Jan 25, 2016

सातवें वेतन आयोग पर गठित सचिव समिति पर याचिका

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज भारत सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग के अध्ययन हेतु गठित सचिव स्तरीय समिति के सम्बन्ध में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में याचिका दी है. अमिताभ ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए के माथुर और सदस्य डॉ रथिन रॉय ने यह संस्तुति की थी कि आईएएस तथा आईपीएस एवं अन्य सेवाओं के मध्य सेवा में समानता रखी जाये जबकि उसके रिटायर्ड  आईएएस  सदस्य विवेक रे ने इसका विरोध करते हुए आईएएस की श्रेष्ठता बरक़रार रखने की संस्तुति की.


उन्होंने कहा कि  अब जो सचिव स्तरीय समिति इस आयोग की संस्तुति के अध्ययन हेतु बनायीं गयी है, उसमे 13 में से 09 सदस्य आईएएस  अफसर हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार कोई व्यक्ति अपने मामले में निर्णयकर्ता नहीं हो सकता, अतः आईएएस अफसर अन्य सेवाओं की तुलना में अपनी सेवा शर्तों सम्बन्ही मामलों में निर्णय नहीं ले सकते.

अतः अमिताभ ने इस सचिव स्तरीय समिति द्वारा आईएएस तथा आईपीएस एवं अन्य सेवाओं के मध्य सेवा शर्तों की समानता के सम्बन्ध में अध्ययन नहीं कराते हुए यह निर्णय किसी अन्य निष्पक्ष , जिसमे इनमे किसी भी सेवा का सदस्य न हो, द्वारा कराये जाने की प्रार्थना की है.

Secretary level Committee for 7th Pay Commission challenged in CAT

IPS officer Amitabh Thakur today moved to Central Administrative Tribunal (CAT) challenging the Secretary level empowered committee formed by Government of India to study the recommendations made by the seventh pay commission.

Amitabh said the Chairman of this Commission Justice A K Mathur and member Dr Rathin Ray recommended equality in pay and other structures for IAS, IPS and other services but retired IAS member Vivek Rae recommended that superiority of IAS shall remain.

He said now the Secretary level Committee is studying these recommendations where 09 out of 13 members are IAS officers. He said it is against principle of natural justice for any person to be a judge in his one’s own cause, hence IAS officers cannot be decision-makers as regards their service conditions vis-à-vis other services.


Hence Amitabh has prayed that this Committee shall not decide over the comparative service condition of IAS, IPS and other services and this issue shall be decided only by an independent committee having no member from these services. 

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