Jan 25, 2016

आम लोगों की ताकत बढ़ानेवाले युवा सम्मानित हुए काकासाहेब कालेलकर सम्मान से



नई दिल्ली । हमने बहुत सारी ऐसी लड़कियों को मुक्त करवाया, जिन्हे झारखंड,छतीसगढ़,मध्यप्रदेश,पश्चिम बंगाल आादि राज्यों से बहला— फुसलाकर दिल्ली लाया जाता है,जिन्हें जवरन घरेलु नौकरानी की तरह रखा जाता है और ठीक—ठाक मजदूरी देना तो दूर उल्टे उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इन लड़कियों को  मुक्त कराने की बात अपनी मां को दूसरे के घर में काम करते हुए प्रताड़ित होेते देखती थी। यह बात शनिवार को सन्निधि परिसर में काकासाहेव कालेलकर समाजसेवा सम्मान लेने के बाद सुनीता रानी मिंज ने कही। उन्हें यह  सम्मान समारोह ​के मुख्य अतिथि और जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज ने दिया।इस मौके पर गांधी स्मृति और दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्रीज्ञान और मुंबई की युवा साहित्यकार रीता दास राम, गांधी शांति प्रतिष्ठा​न के सचिव अशोक कुमार   ​विशिष्ठ अति​​थि के रूप में मौजूद थे। समारोध की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गंगेश गुंजन ने की।


गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा,विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान और वर्मा न्यूज एजेंशी हिसार की ओर से आयोजित इस समारोह मेें काका साहेव कालेलकर समाजसेवा सम्मान पूर्वी चंपारण के दिग्विजय कुमार को दिया गया, जिन्होंने बापू की कर्मस्थली में महिलाओं और  बच्चों के जीवन स्तर को उंचा उठाने के लिए उल्लेखनीय काम किया है। जेएनयू में नए रचनाकारों के लिए​ मासिक संगोष्ठी का संचालन करने और गांवो में जनपुस्तकालय अभियान चलाने के लिए बहादुर मीरापोर को साहित्य के लिए और जल पर केन्द्रित लेखन पर पत्रकारिता के लिए मीनाक्षी अरोड़ा को काका साहेव कालेलकर सम्मान दिया गया। इस मौके पर महाराष्ट्र के धुले जिले में आदिवासियों के बीच शिक्षण कार्य के लिए शिक्षा सम्मान डॉ मृदुला वर्मा को दिया गया। इन सभी ने अपने उद्गार में मिले सम्मान को ​जीवन को साकारात्मक दिशा में बदलाव के लिए प्रेरक बताया।

समारोह में मुख्य अतिथि मुकेश भारद्वाज ने सम्मानित युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि  काकासाहेब कालेलकर का लेखन हमें प्रेरित करता है कि समाचार पत्र में हम ऐसी भाषा लिखें जो आम आदमी के लिए भी वोाधगम्य हो। समारोह का संचालन प्रसून लतांत और किरण आर्या ने किया जबकि कार्यक्रम के मकसद को अतुलप प्रभाकर ने उजागर किया।वर्मा न्यूज एजेंशी की निदेशक  वीणा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर वरिष्ठ कवि इब्बार रब्बी, समाजकर्मी कुसुम शाह, राजेन्द्र रवि,अमृता शर्मा, कुमार कृष्णन के साथ नंदना किशोर, प्रेरणा झा मौजूद थे। समरोह में मनीष मुधुकर, महिमाश्री,एकता पाठक कुणाल सिफर, उर्मिला माधव, देवनागर की गजलों की धूम रही।

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