Dec 29, 2015

जांच दल पहुंचा संभल, दिल्ली स्पेशल सेल व खुफिया एजेंसियों पर उठाए 9 सवाल






  • जफर, पूर्व में आतंकी गतिविधियों में सलिप्त नहीं था, इसका दस्तावेज दिल्ली स्पेशल सेल 2009 में सीएमएम कोर्ट को दे चुका है
  • 2001 के मामले से जफर का संबन्ध नहीं है जब कोर्ट कह चुकी है तो क्यों उसका नाम पूर्व की घटनाओं से जोड़ा जा रहा है
  • दो बार नवीनीकरण, एक बार जफर के पासपोर्ट के खो जाने के बाद पुनः बनने को बताया जा रहा है चार पासपोर्ट
  • आतंकी छवि गढ़ने के लिए डाक्टर के मकान को दिखाया जा रहा है सना उल हक का मकान
  • संभल से युवकों के गायब होने की खबरें बेबुनियाद, गायब के नाम पर संभल को बदनाम कर रही हैं खुफिया एजेंसियां
  • खुफिया एजेंसिया आजमगढ़ की तर्ज पर संभल को बदनाम करने की रच रही हैं साजिश



लखनऊ/संभल 29 दिसंबर 2015। राजनीतिक-सामाजिक संगठनों, पत्रकारों व अधिवक्ताओं के एक जांच दल ने संभल का दौरा किया। जांच दल ने अलकायदा के नाम पर संभल के जफर मसूद पुत्र मसूद उल हसन और आसिफ के परिजनों व स्थानीय नागरिकों से मुलाकात की। जांच दल में समकालीन तीसरी दुनिया पत्रिका के अभिषेक श्रीवास्तव, रिहाई मंच प्रवक्ता राजीव यादव, दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता आनंद मिश्रा, रिहाई मंच नेता शरद जायसवाल, सामाजिक कार्यकर्ता सलीम बेग, रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव समेत कैच डाॅट काॅम के पाणिनी आनंद भी मौके पर मौजूद थे, जो वहां गिरफ्तारियों की हकीकत जानने के लिए आए थे।

जांच दल ने संभल से भारतीय उपमहादीप में अलकायदा की गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपों के चलते हुई गिरफ्तारियों में दिल्ली स्पेशल सेल व खुफिया एजेंसियों पर 9 सवाल उठाए-

1- जांच दल ने सवाल उठाया कि जिस जफर मसूद को दिल्ली स्पेशल सेल, अलकायदा का आर्थिक सहयोगी बता रही है और संचार माध्यम जिन्हें पूर्व में आतंकवाद के मामले में संलिप्त बता रहा है की सत्यता कुछ और ही है। परिजनों से प्राप्त दस्तावेज के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि एफआईआर संख्या 493/01 में जफर मसूद ने दिनांक 4 अपै्रल 2009 को दिल्ली के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बावेजा के समक्ष एक आवेदन दिया कि यदि उक्त केस में उसका नाम है तो वह आत्म समर्पण करना चाहता है। दिनांक 9 अपै्रल 2009 को दिल्ली स्पेशल सेल के जांच अधिकारी सतेेन्दर सांगवान ने न्यायालय को बताया कि जफर मसूद पुत्र मसूद उल हसन और उस्मान पुत्र खुर्शीद हुसैन की उक्त केस, जिसे 12 सितंबर 2001 में दर्ज किया गया था, से कोई संबन्ध नहीं है। 8 अपै्रल 2009 को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बवेजा की कोर्ट ने आदेश दिया कि केस संख्या 493/01 से जफर मसूद और उस्मान का कोई संबन्ध नहीं है।

2- जांच दल ने सवाल उठाया कि जब माननीय न्यायालय ने आदेश दिया है कि केस संख्या 493/01 से जफर मसूद का जब कोई संबन्ध नहीं है तो 16 दिसंबर को दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा जफर मसूद को उठाए जाने के बाद उक्त केस से जोड़कर उसके आतंकी होने के बारे में आखिर क्यों मीडिया ट्रायल किया जा रहा है।

3- जांच दल ने सवाल उठाया कि दिल्ली स्पेशल सेल ने जिस तरह से 16 दिसंबर को गैर कानूनी ढंग से मुरादाबाद में एक वैवाहिक कार्यक्रम में परिवार सहित शामिल होने गए जफर मसूद को उठाया उससे साफ हो गया है कि आतंकवाद के नाम पर 2001 के झूठे मामले में फसाने में असफल रहीं खुफिया एजेंसियां और दिल्ली स्पेशल सेल बदले की भावना से एक बार फिर से जफर मसूद को फसाना चाहती हैं।

4- जांच दल ने सवाल उठाया कि मीडिया में आई रिपोर्टों में जिस तरीके से जफर मसूद के पास चार पासपोर्ट होने की बात कही जा रही है उसकी सच्चाई परिजनों के अनुसार यह है कि जफर ने एक पासपोर्ट बनावाया था जिसे नियमानुसार 2 बार नवीनीकरण कराया और एक बार खो जाने के बाद पुनः बनवाया। जांच दल ने इस पर सवाल उठाया कि आखिर पासपोर्ट के वैधानिक नियम को मीडिया और खुफिया एजेंसियां आपराधिक साजिश क्यों बता रही हैं।

5- जांच दल ने सवाल उठाया कि आसिफ की पत्नी आफिया ने बताया कि आसिफ के 13 दिसंबर को इतवार के दिन सुबह दिल्ली जाने के बाद से ही उनका मोबाइल लगातार बंद जा रहा था। शाम को आसिफ का फोन आया कि एक मोबाइल जो घर में रखा है, उसे एक आदमी जो घर आएगा उसे दे देना। उसके बाद एक आदमी उसी वक्त आया, जिसे आफिया के कहने पर बच्चे ने मोबाइल दे दिया। उसके बाद से ही आसिफ से कोई बात नहीं हुई। टीवी की खबरों से मालूम चला कि उसे पुलिस ने पकड़ लिया है। आफिया ने बताया कि जिस बच्चे ने उस व्यक्ति को मोबाइल दिया था। उसने दूसरे दिन जब आसिफ की गिरफ्तारी वाली खबर की तस्वीर देखी तो उसने कहा कि आसिफ के साथ जो व्यक्ति खड़ा है वो वहीं व्यक्ति है। जिसे उसने मोबाइल दिया था। जांच दल ने सवाल उठाया कि आसिफ की गिरफ्तारी, जिसे दिल्ली स्पेशल सेल सीलमपुर से बता रही है, वह संदिग्ध है क्योंकि उसका मोबाइल सुबह से ही बंद जा रहा था। हर रविवार को आसिफ दिल्ली खरीदारी के लिए जाता था यह बात आम थी, ऐसे में परिवार व स्थानीय लोगों को यह अंदेशा है कि सुबह दिल्ली निकलने के वक्त ही उसे पुलिस ने उठा लिया था।

6- जांच दल ने सवाल उठाया कि दीपासराय व आस-पास के स्थानीय लोगों ने मीडिया में आए उन तर्कों को बेबुनियाद बताया जिसमें यह कहा जा रहा है कि संभल के स्थानीय लोगों ने संभल के गायब व्यक्तियों के बारे में खुफिया व पुलिस को बताने को जिम्मा लिया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसा यहां कुछ भी नहीं है ंतो हम लोग किसके बारे में बताएं? स्थानीय लोगों ने यह आशंका व्यक्त की कि ऐसा करके खुफिया एजेंसियां और पुलिस कुछ और बेगुनाहों को फंसाने के लिए जाल बुन रही हैं।

7- संभल के छत्तीस सरायों में से एक दीपासराय शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से संपन्न है। स्थानीय लोगों के अनुसार 24 एमबीबीएस डाक्टर, 250 से ज्यादा इंजीनियर, देश की बड़ी अदालतों में अधिवक्ता, साइंस व सोशल साइंस के क्षेत्र में शोध छात्र, पुलिस में ऊंचे ओहदे पर रहने वाले अधिकारी व शहर के तीनों प्रमुख मुफ्ती इसी दीपासराय से हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर संभल से ही हैं। जांच दल ने सवाल उठाया कि जिस तरीके से आजमगढ़ के बाद संभल को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है और जो संपन्नता आजमगढ़ में है वहीं यहां पर भी है। ऐसे में स्थानीय लोगों का यह मत है कि अलकायदा के नाम पर यह गिरफ्तारियां उनकी निरंतर प्रगति पर हमला है। जिस तरीके से आजमगढ़ को आतंक के नाम पर बदनाम कर वहां से बाहर जाने वाले छात्रों को उच्च व तकनीकी शिक्षा से वंचित किया गया वही साजिश संभल के साथ की जा रही है।

8- जांच दल ने सवाल उठाया कि दिल्ली स्पेशल सेल के कमिश्नर अरविंद दीप का यह कहना कि वजीरिस्तान की टेªनिंग कैम्प में आसिफ की मुलाकात सम्भल के दीपासराय मुहल्ले में उसके पड़ोसी रहे दक्षिण एशिया के अलकायदा प्रमुख मौलाना सनाउल हक से हुई जिसने आसिफ को पहचाने हुए उसे भारत का प्रमुख नियुक्त कर दिया, यह हास्यास्पद तर्क पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। जो अलकायदा जैसे आतंकी संगठन को किसी गली मुहल्ले का गिरोह समझ रहे हैं, जिसमें ओहदों पर नियुक्ति किसी के पड़ोसी या रिश्तेदार होने के नाते होती होगी?

9- स्थानीय लोगों ने जांच दल को बताया कि दीपासराय की आतंकी छवि गढ़ने के लिए कई संचार माध्यम तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत कर रहे हैं। मसलन जिस घर को भारतीय उपमहादीप के अलकायदा प्रमुख सना उल हक का घर बताया जा रहा है वह एक डाक्टर का घर है न कि सनाउल हक का। जांच दल ने सवाल उठाया कि संभल की स्थानीय जनता की अवाज मुख्यधारा की मीडिया से क्यों गायब है।

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