नई दिल्ली। 'दिल्ली विश्वविद्यालय युवा प्रतिभाओं का बड़ा केंद्र है। रंगमंच के परिदृश्य पर युवाओं ने लगातार नए प्रयोगों से दर्शकों का ध्यान आकृष्ट किया है। प्रेमचंद और भीष्म साहनी की कहानियों का मंचन इन युवाओं की प्रतिभा का प्रमाण है।' सुपरिचित कवि और आलोचक अजित कुमार ने हिन्दू कालेज में हिन्दी नाट्य संस्था 'अभिरंग' द्वारा प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'वेश्या' एवं भीष्म साहनी की लोकप्रिय कहानी 'चीफ की दावत' के मंचन के अवसर पर कहा कि नौजवानों के इस समारोह में आकर वे सचमुच प्रसन्नता और सार्थकता का अनुभव कर रहे हैं।
इससे पहले 'अभिरंग' के युवा अभिनेताओं ने इन दोनों कहानियों का प्रभावशाली मंचन किया जिसमें माँ और शामलाल की भूमिकाएं शिवानी और आदर्श मिश्रा ने निभाई।चीफ के रूप में अतुल शुक्ला और सेठी के रूप में वहीं वेश्या में दयाशंकर का अभिनय आदर्श और सिंगार सिंह का आशुतोष ने किया। माधुरी की भूमिका में शिवानी ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन जीत लिया। दोनों नाटकों में रजत, पूजा, तनूजा, अतुल, अनुपमा, अनुपम, नीरज, ऋषिका, आशुतोष, पिंकी ने अभिनय किया।
सूत्रधार के रूप में नीरज और स्नेहदीप ने नाटक को गति दी। दोनों कहानियों की प्रस्तुति भी थी। नाटक के निर्देशक युवा रंगकर्मी और एम ए के विद्यार्थी कपिल कुमार ने सभी पात्रों का अभिनय कर रहे विद्यार्थियों का परिचय दिया और इन कहानियों को मंचन के लिए चुनने की प्रेरणा बताई। मंच सज्जा नीरज, ज्योति और गार्गी की थी। हिन्दू कालेज के खचाखच भरे प्रेक्षागार में कॉलेज के अलावा अनेक अन्य संस्थानों से आये दर्शक भी उपस्थित थे। डॉ रामेश्वर राय, डॉ अभय रंजन, डॉ जगमोहन, डॉ रचना सिंह,डॉ राजेश कुमार, डॉ संजीव दत्त शर्मा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे। आभार प्रदर्शित करते हुए अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने कहा कि पराधीन भारत के खा पीकर अघा रहे समाज का एक दृश्य प्रेमचंद की अल्पचर्चित कहानी 'वेश्या' में आया है तो स्वतन्त्र भारत के पाखंडी मध्य वर्ग का कपटी चेहरा भीष्म साहनी की अत्यंत प्रसिद्ध और लोकप्रिय कहानी 'चीफ की दावत' में दिखाया देता है।
फोटो एवं रिपोर्ट- शशांक द्विवेदी
अभिरंग
हिन्दू कालेज
दिल्ली
No comments:
Post a Comment