Jan 15, 2016

पुलिस का दलाल बना भास्कर का अय्याश क्राइम रिपोर्टर

दैनिक भास्कर अजमेर संस्करण के ब्यावर कार्यालय में कार्यरत पत्रकार मनीष शर्मा एक आदतन अपराधी है। शराब पीकर अय्याशी करने वाला यह मनचला लंबे समय से ब्यावर पुलिस का दलाल बना हुआ है। बेगुनाह लोगों को फर्जी मामलों में फंसाकर पुलिस के लिए अवैध वसूली करना जगजाहिर है। हाल ही राजस्थान के बहुचर्चित फर्जी सेक्स रैकेट मामले में एक बार फिर मनीष की अनैतिक कार्यों में लिप्तता सामने आई है। इसी दलाल रूपी पत्रकार की वजह से 7 बेटियों सहित 15 बेगुनाह युवाओं के पाक दामन में दाग लगा। ब्यावर, अजमेर सहित प्रदेशभर में दैनिक भास्कर की बदनामी हुई। आरोप लगे कि सकारात्मक सोच की बात कर लोगों को न्याय दिलाने वाले भास्कर अखबार के पत्रकार काले कारनामों में लिप्त होकर गोरखधंधे कर रहे हैं।


पीडि़तों के बयान, अन्य समाचार पत्रों में छपी खबरें व सोशियल मीडिया पर वायरल हुए मैसेज इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। पीडि़ताओं द्वारा अजमेर आईजी को दी गई लिखित शिकायत में भी दैनिक भास्कर के पत्रकार मनीष शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए। मामले में हाल ही 7 जनवरी को न्यायालय में लगाई गई एफआर रिपोर्ट में साफ लिखा है कि इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड पत्रकार मनीष शर्मा है। रोज रात दफ्तर से घर लौटने के पहले पुलिस के साथ बैठकर शराब पीना और अय्याशी करना इसकी आदत में शुमार है। गत 30 नवंबर की रात भी कुछ ऐसा ही हुआ था। क्राइम रिपोर्टर मनीष शर्मा कुछ पुलिस वालों के साथ बैठकर होटल गणगौर में शराब पी रहा था। तभी वहां इवेंट कंपनी से जुड़े लड़के-लड़कियों का आना हुआ। नशे में धुत्त मनीष ने एक लड़की से छेड़छाड़ करते हुए यह कहा कि 'फ्री है क्या।' अय्याशी के लिए जिस्म नहीं मिला तो मनीष ने पैसों की डिमांड की और धमकाने लगा। इस पर गुस्साई लड़कियों व लड़कों ने मिलकर मनीष की धुनाई कर दी। इसके बाद मनीष ने उन्हें धमकियां देते हुए बदला लेने की ठान ली। बस फिर क्या था, पुलिसवालों के साथ मिलकर दलाल मनीष ने इवेंट कंपनी के युवाओं को सेक्स रैकेट जैसे गंभीर मामले में झूठा फंसा दिया। मगर कहते हैं ना सांच को आंच नहीं। मनीष और पुलिस वालों की सच्चाई ज्यादा दिन छुप नहीं सकी। भास्कर अखबार से जुड़े ब्यावर व अजमेर के पत्रकारों को भी यह पूरा मामला पता है। सारे पत्रकार मनीष शर्मा की काली करतूतों से वाकिफ भी हैं।

ऐसा नहीं है कि मनीष शर्मा पर यह संगीन आरोप पहली बार लगा हो। ब्यावर भास्कर कार्यालय में बीते 3-4 साल से बतौर क्राइम रिपोर्टर कार्यरत इस पत्रकार का विवादों से चोली-दामन का साथ है। ब्यूरो चीफ तरुण दाधीच व अजमेर संपादक रमेश अग्रवाल का सिपहसालार होने के कारण लंबे समय से अपराधों में लिप्त है। संभवत: मनीष को मिलने वाली काली कमाई का टुकड़ा इन दोनों तक भी पहुंचता होगा। आए दिन अस्पताल में जाकर महिला नर्सों से छेड़छाड़ करना और शराब पीना इसकी आदत में शुमार हो गया है। कुछ समय पूर्व ब्यावर के सरकारी अस्पताल में कार्यरत महिलाकर्मी ने तो मनीष शर्मा पर अभद्रता करने व जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप भी लगाया था। पीडि़त महिलाकर्मी व अस्पताल स्टाफ ने पुलिस को लिखित में शिकायत भी दी मगर सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का।

पुलिस ने अपने दलाल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इस आपराधिक तत्व वाले संवाददाता को बचाने के लिए ब्यूरो चीफ और संपादक ने उस वक्त यह तर्क दिया कि भास्कर में छपी अस्पताल विरोधी खबरों के कारण संवाददाता पर ऐसे लांछन लगाए गए हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। संपादक खुद जानते हैं कि यह संवाददाता अस्पताल में नर्सों के साथ पूर्व में भी कई बार रंगरेलियां मनाते हुए रंगेहाथों पकड़ा गया था। तब भी इस पत्रकार के खिलाफ तत्कालीन पीएमओ (प्रमुख चिकित्सा अधिकारी) ने सबूत के साथ तत्कालीन राजस्थान संपादक नवनीत गुर्जर और भोपाल कार्यालय में शिकायत भेजी थी। इस पर अजमेर संस्करण के संपादक रमेश अग्रवाल को जांच करने के आदेश हुए थे। शिकायत पर कार्यवाही करने की बजाय संपादक अग्रवाल ने दस्तावेजों की सूचना ही आरोपी पत्रकार तक पहुंचा कर मामला रफा-दफा हो जाने दिया।

शायद यही वजह रही कि आरोपी पत्रकार के हौंसले दिनोंदिन बुलंद होते गए और संगीन अपराधों में उसकी लिप्तता बढ़ती गई। अब एक बार फिर फर्जी सेक्स रैकेट मामले में इस पत्रकार की वजह से भास्कर की बदनामी होने के बावजूद संपादक सख्त कार्यवाही करने की बजाय मेहरबान हुए बैठे हैं। आम आदमी से लेकर अफसरशाही के बीच चर्चा है कि जिस पत्रकार को ऐसे संगीन मामले में लिप्तता पर तत्काल नौकरी से हटा देना चाहिए, उस पर भास्कर प्रबंधन इतना मेहरबान क्यों हैं? संभवत: अभी तक यह मामला भास्कर के मालिकों और जिम्मेदार अधिकारियों की नजर में नहीं आया हो मगर अजमेर संपादक को तो अपनी वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर इतनी समझ रखनी चाहिए कि जिस संस्थान की रोटी खाते हैं उसके साथ वफादारी निभाएं। अब भड़ास पर सबूतों के साथ हुए इस खुलासे के बाद उम्मीद है कि जन-जन में लोकप्रिय दैनिक भास्कर अखबार की गरिमा के अनुरूप प्रबंधन मामले को गंभीरता से लेगा। इस अपराधी पत्रकार और उसे शह देने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही करेंगे, ताकि भास्कर की साख कायम रह सके।

नर्स की पीड़ा सुनने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/watch?v=jUpQJ2ZHR0c

संलग्न :-
1. अजमेर आईजी को दी गई शिकायत की प्रति।
2. विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार।
3. सरकारी अस्पताल में कार्यरत महिला नर्स व स्टाकर्मियों की लिखित शिकायत प्रति।
4. न्यायालय में प्रस्तुत एफआर की प्रति।
5. पीडि़तों के ऑडियो-वीडियो बयान।
6. पत्रकार मनीष की पुलिस से मिलीभगत दर्शाती तस्वीरें।












Master Mast 
mkbwr14@gmail.com

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