क्रांतिवीर राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस पर गोंडा जेल में 9वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का आयोजन शुरू हुआ। यह आयोजन 19 दिसंबर तक चलेगा। अवाम का सिनेमा नाम से यह फिल्म फेस्टिवल हर साल अयोध्या फिल्म सोसाइटी द्वारा आयोजित किया जाता है। क्रांतिकारी राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस से शुरू हुए इस कार्यक्रम में दूसरे दिन तरंग सिनेमा मे ‘आज़ाद हिन्द सरकार के सौ बरस’ पर सेमिनार, प्रदर्शनी और फिल्म का प्रदर्शन होना है। गौरतलब है कि 1 दिसंबर 2015 को आजाद हिंद सरकार के 100 बरस पूरे हो गए। 1 दिसंबर 1915 को काबुल के बाग-ए-बाबर, में राजा महेंद्र प्रताप ने क्रांतिकारियों की सरकार के पहले राष्ट्रपति और गदर पार्टी के नायक मौलाना बरकतुल्लाह भी प्रथम प्रधानमंत्री होने की शपथ ली थी। भारतीय क्रांतिकारियों की इस सरकार के ऐलान ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी।
कार्यक्रम के तीसरे दिन शहीद-ए-वतन अशफाक़ के शहादत दिवस पर काकोरी मुकदमे से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज़ों की प्रदर्शनी मण्डल कारगार, फ़ैज़ाबाद मे लगाई जा रही है। जिसमे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का संविधान, सप्लिमेंट्री काकोरी केस की फ़ाइल, चीफ़ कोर्ट आफ अवध जजमेंट, सजायाफ्ता क्रांतिवीरों की सूची, दुर्लभ तस्वीरें, और रिजेकटेड प्रिवी काउंसिल रिपोर्ट, फिरंगी हुकूमत के मुख्यालय नैनीताल और हिमाचल और लंदन ऑफिस से टेलीग्राम आदि रखे जाएंगे। यह प्रदर्शनी दिन भर चलेगी।
गौरतलब है कि हिन्दुस्तान रिपाब्लिक एसोसिएशन एच0आर0ए को संचालन करने, हथियार खरीदने, साहित्य छपवाने और वितरित करने के लिए पैसे की जरूरत थी। ताकि ठोस और लगातार क्रांतिकारी एक्शन चलता रहे। दल के संविधान के तहत विभिन्न जिलो मे दल को मजबूत करना था सप्ताहिक पत्र भी निकलना था। जिससे वैचारिक क्रांति को धार दी जा सके। गोपनीय छापा खाना और हथियार की बेहद जरूरत थी। आजादी आन्दोलन में काकोरी एक्शन आनोखी घटना है बिट्रिश सम्राज्यवाद द्वारा इस प्रसिद्ध राजनैतिक मुकदमे चार क्रांतिकारियों को फाँसी पर लटका दिया गया। मुख्य चीफ कोर्ट के प्रधान न्यायधीश ने एक-एक क्रांतिकारी पर कई-कई गंभीर आरोप सिद्ध करने के लिये पुरा जोर लगाया। डकैती के अरोपी क्रांतिकारियों को उनके आरोपो की नकल तक नहीं दी गयी। उन्हे अपने मुताबिक वकील तक नहीं करने दिया गया।
महीनों तक बिना मामला चलाया उन्हें जेलों मे सड़ाया गया कठोर से कठोर यातनायें दी गयी देशवासिंयों से नफरत करने वाला, इन्साफ का गला घोटने वाला, फाँसी जज के नाम से कुख्यात बिट्रिश भारत के न्यायधीश, पुलिस आदि फिंरगी सरकार के इशारे पर नंगा नाच करते रहे। लिहाजा अपील में सजा कम होने बजाय और बढ़ा दी गयी। क्रांतिकारियों बचाने के लिए देश के प्रमुख हस्तियों की डिफेन्स कमेटी बनी थी जो पैसे जुटा कर प्रिवी कांउसिल इग्लैण्ड में अपील की गयी। परन्तु प्रिवी काउंसिल के तथाकथित न्यायधीशों ने विचार किये ही अस्वीकर दिया।
‘अवाम का सिनेमा’ पिछले दस वर्षो से नई पीढ़ी को भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की विरासत से परिचित करा रहा है। जिसमे कला के विभिन्न माध्यमों को समेटे विविध आयोजन साल भर चलते रहते हैं। इसका आयोजन हम ख्याल दोस्तों के श्रम सहयोग और जन सहयोग से अब तक होता रहा है। अयोध्या, फ़ैज़ाबाद, मऊ, औरैया, इटावा, बिजनौर, दिल्ली, कारगिल, जयपुर, जम्मू, आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर, कानपुर, गोंडा, मेरठ, बनारस आदि अवाम का सिनेमा के प्रमूख केंद्र हैं।
शाह आलम
संयोजक अवाम का सिनेमा
संपर्क : 09454909664
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