है !

आज एक साल दो महीनें हो चुके अभी भी हमारा निष्कासन और चार अन्य साथियों का अभी भी निलम्बन वापस नहीं हुआ है ,जिसमे दो दलित,एक ओबीसी व दो सामान्य छात्र हैं ! कुलपति जी जिस तरह विवि में रैंगिंग के खिलाफ इश्तिहार लगे हुये हैं वैसे ही यह भी इश्तिहार लगवा दीजिये कि जो भी लोकतंत्र -विमर्श की  बात करेगा वो या तो आत्महत्या कर ले या मारा जायेगा !अगर हम या हमारा कोई साथी आत्महत्या के लिए विवश होता है,इसके जिम्मेदार आप होंगे !

Sudhanshu Bajpai
sudhanshu.sud9@gmail.com


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