विद्युत विभाग पर लगे वसूली के गंभीर आरोप
रामजी मिश्र 'मित्र'
यूपी के सीतापुर जिले में विद्युत विभाग के एक कर्मचारी द्वारा सालों से वसूली करके लोगों को ठगने का सनसनी भरा मामला सामने आ रहा है। विभाग के सारे अधिकारी मामले पर चुप्पी साध गए हैं। मामले के प्रकाश में आने के बाद सीधा सवाल उठता है विभाग के नाम पर की गयी वसूली की नैतिक जिम्मेदारी से अधिकारी आखिर कब तक मुह मोड़ेंगे। आपको बताते चलें कि सीतापुर जिले के महोली क्षेत्र में पड़ने वाले नेरी फीडर पर तैनात मुकेश नामक कर्मचारी पर क्षेत्र के ही देवरिया नामक गाँव के कुछ लोगों ने अवैध धन उगाही के आरोप मढ़े हैं। दरअसल अगर लोगों की माने तो मुकेश विद्युत विभाग के सारे काम चुटकियों में करा देने का दावा करके लोगों को झांसे में लेता था।
कई लोग उसके झांसे में फस जाते थे जिनसे वह हजारों रुपये फीस के नाम पर ऐंठ लिया करता था। कुछ समय के बाद जब लोगों का काम नहीं हुआ तो उन्होने मुकेश से सम्पर्क किया तो पहले वह टाल मटोल करता रहा फिर उसने वसूले गए पैसे जल्द वापस करने की बात कही। मुकेश को फिर भी पीड़ित लोग फोन करते रहे जिस पर उसने अपना नंबर ही बदल दिया। जब भुक्तभोगियों से इस संबंध में बात की गयी तो उनका दर्द छलक पड़ा। एक गरीब व्यक्ति ने बताया कि उसकी डायलिसिस चल रही है और मुकेश ने उसका बहुत सारा पैसा हजम कर लिया। मुकेश के शिकार व्यक्तियों में अधिकांश बिना पढे लिखे, गरीब व्यक्ति या फिर खेती किसानी करने वाले लोग हुए हैं। 'मुझे दुनिया वालों शराबी न समझो मैं पीता नहीं हूँ मुझे पिलाई गयी है' कुछ ऐसी ही सफाई यहाँ भी देखने में आई दरअसल जब इस संबंध में आरोपी मुकेश से उसका पक्ष जानने के लिए जब बात करते हुये धन उगाही के आरोपों के बारे में पूंछा गया तो उसका जवाब था "इसे आप धन उगाही का नाम नहीं दे सकते क्योंकि वह लोग खुद मेरे पास चलकर आए थे।"
इस संबंध में अधिशाषी अभियंता राजेन्द्र बहादुर यादव ने कहा पीड़ित लोगों को उनसे तत्काल संपर्क कर लेना चाहिए। फिलहाल इस सनसनी भरे प्रकरण के बाद विद्युत विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। आखिर मुकेश किसी बड़े अधिकारी का मोहरा तो नहीं या फिर इतने बड़े मामले पर मुकेश के सालों से चल रही वसूली के खिलाफ कभी किसी अधिकारी की कार्यवाही न होना क्या इशारा करती है। ये वो तमाम सवाल हैं जो विद्युत विभाग के जंगल राज को नंगा करते नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां पीड़ित विभाग के कर्मचारी द्वारा ही ठगे जाने के कारण न्याय की आश को त्याग कर बैठ गए हैं वही दूसरी ओर अधिकारी भी मामले पर खबर लिखे जाने तक गंभीर नहीं दिख रहे थे। आखिर जिम्मेदारों की अंधेर नगरी के शिकार निर्दोष लोगों को कब तक न्याय की बाट जोहनी पड़ेगी यह सवाल लगातार बना हुआ है। कहने को कुछ भी कहा जाये लेकिन आरोपों का कारवां यूं ही तो न बन गया होगा। आरोपी मुकेश का शिकार एक नहीं दो नहीं बल्कि कई लोग हैं। इस बड़े मामले से विद्युत विभाग की खूब किरकिरी हो रही है। फिलहाल मामले की जानकारी ऊर्जा सचिव के पास पहुँच चुकी है और उक्त प्रकरण पर जल्द जांच और कार्यवाही संभव हो सकती है।
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