औरंगाबाद(बिहार) । औरंगाबाद में बड़े तामझाम के साथ एकजुट हुये भोकाल मीडिया के साथियों ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया एसोसियेशन, औरंगाबाद (एमा) के नाम से एक संगठन तो बनाया लेकिन एमा में अब सबकुछ ठीकठाक नहीं है । संगठन में खेमेबाजी का खेल जारी है । संगठन की पिछली कई बैठकों में संगठन के सदस्य आने से परहेज कर रहे हैं । वजह अध्यक्ष प्रियदर्शी किशोर श्रीवास्तव का चाटुकारों से घिर जाना है । दरअसल औरंगाबाद में खेमों में बंटे इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार साथियों ने बड़ी शिद्दत के साथ एकजुटता की जरूरत को महसुस किया था । यही वजह है कि सभी एक-दुसरे से तमाम तरह के गिले शिकवों को भुलाते हुये एक मंच पर आये थे । एक मंच पर सब के आने से ही यह संगठन अस्तित्व में आया था ।
संगठन के अस्तित्व में आने पर अध्यक्ष की जिम्मेवारी श्रीवास्तव जी को सौंपी गई । सबने उन्हें अपना अभिभावक माना । शुरूआती दिनों में सदस्यों ने अपने संगठन के अध्यक्ष रूपी अभिभावक का हर आदेश सिर आंखों पर उठाया । सदस्यों से लगातार मिल रहा यह सम्मान उन्हें रास न आया और वे कुछ चाटुकारों से घिरकर निरंकुश होते गये । इन चाटुकारों द्वारा हर समय उन्हें बरगलाने का काम किया गया और संगठन में उनके साथ चाटुकार साथियों के रूप में मात्र दो उपाध्यक्ष एवं एक प्रवक्ता ही साथ रह गये हैं । साथ ही कुछ वैसे सदस्य उनके साथ हैं जो किसी चैनल में न होने के कारण वे कथित पत्रकार की श्रेणी में गिने जाते हैं । संगठन की बैठक अब सिर्फ खानापुरी भर हुआ करती है । ऐसी बैठकों में संगठन के अध्यक्ष समेत उक्त चार पदाधिकारियों के अलावा कुछ कथित पत्रकार सदस्य भाग लिया करते हैं जबकि सचिव, उप सचिव, कोषाध्यक्ष एवं सह कोषाध्यक्ष के अलावा अन्य प्रमुख चैनलों के पत्रकार साथी बैठकों से दुर रहा करते हैं । ऐसे में संगठन तो सिर्फ नाम का ही रह गया है । इसके बावजुद अध्यक्ष और उनके तीन समर्थक पदाधिकारी अधिकारियों के आगे-पीछे संगठन के नाम पर दुकानदारी कर रहे हैं । इस दुकानदारी में संगठन के कोष का भी जमकर दुरूपयोग हो रहा है । संगठन के गठन के साथ ही चेन्नई के बाढ़ पीड़ितों की सहायता के नाम पर भिक्षाटन का फैसला लिया गया था । भिक्षाटन में दो लाख से अधिक की एक बड़ी राशि चंदे में आयी । चंदे की इसी बड़ी राशि को देखकर अध्यक्ष जी और उनके चहेतों की आंखें चुंधियां गई और उन्होंने एक पाई भी बाढ़ पीड़ितों के लिये नहीं भेजी । उल्टे इस पैसे से वे संगठन के नाम पर मीडिया राजनीति की दुकानदारी चमकाने लगे । बहुतायत सदस्यों की परवाह किये बिना अध्यक्ष जी एवं उनके चहेतों ने पुलिस की दलाली करने के लिये औरंगाबाद के एसपी बाबु राम को चेन्नई बाढ़ पीड़ितों के नाम पर एकत्रित की गई राशि में से 50 हजार की राशि अति नक्सल प्रभावित लंगुराही गांव में वहां के महादलितों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर चापाकल गाड़ने के लिये दे दिया । इस राशि को देने से पुलिस महकमे में अध्यक्ष महोदय और उनके चहेतों की चमक तो जरूर बढ़ी और इसे इस रूप में देखा जा सकता है कि पुलिस हेडक्वार्टर से आये चैपर से अध्यक्ष महोदय और उनके चहेते एक उपाध्यक्ष महोदय को चापाकल के उद््घाटन में ले जाया गया । बात इतने पर ही हजम नहीं हुई बल्कि उसी चंदे की राशि से अध्यक्ष महोदय और उनके चहेतों ने संगठन का एक शानदार कार्यालय खोलने का ताना-बाना बुना और कार्यालय का उद्घाटन बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से कराने की योजना बनाई । संगठन के कार्यालय का डेकोरेशन तो चल रहा है लेकिन अध्यक्ष के चहेतों के अलावा अन्य कोई उधर झांकी मारने भी नहीं जा रहा है । इतना ही नहीं अध्यक्ष महोदय के चहेते प्रवक्ता महोदय ने आपस में ब्रेकिंग न्यूज की शेयरिंग के लिये औरंगाबाद न्यूज के नाम से एक व्हाट्स एैप ग्रुप बनाया था, उस ग्रुप से भी अध्यक्ष के चहेतों ने नाराज चल रहे सदस्यों को रिमुव कर दिया है । ऐसे में संगठन बस नाम का ही रह गया है । यदि अध्यक्ष का यही रवैया रहा तो संगठन गुजरे जमाने की चीज होकर रह जायेगी ।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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