Dec 16, 2015
हक रक्षक दल द्वारा अनार्य विचार क्रान्ति अभियान शुरू
हक रक्षक दल (एचआरडी) के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' के नेतृत्व में 13 दिसम्बर को औपचारिक रूप से 'अनार्य—विचार—क्रान्ति' अभियान की सफल शुरूआत की गयी। सभा के मंच पर मेहतर जाति के एक व्यक्ति हाथ से हक रक्षक दल के राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा ओक से पानी पीकर छुआछूत मिटाने की ऐतिहासिक शुरूआत की गयी। पूर्वी राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में यह अपने आप में बड़ी घटना है। हिण्डौन—करौली रोड पर स्थित गांव रीठोली में आयोजित 'अनार्य जनजागरण सभा' में मुस्लिम अल्पसंख्यक, ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्गों के अनेक जाति समूहों के लोगों द्वारा सक्रिय रूप से भाग लिया गया। अनार्य जनजागरण सभा में शामिल सभी आयु समूह के समर्पित स्त्री—पुरुषों ने लगातार छह घंटे तक अनार्य—विचार—क्रान्ति के बारे में उत्सुकता से जानकारी प्राप्त की। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित लेखक और हक रक्षक दल के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने अनार्य जनजागरण सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि...
—हजारों साल पहले भारत में मध्य—एशिया से व्यापार करने के मकसद से आर्य भारत में आये, जिन्हें वर्तमान में ब्राह्मण, बणिया और ठाकुर के नाम से जाना जाता है। कुल आबादी में मात्र 10 फीसदी होकर भी आर्य आज भी अपने आप को आर्यश्रृेष्ठ, भू—देव अर्थात् साक्षात ईश्वर और मानवों में श्रृेष्ठ समझते हैं। आर्य भारत की शेष 90 फीसदी आबादी को हीन, कमतर, अछूत मानकर हेय दृष्टि से देखते हैं। शेष समस्त शोषित लोग आर्यों के अनेक प्रकार के अत्याचारों के शिकार हैं। इन सभी शोषित, वंचित और आर्यों के अन्याय की शिकार जातियों, वर्गों और सम्प्रदायों को हक रक्षक दल द्वारा अनार्य की श्रेणी में रखकर इनके अधिकारों की रक्षा और अनार्यों को हरक्षेत्र में समान भागीदारी के लिये एकजुट करने के लिये 13 दिसम्बर, 2015 को औपचारिक रूप से 'अनार्य—विचार—क्रान्ति' अभियान की शुरूआत की गयी।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया किे विदेशी मूल के आर्यों द्वारा हजारों सालों से भारत के अनार्यों से अमानवीय व्यवहार किया जाता रहा है। अनार्यों को पढने की और सम्पति रखनी की आजादी नहीं दी गयी। अनार्यों को सामाजिक व्यवस्था में निचले पायदान पर स्थापित कर दिया गया।
—आर्यों ने धर्म के नाम पर, झूठ, पाखण्ड, अन्धविश्वास, अन्धश्रृद्धा और ब्राह्मणवाद को बढावा दिया गया। धर्म की आड़ में अनार्यों को हजारों जातियों में विभाजित करके ऊंच—नीच, छुआछूत और घृणा तथा अनेक सामाजिक कुरूतियों तथा बुराईयों को जन्म दिया गया।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि आर्यों द्वारा हजारों सालों तक अनार्यों का धार्मिक, मानसिक, शारीरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक शोषण किया गया। इसी वजह से वंचित, दमित, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासी वर्गों के उत्थान, संरक्षण और देश के सभी संसाधनों, प्रशासनिक व्यवस्था और सरकार में समान भागीदारी प्रदान करने के लिये संविधान में अनेक प्रकार के प्रावधान किये गये। इसके बावजूद भी सम्पूर्ण व्यवस्था पर आज भी आर्यों का वर्चस्व है। अनार्य आज भी भारत में दोयम दर्जे के नागरिक हैं।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि वर्तमान में अनार्यों के खिलाफ अन्याय और अत्याचार चरम पर है। अनार्य वर्गों के लोग आर्यों के अन्याय, भेदभाव और विद्वेष के तंग होकर आत्महत्या करने तक को विवश हो रहे हैं।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि न्यायपालिका, सरकार और प्रशासन के नीति—नियन्ता पदों पर केवल आर्यों का कब्जा है। इस कारण आर्यों ने संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था को मजाक बनाकर रखा हुआ है। आज भी देश में छुआछूत तथा ऊंचनीच का वातावरण मौजूद है।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और संघ से सम्बद्ध संगठनों द्वारा देशभर में साम्प्रदायितका, असहिष्णुता और कट्टरता को बढावा दिया जा रहा है तथा पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से भेदभाव, हिंसा, अत्याचार, बलात्कार, जिन्दा जलाने जैसी अमानवीय घटनाओं को बढावा दिया जा रहा है। जिससे अनार्यों में भय और आतंक का वातावरण निर्मित हो रहा है।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों सहित, सभी जनप्रतिनिधि, जनता के प्रतिनिधि नहीं होकर धनप्रतिनिधि या दलप्रतिनिधि बन बैठे हैंं। आम अनार्यों के दु:ख—दर्द की किसी जनप्रतिनिधि को कोई परवाह नहीं है।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि देशभर में आरक्षित वर्गों की डेढ दर्जन से अधिक जातियों और जनजातियों को मीणा—मीना, मांझी—माझी, हड़वा—हडवा, कोरी—कोली, जैसे निराधार और असंगत विवादों में उलझाकर तंग किया जा रहा है।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के हाई कोर्ट में अजा एवं अजजा वर्गों का आज तक एक भी जज नियुक्त नहीं किया गया। न्यायपालिका में अनार्यों को आरक्षण नहीं होने के कारण, न्यायपालिका के मार्फत आरक्षण व्ययवस्था को तहस—नहस किया जा रहा है।
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने बताया कि आरक्षित वर्गों के जनप्रतिनिधि आर्यों के नेतृत्व वाले राजनैतिक दलों के प्रमुखों के भय के चलते अपने वंचित वर्गों की समस्याओं के प्रति मौन रहकर समस्याओं को बढाने का काम कर रहे हैं।
अनार्य—जनजागरण—सभा में हक रक्षक दल के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' की सभी बातों का खुलकर समर्थन किया गया। सभा के दौरान डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने सभा में आर्यों के तिरस्कार और छुआछूत की सर्वाधिक शिकार मेहतर जाति के घनश्याम बाल्मीकि को ससम्मान सभा के मंच पर आमंत्रिक किया गया। डॉ. निरंकुश ने कहा कि आर्यों के दुश्चक्र के कारण अनार्य भी मेहतर जाति के साथ हजारों सालों से छुआछूत का अमानवीय व्यवहार करते हैं। अत: अनार्य—विचार—क्रान्ति की औचारिक रूप से शुरूआत करते हुए डॉ. निरंकुश ने सभा के मंच पर बैठकर और दोनों हाथों की ओक/अंजलि बनाकर घनश्याम बाल्मीकि के हाथों पानी पीकर छुआछूत के समापन की शुरूआत की। जिसका सभा द्वारा ताली बजाकर और खड़े होकर स्वागत और समर्थन किया गया। आशा की जा सकती है कि हक रक्षक दल का यह कदम देशभर में छुआछूत समाप्ति और अनार्य—विचार—क्रान्ति की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा। अनार्य—जनजागरण—सभा में हक रक्षक दल के अनेक राज्यों और राजस्थान के अनेक संभागों और जिलों के पदाधिकारियों तथा स्थानीय संगठनों के पदाधिकारियों ने बढचढकर भाग लिया और हक रक्षक दल के अनार्य—विचार—क्रान्ति अभियान को खुलकर समर्थन व्यक्त किया।
श्री डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' जी से मो./वाट्स एप नं. 9875066111 पर सीधा सम्पर्क किया जा सकता है।
प्रेषक :
उषा राजोतिया
राजस्थान प्रदेश सचिव
हक रक्षक दल सामाजिक संगठन
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ई अनार्य क्या होता है ? मीणा जाति का मतलब तो समझ में आ गया यह सवर्ण आदिवासी है जीनहोने बाकी अन्य वंचित आदिवासियों का हक़ नौकरियों में छिना हैं । 90 प्रतिशत उच्च पदों पआर जो आदिवासियों के लिए आरक्षित है ययही मीणा कब्ज़ा किये बैठे हैं ।
ReplyDeleteमदन तिवारी अमूल