Jan 5, 2016

उत्तराँचल प्रेस क्लब में रिसीवर को लेकर डीएम दरबार में दस्तक, पत्रकारों में रोष


देहरादून : लोहा ही लोहे को काट सकता है और एक पत्रकार ही दूसरे पत्रकार को नीचा दिखाने के लिए कुछ भी कर सकता है. उत्तराँचल प्रेस क्लब को लेकर जिला अधिकारी को देहरादून को पत्र दिया गया है. उत्तराँचल प्रेस क्लब के खुल जाने से एक दूसरे गुट के पेट में दर्द हो गया है क्योंकि वो गुट इस प्रेस क्लब की जमीन को अपने कब्जे में लेने की जुगत में लगा हुआ था लेकिन समय रहते उस की दाल नहीं गल पायी और प्रेस क्लब को आपसी समझौते के चलते खोल लिए गया. इस पत्र में वर्तमान कार्यकारिणी को लेकर भी सवाल उठाये गए हैं और कहा गया है प्रेस क्लब में नए सदस्यों को लेकर भी कोई फैसला नहीं किया गया इसी लिए यहाँ चुनाव सम्पन होने तक एक रिसीवर तैनात किया जाये.


उत्तराखंड के देहरादून में कई आठ सालो बाद खोले गए प्रेस क्लब को लेकर अब यहाँ पत्रकारों के गुटो की नेतागीरी शुरू हो गयी है. चुनावों को लेकर भले ही अभी यहाँ उत्तराँचल प्रेस क्लब ने भले ही तारीख का ऐलान न किया हो लेकिन उत्तराँचल प्रेस क्लब को लेकर स्वम भू पत्रकारों के नेताओं ने जिलाधिकारी को पत्र देकर उत्तरांचल प्रेस क्लब में तुरंत रिसीवर को लेकर एक पत्र लिखा है. इस पत्र में ऎसे लोगों के भी साइन है जो उत्तरांचल प्रेस क्लब की दिसम्बर माह की २५ तारीख को आम सभा में मौजूद थे जहा नए सिरे से चुनाव करवाये जाने को लेकर अपनी राय दी थी. सवाल ये उठ रहा है कि क्या प्रेस क्लब में वर्तमान सदस्यों को लेकर प्रेस क्लब में जरनल हाउस में जब सभी बातों को रखा जा सकता था तो आखिर देहरादून के जिला अधिकारी को पत्र दिए जाने की क्या ज़रूरत थी.

हमेशा से ही पत्रकारों के प्रेस क्लब में राजनीती हावी रही है. यही कारण है की इस बार भी प्रेस क्लब को लेकर ऎसे पत्रकारों की टोली में हड़कम्प मचा है जो पूर्व में भी प्रेस क्लब को लेकर अपनी बपौती समझ बैठे थे. इस गिरोह में ऎसे पत्रकारों के सरदार भी शामिल है जो अपनी स्वम भू पत्रकारों की दुकानों को सजा कर अपनी पत्रकारों की दुकान चला रहे हैं. हमेशा से ही इस तरह के पत्रकारों के कारण करीब आठ सालों तक उत्तरांचल प्रेस क्लब बंद रहा. अब एक बार फिर प्रेस क्लब में इस तरह के विवाद को नया जनम दिए जाने का खेल शुरू हो गया है. इस खेल में कई ऎसे पत्रकार भी शामिल है जिन को उत्तरांचल प्रेस क्लब पूर्व में क्लब से बहार का रास्ता दिखा चुका है. क्या ऎसे में ये सवाल नहीं बनता कि प्रेस क्लब के सभी मेंबर को इस दिए गए पत्र के खिलाफ एक नयी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए. वर्तमान समय में प्रेस क्लब के अंदर चुनावी माहोल शुरू हो गया है और कई दावेदार अपनी चुनावी दावेदारी को प्रेस क्लब में शुरू कर चुके हैं. इस पत्र के बाद प्रेस क्लब के सदस्यों में ऎसे लोगो के खिलाफ रोष भी देखा जा रहा है जो इस तरह की हरकतों को अंजाम दे रहे हैं जो कभी भी प्रेस क्लब की गरिमा के अनुकल नहीं है.

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