संजय सक्सेना,लखनऊ
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है।करीब 21 करोड़ की आबादी वाले यूपी में वर्ष 1967 तक एक आंग्ल भारतीय सदस्य को सम्मिलित करते हुए विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 431 थी। वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 426 हो गई। 9 नवम्बर 2000 को उ०प्र० राज्य के पुनर्गठन एवं उत्तराखण्ड के गठन के पश्चात् विधान सभा की सदस्य संख्या 403 निर्वाचित एवं एक आंग्ल भारतीय समुदाय के मनोनीत सदस्य को सम्मिलित करते हुए कुल 404 हो गई है। विधान सभा का कार्यकाल कुल 5 वर्ष का होता है यदि वह इसके पूर्व विघटित न हो गई हो। प्रथम विधान सभा का गठन 8 मार्च 1952 को हुआ था। तब से इसका गठन सोलह बार हो चुका है। वर्तमान सोलहवीं विधान सभा का गठन 8 मार्च 2012 को हुआ। यहां विधान सभा के सदस्यों की संख्या 100 है।
करीब 02 लाख 41 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले यूपी से 80 लोकसभा के और 31 राज्यसभा के सदस्य चुने जाते हैं। देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में 1989 तक कांगे्रस का एक छत्र राज रहा। सिवाये 1967 और 1977 के। 1967 में चैथी विधान सभा में कांगे्रस नेता सीबी गुप्ता मुख्यमंत्री थे और चैधरी चरण सिंह उनके साथ।चैधरी चरण सिंह और सीबी गुप्ता के बीच किसी इतना मनमुटाव बढ़ गया कि जब सीबी गुप्ता अपनी सरकार का बहुमत साबित कर रहे थे, तभी विधान सभा में ही चैधरी चरण सिंह ने बगावत करके अपने समर्थकों साथ पाल बदल लिया और भारतीय कांति दल का गठन किया।सीबी गुप्ता सरकार गिर गई।बाद में संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी और चैधरी चरण सिंह मुख्यमंत्री।इस सरकार में जनसंघ,सोशलिस्ट पार्टी,निर्दलीय सभी विधायक शामिल थे।यानी भेड़ और शेर एक ही घाट पर पानी पीते दिखे।यह सरकार ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई। इसी प्रकार 1977 में इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की लहर में उत्तर प्रदेश में राम नरेश यादव को पहली बार पूरी तरह से गैर कांगे्रसी मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। कांगे्रस ने लम्बे समय तक दलित-ब्राहमण और मुंस्लिम वोट बैंक के सहारे पूरे देश के साथ-साथ यूपी में भी राज किया था,लेकिन 1989 के बाद उत्तर प्रदेश में कांगे्रस का सूरज अस्तांचल की ओर चल दिया। 1989 में नारायण दत्त तिवारी हटे तो फिर कांगे्रस की कभी वापसी नहीं हो पाई। प्रदेश मंडल-कमंडल की राजनीति में घिर गया। भाजपा और सपा-बसपा जैसे दलों का यूपी में प्रभाव बढ़ने लगा,लेकिन पिछले दो दशकों से बसपा और सपा के बीच ही मुकाबला दिखाई दे रहा था,भाजपा भी पिछड़ गई थी।यूपी में कांगे्रस के कमजोर पड़ते ही दिल्ली में भी कांगे्रस के पैर कभी मजबूती से नहीं जम पाये।वह लगातार बैसाखियों के सहारे चलने को मजबूर रही।
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं कि समाजवादी सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है।जनता अब बदलाव चाहती है। हमें जनता के साथ-साथ संगठन और कार्यकर्ताओं की ताकत पर भरोसा है। बाजपेयी ने कहा कि कानून व्यवस्था समेत कई मोर्चों पर विफल साबित हुई सूबे की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार अब जन आंदोलन को दबाने के लिए पुलिसिया कार्रवाई कर रही है। यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसे प्रदेश की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी तथा आगामी विधानसभा चुनाव सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की नामाकियों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले भाजपा के जन प्रतिनिधियों को बेवजह हिरासत में लेकर परेशान किया जा रहा है। सरकार का यह व्यवहार लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या का कहना था उनकी पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस,भाजपा और ओवैसी ब्रदर्स की पार्टी आईएमआई के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी। मौर्य का कहना था कि उनकी पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव में सपा सरकार के गुंडाराज और बीजेपी के दंगा राज को मुद्दा बनाएगी और खुद को अकेले ही सबसे मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करेगी।बसपा नेता ने कहा कि दंगा राज और गुंडाराज के जवाब में उनकी पार्टी कानून के राज के नारे के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। उन्होंने कांग्रेस और एमईएएम का मजाक उड़ाते हुए कहा कि कांग्रेस का यूपी में जनाजा निकल चुका है और उसे ढूंढें से भी कार्यकत्र्ता नहीं मिलते तो वहीं ओवैसी की पार्टी की यूपी में कोई पहचान नहीं है।
यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ निर्मल खत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता ने दिल्ली के बाद बिहार में भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया। मोदी पर आरोप लगाते हुए निर्मल खत्री ने कहा कि जनता मिलजुल कर रहना चाहती है लेकिन ये नियत मोदी में दिखाई नहीं देती।बिहार के बाद यूपी में भी भाजपा को करारी हार के लिये तैयार रहना चाहिए।खत्री ने सपा-बसपा को भी चेताते हुए कहा कि जिस तरह से इन दोनों पार्टियों ने बिहार में भाजपा को जिताने के लिए षड्तंत्र रचा उन्हें अब सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यूपी में इनका भी वही हश्र होगा जो भाजपा का बिहार में हुआ है।दिल्ली कांगे्रस की तरफ से तो महागठबंधन पर कोई साफ संकेत नहीं आये हैं लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री निजी तौर पर किसी भी ऐसे गठजोड़ में कांग्रेस के शामिल होने के खिलाफ हैं, जिसमें सपा या बसपा होंगे।उनका आरोप है कि दोनों पार्टियां भाजपा की साथी हैं। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के फिलहाल 28 विधायक हैं। खत्री अपनी पार्टी के विधायक अजय राय पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने से भी नाराज दिखे। अजय राय के खिलाफ कार्रवाई से खफा कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने का वक्त मांगा था। लेकिन सीएम ने वक्त नहीं दिया।
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