Apr 26, 2016

मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़े प्रमोशन मामले में अपील अधिकारी को छूटा पसीना

आदेश देने के लिए माँगा 4 दिन का समय

मुंबई : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को फर्जी रिपोर्ट भेजे जाने के मामले का महाराष्ट्र में सच अब सामने आने लगा है। इसके बाद इस फर्जी रिपोर्ट को भेजने वाले श्रम आयुक्त कार्यालय के अधिकारियो को भी पसीने छूटने लगे हैं। 25 अप्रैल को श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर के अपील अधिकारी श्री चौधरी  की तो इस सुनवाई के दौरान हालात ऐसी हो गयी की उन्होने इस मामले के अपीलकर्ता और मुम्बई के निर्भीक पत्रकार तथा आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह और जन माहिती अधिकारी का लिखित बयान लिया मगर तुरंत इस मामले पर कोई आदेश नहीं जारी कर सके बल्कि ये कहकर समय मांग लिया कि आदेश देने में चार दिन का समय लगेगा।


जन माहिती अधिकारी ने अपने लिखित बयान में ये स्वीकार किया क़ि उनके पास मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारो और गैर पत्रकारों  के प्रमोशन से जुडी कोई सूचि नहीं है कि कितने पत्रकारो को मुम्बई शहर के समाचार पत्रो ने प्रमोशन दिया है। जब उनसे पूछा गया कि बिना प्रमोशन लिस्ट देखे आपने सुप्रीम कोर्ट को मजीठिया वेज बोर्ड से जुडी ये कैसे रिपोर्ट भेज दिया कि फुली एमलीमेंटेड। इसके बाद जन माहिती अधिकारी भी बगले झांकने लगे।

मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई से प्राप्त प्रमोशन मामले से जुड़े एक सूचना पर असंतुष्ट होकर श्रम आयुक्त कार्यालय में अपील दायर कर पूछा था कि अगर आपके पास मजिठिया मामले के लिये महत्वपूर्ण प्रमोशन लिस्ट नहीं है तो आपके विभाग द्वारा माननीय  सुप्रीम कोर्ट को किस आधार पर मजिठिया वेज बोर्ड के क्रियान्यवयन की रिपोर्ट भेजी गयी है।

आपको बता दें कि भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 11 नवम्बर 2011 को भारत के राजपत्र में अधिसूचना संख्या 2532 (अ) में अधिसूचित्त आदेश दिया है जिसके मुताबिक 10 वर्ष की सेवा संतोषजनक करने पर पदोन्नति का प्रावधान है। यानि अगर आप दस साल से ज्यादा समय से एक ही समाचार पत्र प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं और आपकी सेवा संतोष जनक है तो आपको एक प्रमोशन मिलना चाहिए था।

इसी आदेश में पूरे सेवाकाल में तीन प्रमोशन की बात है। यानी अगर आप 20 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे हैं एक ही समाचार पत्र या उस प्रतिष्ठान में और आपकी सेवा संतोषजनक है तो आपको दो प्रमोशन मिलना चाहिए था जो कि किसी भी समाचार पत्र प्रबंधन ने नहीं दिया है। इस बारे में मुम्बई के श्रम आयुक्त कार्यालय के पास भी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट शशिकांत सिंह ने मुम्बई शहर के श्रम आयुक्त कार्यालय के जन माहिती अधिकारी से ये जानकारी माँगा था कि मुम्बई के कौन कौन से समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक अपने उन समाचार पत्र कर्मियों और पत्रकारों को जो दस साल से अधिक समय से एक ही समाचार पत्र प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं, को प्रमोशन दिया है।

पूरी सूची शशिकांत सिंह ने एक मार्च को माँगा था जिस पर श्रम आयुक्त कार्यालय ने 9 मार्च 2016 को तीन लाइन का एक जवाब भेजा था कि ये जानकारी हमारे कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जबकि मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर भारत सरकार ने इसे राजपत्र में अधिसूचित किया है और उसमें प्रमोशन की भी चर्चा है। अब सवाल ये उठता है कि अगर श्रम आयुक्त कार्यालय के पास ऐसी कोई सूची नहीं है तो फिर माननीय सुप्रीम कोर्ट को किस आधार पर रिपोर्ट सौंपी गयी है। अब देखना है कि फर्जीवाड़े के इस मामले में अपील अधिकारी का 4 दिन में क्या आदेश आता है।


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