Apr 19, 2016

मजीठिया वेज बोर्ड पर बोले सीएम अखिलेश- जल्द फाइल होगी मजीठिया को लेकर स्टेट्स रिपोर्ट






मुख्य सचिव से भी मिला आईएफडब्लूजे प्रतिनिमंडल

लखनऊ : मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू किए जाने के संबंध उत्तर प्रदेश के समाचार पत्रों की स्थिति और अब तक हुयी प्रगति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अब तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट न पेश किए जाने को लेकर इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) का एक प्रतिनिमंडल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी के नेतृत्व में सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार सुबह इस मामले को लेकर मुख्य सचिव आलोक रंजन से भी मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।


मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट पर अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मजीठिया को लेकर हलफनामा न सौंपे जाने को लेकर चिंता जतायी और प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि उनकी सरकार इस मामले में जल्द कारवाई करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक मीडिया कर्मियों को वेतनमान दिलाने को लेकर उनकी सरकार हर संभव प्रयास करेगी।

इससे पहले हेमंत तिवारी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सचिव सिद्दार्थ कलहंस, राष्ट्रीय पार्षद उत्कर्ष सिन्हा, मो. कामरान, राजेश मिश्रा, शबाहत हुसैन विजेता, आईएफडब्लूजे उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेता टीबी सिंह, भास्कर दुबे, नवेद शिकोह व ईटीवी के वीरेंद्र सिंह सोमवार की सुबह मुख्य सचिव आलोक रंजन से मजीठिया को लेकर उनके कक्ष मिले और अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा।

मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव श्रम को इस संदर्भ में निर्देशित किया कि मजीठिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उत्तर प्रदेश में समाचार पत्रों की दशा को लेकर रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपी जाए। ज्ञापन में आईएफडब्लूजे ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतनमान दिए जाने के निर्देशों के बाद उत्तर प्रदेश के कतिपय बड़े समाचार पत्र हीला-हवाली कर रहे हैं और साम दाम दंढ भेद की नीति अपना कर मीडिया कर्मियों के सर्विस रिकार्ड व कंपनी के मूल नाम में हेरा फेरी कर रहे हैं।

आईएफडब्लूजे उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने बताया कि सु्पीम कोर्ट के निर्देशों को मुताबिक राज्यों को अपने यहां के समाचार पत्रों में वेतन बोर्ड की सिफारिशों लागू किए जाने संबंधी स्टेट्स रिपोर्ट सौंपनी है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों को बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है।

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