Dec 28, 2015
देहरादून में बैठ कर नोट छापने का धंधा...
-पुरुषोत्तम असनोड़ा-
: मेहनत और मंशा जनता के लिए हो श्रीमान! : थराली (चमोली) से उत्तर उजाला में एक खबर है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जन सभा में वर्तमान विधायक को पुनः जिताने और मुख्यमंत्री को पुनः मुख्यमंत्री बनाने के लिए कितने लोग राजी हैं हाथ उठायें। जवाब में बहुत कम हाथ उठने का उल्लेख है। यह स्थिति केवल थराली की नही है समूचे उत्तराखण्ड या कहें देश की यही स्थिति है। प्रदेश में चुनाव हुए साढे तीन साल हो गये हैं। कोई विधायक बताये तो सही कि उसने अपने क्षेत्र में जन अपेक्षाओं और राज्य परिकल्पनाओं के अनुरुप क्या किया है? गांव का पलायन रोकने के लिए क्या कदम उठाये? र्प्यावरण संरक्षण में आपकी भागीदारी क्या रही? शराब पर आपका क्या स्टेंड है और यह भी कि जल-जंगल-जमीनजेसे सारस्वत मुद्दे पर जनता या माफिया में से किस पक्ष की लडाई लड रहे हैं? भ्रष्टार पर उसकी स्थिति क्या है?
यह सवाल केवल विधायकों/सांसदों के लिए नही है यह सवाल मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री के लिए भी है। उत्तराखण्ड राज्य की अपेक्षाओं को चकनाचूर करने वाले हर उस कथित प्रतिनिधि के लिए है जिसकी मौज में जनता का बूरा हाल हुआ है। 15 सालों में गांवखली हो गये। आम मडुवें, झंगोरे की रट लगाये हैं। गांव की मूलभूत सुविधायें आपने बहाल नही की और कोरी घोषणा से पलायन रुकने वाला नही है। जिन्दलों को उत्तराखण्ड की बेशकीमती जमीन देकर आप उत्तराखण्ड का पलायन रोकने और अच्छी शिक्षा का वास्ता देकर लोगों को भरमाने का प्रयास कर रहे हैं। आप बता पायेंगे कि दून स्कूल से उत्तराखण्ड के कितने गरीब-गुरवे शिक्षित हुए? वही नही देहारादून और नैनीताल अंग्रेजी शिक्षा के गढ रहे हैं। उनसे उत्तराखण्ड को कितना कुछ इनपुट- आउटपुट मिला?
मुख्यमंत्री जी! आपके 18-22 घंटे काम करने की चर्चा है आप उत्तराखण्ड के लिए सचमुच विन्तित होंगे। केदार खत्रा में आपके काम की हम भी प्रशंसा करते हैं। आप उस पीढी के राजनेता है जो धीरे-धीरे थक-हार कर विदा हो रही है आपकी सक्रीयता और लटके झटके देख लोग दंग हैं। आपका जगह-जगह जलेबी, पकौडे, रसगुल्ले के साथ चाय का स्वाद लेना सचमुच अच्छा लगता है कि आपमें पहाडी होने का दम विद्यमान है।
मुख्यमंत्री जी! आप हमें बतायेंगे कि चमडखान-कनोली-सेलापानी मोटर मार्ग कब बना रहे हैं? स्वतंत्रता सेनानी मोतीसिंह नेगी ने अपने स्वतंत्रता संघर्ष और जन सेवा की दुहाई देते हुए आपसे कहा था- मैं जीते जी आपे गांव सउक से जाऊं, 15 सालों में तो उत्तराखण्ड की सरकारें उस सडक को नही बना पायी। क्या आपके 18-22 घंअे में से कुछ समय स्वतंत्रता सेनानी की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए हैं?
ऐसे बहुत लोग हैं जिनके साथ 15 सालों में कोई न्याय नही हुआ। अपने गांव केवल सडक के कारण न जा सकने की पीडा के साथ कई लोग दुनिया से ही चले गये, गांव गये तो पानी नही, रुके तो शिक्ष की हालत बूरी और रुके तो इलाज नही। अब तो आप श्रीमान भी कह रहे हैं पहाडों में डाक्टर नही जाना चाहता, पहाडों में शिक्षक नही रहना चाहता, ये सब आप श्रीमान का ही किया धरा है डाक्टर को नही बताया कि पहाड चढने के अलावा उत्तराखण्ड में कोई दूसरा रास्ता नही है, आपने शिक्षक को नही कहाकि अपने गांव को शिक्षित करने का जिम्मा तुम्हारा है और तुम अपनी जिम्मेदारी से भागोगे नहीं।
दून में बैठ कर नोट छापने का जो धंधा बना उसने उत्तराखण्ड की सेवाओं को बाधित कर दिया। आपकी सरकार ने अनिवार्य स्थान्तरण कानून को खत्म कर दिया। लोकपाल विधेयक असपको नहीं भाया। कुछ पहले के मुख्य मंत्रियों के बारे में भी 18-22 घंटे काम करने की चर्चा रही है, लेकिन जनता के लिए परिणाम कहा हैं? जनता को परिणाम चाहिए। आप शुद्ध मन-मतिष्क से काम करेंगे तो दिखेंगे भी। लेकिन भ्रष्टाचार में लिपटे लोग जब किसी के चारों ओर होंगे तो मेहनत भी उन्ही के लिए होगी और मंशा भी उन्ही के साथ। आज की जो स्थितियां हैं और आप लोगों के जो नखरे हैं उनसे जनता खुश तो है नही, फिर आप लोगों को पुनः चुनने के बारे में उसे सोचना पडे तो आश्चर्य क्या है?
लेखक PURUSHOTTAM ASNORA उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार हैं.
purushottamasnora@gmail.com
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