Jan 5, 2016

महानगरों की अपेक्षा गाँवों और कस्बों में रचा जा रहा है श्रेष्ठ साहित्य




प्रतिष्ठित कवि और कथाकार मीठेश निर्मोही ने कहा कि महानगरों की अपेक्षा कस्बों और गाँवों में श्रेष्ठ साहित्य रचा जा रहा है | वे राजसमंद में राव मनोहर सिंह स्मृति न्यास एवं साकेत साहित्य संस्थान, आमेट के संयुक्त तत्त्वावधान में 26-27 दिसंबर को आयोजित दो दिवसीय मेधा मिलन पर्व-5 के अवसर पर दूसरे दिन मनोहर मेवाड़ साहित्य सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दे रहे थे | उन्होंने कांकरोली के क़मर मेवाड़ी और लालमादड़ी के माधव नागदा का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों साहित्यकारों ने छोटे स्थानों पर रहते हुए जो उत्कृष्ट साहित्य रचा है वह अपने आप में अनूठा है |


ये दोनों अपनी रचनाधर्मिता से ही हिन्दी जगत के सेलिब्रिटी बने हुए हैं | क़मर मेवाड़ी द्वारा लगातार पचास वर्षों से संपादित-प्रकाशित 'सम्बोधन' ऐसी प्रतिष्ठित पत्रिका है जिसके विशेषांक भारत में ही नहीं विदेशों में भी सराहे जाते हैं | माधव नागदा सामाजिक सरोकार से वास्ता रखने वाले अग्रणी और अनूठे कथाकार हैं | निर्मोही ने विजयदान देथा का भी उल्लेख किया और कहा कि विज्जी ने छोटे से गाँव बोरुंदा में सृजनरत रहते नोबल पुरस्कार में नामांकन तक की यात्रा का कमाल कर दिखाया | उन्होंने समारोह में समादृत मुरलीधर कनेरिया और रीना मेनारिया को इसी परंपरा का वाहक बताया | निर्मोही आगे कहा कि गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा आयोजित मेधा मिलन पर्व जैसे आयोजन साहित्यिक हलक़ों में अपना विशेष स्थान रखते हैं और ऐसी संस्थाओं से ही जेनुइन रचनाकार सामने आते हैं |

अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हो रहे हमलों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि समाज का दायित्व है कि वह साहित्य और साहित्यकारों का संरक्षण करे | दूसरी ओर उन्होंने साहित्यकारों से अनुरोध किया कि वे आतंकवाद, बढ़ती नशाखोरी तथा पर्यावरणीय चिंताओं को भी अपनी रचनाओं का विषय बनायें | निर्मोही ने आयोजकों को सुझाव दिया कि हिन्दी, राजस्थानी और संस्कृत के साहित्यकारों के साथ ही उर्दू भाषा के साहित्यकारों को भी सम्मानित करें क्योंकि उर्दू भी हिन्दुस्तानी माटी की ही उपज है | साथ ही एक पुरस्कार साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता पर भी आरंभ किया जाय | समारोह के आयोजक भगवत सिंह पारस ने इस सुझाव को तत्काल स्वीकार करते हुए अगले वर्ष से ये दोनों पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा कर दी |

समारोह अध्यक्ष राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. लक्ष्मीनारायण नंदवाना ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य अमर है और वह साहित्यकार के बाद भी सदियों तक समाज को आलोकित करता रहता है | साहित्यकार को अपना श्रेष्ठ देने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, कई बार तो उसे संकट भी झेलने पड़ते हैं | विशिष्ट अतिथि डॉ.श्रीकृष्ण जुगनू ने राजसमंद की समृद्ध साहित्यिक सांस्कृतिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऐसी भूमि है जहाँ सुबह की शुरूआत अष्ट छाप कवियों के साहित्यिक कीर्तनों से होती है | इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि क़मर मेवाड़ी, फतहलाल गुर्जर 'अनोखा', विजयसिंह राव तथा समारोह संयोजक नारायण सिंह राव ने भी अपने विचार व्यक्त किए |

इसके पूर्व हिन्दी साहित्य में नाथद्वारा के मुरलीधर कनेरिया तथा राजस्थानी साहित्य के लिए उदयपुर की श्रीमती रीना मेनारिया को अतिथियों द्वारा पगड़ी व उपरना पहनाकर तथा प्रशस्ति पत्र एवं 5100 रुपये नकद राशि भेंट कर सम्मानित किया गया | संस्कृत साहित्य के लिए शक्ति कुमार शर्मा, उदयपुर को सम्मानित किया जाना था किन्तु वे किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो सके |
कार्यक्रम का संचालन नगेंद्र मेहता ने किया | समारोह में डॉ.राकेश तैलंग, प्रकाश तातेड़, अफजल खाँ अफजल, माधव नागदा,चतुर कोठारी, हिम्मत सिंह उज्ज्वल, सम्पत सुरीला, सतीश आचार्य, नंदकिशोर निर्झर, अब्दुल समद राही, परितोष पालीवाल, डॉ.मदन डांगी, सूर्य प्रकाश दीक्षित, मनीष नंदवाना , कुसुम अग्रवाल, मोहम्मद शेख आदि कई साहित्यकार व साहित्यानुरागी उपस्थित थे |

26 दिसंबर को मेधा मिलन पर्व की पूर्व संध्या पर कंकरोली की गोपालकृष्ण वाटिका में मीठेश निर्मोही की अध्यक्षता व श्रीकृष्ण जुगनू के मुख्य आतिथ्य में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें नंदकिशोर निर्झर, प्रकाश तातेड, अब्दुल समद राही, सम्पत सुरीला, माधव नागदा, चतुर कोठारी,, शेख अब्दुल हमीद, कुसुम अग्रवाल, कानू पंडित, मोहम्मद शेख, नारायण सिंह राव, विजयसिंह राव, फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’, अफ़जल खाँ अफ़जल सहित लगभग पचास कवियों ने अपनी कविताएं सुनाकर श्रोताओं को रस विभोर कर दिया | कवि गोष्ठी का संचालन युवा गजलकार सूर्य प्रकाश दीक्षित ने किया |                        

-माधव नागदा
लालमादड़ी (नाथद्वारा)-313301

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